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जेएनयू केस में कन्हैया, उमर के ख़िलाफ़ देशद्रोह की चार्जशीट

जेएनयू केस में कन्हैया, उमर के ख़िलाफ़ देशद्रोह की चार्जशीट

जेएनयू में कथित तौर पर 'देश-विरोधी' नारा लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने क़रीब तीन साल बाद कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है।

आख़िरकार आज जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी। इस चार्जशीट में पुलिस ने कन्हैया और दूसरे छात्रों के ख़िलाफ़ देश के टुकड़े-टुकड़े करने के आरोप लगाए हैं। पुलिस ने इन तीनों के साथ-साथ कुल दस लोगों को आरोपी बनाया है। पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। 

12 सौ पेज की चार्जशीट में छात्रों के ख़िलाफ़ 124ए, 323, 465, 471,143, 149, 147, 120बी सहित कई और धाराएँ लगाई गई हैं। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद इस पर सुनवाई करेंगे। पुलिस के मुताबिक़ घटना पूर्व नियोजित थी और कन्हैया भी इस षडयंत्र में शामिल था। चार्जशीट में कन्हैया, उमर व अनिर्बान के अलावा आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रैया रसूल, बशीर भट्ट, बशारत के नाम शामिल हैं। पुलिस का दावा है कि इस घटना से जुड़े आठ विडियो की जाँच की गई और फ़ोरेंसिक विभाग ने विडियो को सही पाया है।

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यह घटना 2016 की है। वैसे तो पुलिस को 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी थी लेकिन उसे तीन साल लग गए। चार्जशीट दायर करने में इतना वक़्त लगने पर गंभीर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। पुलिस का कहना है कि सबूत इकट्ठा करना आसान नहीं था। आज पुलिस ने संदूक भर के साक्ष्य अदालत में पेश किए।

पुलिस ने विडियो फ़ुटेज के साथ-साथ विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों और दूसरे लोगों की गवाही को भी चार्जशीट का आधार बनाया गया है। पुलिस का कहना है कि उस दिन के कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

कन्हैया का बचाव

चार्जशीट दाखिल होने के बाद कन्हैया ने अपना बचाव किया। उसने कहा कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले चार्जशीट दाखिल करना यह साबित करता है कि यह सबकुछ चुनाव में फ़ायदा उठाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने साफ़ किया कि मैं निर्दोष हूँ और अदालत में यह साबित हो जाएगा।

कन्हैया कुमार पहले भी कह चुका है कि वह घटना के समय मौजूद नहीं था और जब उसे कार्यक्रम के समय झड़प की जानकारी मिली थी तो उसने छात्रों को समझाने-बुझाने का काम किया था और उसके ख़िलाफ़ लगे सभी आरोप झूठे थे। उसने न तो कभी देश विरोधी नारे लगाए और न ही उसने कभी देश तोड़ने की बात की। कन्हैया ने यह भी कहा था कि देश के टुकड़े करने वाला विडियो असली नहीं है। लेकिन पुलिस ने उसके दावे को ग़लत क़रार दिया है। 

बीजेपी में ख़ुशी

उधर बीजेपी ने पुलिस की चार्जशीट दायर होने के बाद ख़ुशी ज़ाहिर की। बीजेपी नेता जी.वी.एल. निरसिम्हा राव ने कहा कि देश को तोड़ने की साज़िश करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। बीजेपी ने इस पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। बीजेपी ने आज कहा कि राहुल गाँधी को देश से माफ़ी माँगनी चाहिए। हम आपको बता दें कि इस घटना के सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और दूसरे कई नेताओं ने जेएनयू जाकर वहाँ के छात्रों से मुलाक़ात की थी। 

उधर मशहूर वकील माज़िद मेनन ने एक टेलिविज़न को फ़ोन पर दिए इंटरव्यू में कहा कि अभी पुलिस ने सिर्फ़ चार्जशीट दायर की है और आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्ज फ़्रेम होने हैं। ऐसे में अभी इन्हें अपराधी ठहराना ठीक नहीं होगा।

क्या था पूरा मामला 

जेएनयू में 9 फ़रवरी 2016 को अफ़ज़ल गुरु और मक़बूल भट्ट की बरसी पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। 2001 में भारतीय संसद पर हमले के दोषी मोहम्मद अफ़ज़ल गुरु और एक अन्य कश्मीरी अलगाववादी मक़बूल भट्ट को फाँसी दे दी गई थी। कार्यक्रम के दौरान देश-विरोधी नारेबाज़ी का विडियो मीडिया में आने के बाद देशभर में राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ गई थी। दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के अलावा अनिर्बान और उमर ख़ालिद पर भी देशद्रोह की धाराएँ लगाई थीं। उन्हें 2 मार्च 2016 में अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था, क्योंकि राष्ट्र विरोधी नारों में भाग लेने का पुलिस द्वारा कुमार का कोई सबूत पेश नहीं किया गया। अनिर्बान और ख़ालिद भी जमानत पर रिहा हैं।

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