कांग्रेस नेता अलका लांबा ने रविवार को साफ़ किया है कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अभी तक राजनीति से संन्यास नहीं लिया है। वह पार्टी के रायपुर अधिवेशन को संबोधित कर रही थीं। वह भी सोनिया गांधी के सामने ही। तो आख़िर सच क्या है? सोनिया ने जो एक दिन पहले कहा था उसके संकेत या फिर अलका लांबा की सफ़ाई?
सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा था कि वह खुश हैं कि उनकी पारी भारत जोड़ो यात्रा के साथ खत्म हो रही है। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया था। सोनिया ने पार्टी के तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन 15,000 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा- भारत जोड़ो यात्रा ने साबित कर दिया है कि भारत के लोग सद्भाव, सहिष्णुता और समानता चाहते हैं। यह यात्रा महत्वपूर्ण मोड़ पर हुई है।
सोनिया गांधी के उस संबोधन के बाद मीडिया रिपोर्टों में ये कयास लगाए जाने लगे कि क्या वह संन्यास लेने का संकेत दे रही हैं। इन्हीं रिपोर्टों के बीच अलका लांबा का बयान आया है। अलका लांबा ने रविवार को कहा, 'सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया है कि वह राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हैं और वह मार्गदर्शक बनी रहेंगी।' जब लांबा यह बोल रही थीं तब सोनिया कांग्रेस के 85वें पूर्ण अधिवेशन में दर्शकों के बीच मौजूद थीं। वह इस बयान पर मुस्कुराती हुई दिखीं।
कांग्रेस का 85वां पूर्ण अधिवेशन शुक्रवार 24 फरवरी को शुरू हुआ था और उम्मीद की जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। शनिवार को सोनिया गांधी ने कहा था, 'कांग्रेस सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं है, हम वह वाहन हैं जिसके माध्यम से भारत के लोग स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और सभी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ते हैं। ये देश और पार्टी के लिए चुनौती का वक्त है।'
उन्होंने आगे कहा, 'मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा किया, नफरत की आग भड़काई जा रही है। देश के प्रधानमंत्री अपने मित्रों की मदद में जुटे हुए हैं।' उन्होंने यह भी कहा, 'बीजेपी अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं को निशाना बनाकर नफरत की आग भड़का रही। पार्टी को इन वर्गों के साथ खड़े होना होगा।'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए गए भाषण पर तंज कसा। राहुल ने कहा कि श्रीनगर के लाल चौक पर उन्होंने भी झंडा फहराया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को उससे फर्क नहीं दिखा जो उन्होंने खुद फहराया था।
राहुल राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में दिए गए प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के संदर्भ में बोल रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने तब जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में लाल चौक की अपनी यात्रा को याद किया था जहाँ उन्होंने 1991 की अपनी 'एकता यात्रा' के रूप में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। उनका यह भाषण तब आया था जब राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा जम्मू कश्मीर में ही ख़त्म की और लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराया था। संसद में प्रधानमंत्री मोदी के उस तंज का ही आज राहुल ने कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में ज़िक्र कर कहा कि प्रधानमंत्री को वहाँ झंडा फहराने में फर्क नहीं दिखता।
उन्होंने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में मोदी सरकार पर हमला करते हुए पूछा, 'संसद में अडानी के बारे में सवाल नहीं पूछा जा सकता है। हम तब तक सवाल पूछते रहेंगे जब तक कि सच्चाई सामने नहीं आ जाती। बीजेपी अडानी को क्यों बचा रही है।'
राहुल ने पूछा कि जिन शेल कंपनियों का इस्तेमाल करोड़ों रुपये की हेराफेरी के लिए किया जा रहा है, वे किसके हैं? कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया, 'मामले की जांच क्यों नहीं हो रही है? यह देश की सुरक्षा का मामला है। अडानी और मोदी एक हैं। और देश का सारा पैसा अडानी के हाथ में है।'
उन्होंने अपने बचपन की एक घटना को याद करते हुए कहा कि 52 साल से मेरे पास घर नहीं है।