देश की राजनीति में जाति आधारित जनगणना बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। तमाम राज्य सरकारें इस हवा दे रही हैं। शुरुआत हुई बिहार से जो जातिगत राजनीति के लिए मशहूर है।
अब इस मुद्दे पर एक और राज्य छत्तीसगढ़ भी शामिल हो गया है। शनिवार की शाम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के मामले में राज्य ने बिहार से पहले ही अपनी गणना पूरी कर ली है। राज्य की कांग्रेस सरकार अब इस जनगणना के आधार पर आरक्षण नीति लाने की योजना बना रही है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के मामले में राज्य ने बिहार से पहले ही अपनी गणना पूरी कर ली है।
जहां तक जाति आधारित जनगणना का सवाल है, छत्तीसगढ़ ने बिहार से भी पहले अपनी जनगणना पूरी कर ली है। और उसी के आधार पर हम आरक्षण नीति ला रहे हैं। छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। और भूपेश बघेल सरकार चुनाव को ध्यान में रखकर ही योजनाएं बना रही है। ऐसे में जातिगत जनगणना की बात शुरु करके उन्होंने दलित आदिवासी और पिछड़ों को अपने पाले में लाने की कवायद शुरु कर दी है। माना जा रहा है कि छत्तीगढ़ उन राज्यों में से एक है जहां कांग्रेस सत्ता में वापस लौट सकती है।
बघेल ने यहां राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि "रमन सिंह कहते हैं कि हमने कई कर्ज लिए हैं। जबकि सच तो यह है कि फरवरी का महीना आधा बीत गया है लेकिन हमने अभी तक एक भी लोन नहीं लिया है। हो सकता है कि हम मार्च में कोई लोन लें। बघेल ने कहा कि रमन सिंह इसकी तुलना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश द्वारा लिए गए कर्ज से करें। किसान का बेटा भी मनी मैनेजमेंट कर सकता है, और मैंने यह किया है। जनता की भलाई के लिए तमाम योजनाएं चलाने के बाद भी।
बिहार और छत्तीसगढ़ के अलावा उतर प्रदेश में इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इन संभावनाओं का आधार उतर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का वह बयान है जो उन्होंने जातिगत जनगणना के समर्थन में दिया था। अपने बयान में केशव प्रसाद मौर्य ने जातिगत जनगणना कराए जाने पर सहमति जताई थी।
इससे पहले बिहार की राजद और जेडीयू गठबंधन सरकार ने राज्य में जातिगत जनगणना को मंजूरी दी थी। पिछले महीने 7 जनवरी को, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने राज्य में जाति जनगणना की शुरुआत की थी। बिहार कैबिनेट ने पिछले साल 2 जून को जाति जनगणना का फैसला किया था।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने बीते 7 जनवरी को राज्य में जाति जनगणना की शुरुआत की थी।
केंद्र सरकार लगातार इससे इन्कार करती रही है। क्योंकि जनगणना केंद्र सरकार के तहत आने वाला विषय है। जो हर नए दशक शुरुआत में जनगणना कराता है। राज्य में जातिगत जनगणना शुरू कराने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद ने प्रधान मंत्री मोदी से मुलाकात की।
भारत में आखिरी जनगणना 2011 में कराई गई थी, अगली जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे टाल दिया गया।
भारत में जनगणना की शुरुआत 1881 से हुई उसके बाद से लगातार जारी है। 1931 तक जातिगत जनगणना भी कराई जाति रही है, बाद में इसे बंद कर दिया गया। भारत में आखिरी जनगणना 2011 में कराई गई थी, अगली जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे टाल दिया गया। अब यह कब होगी इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।