शरजील इमाम के ख़िलाफ़ असम, अलीगढ़ में मुक़दमा दर्ज
असम सरकार ने जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है। शरजील इमाम सोशल मीडिया पर चल रहे एक वीडियो में यह कहता हुआ देखा जा सकता है कि देश के मुसलमानों को असम को शेष भारत से काट देना चाहिए, तब सरकार उनकी बात सुनेगी।
असम के मंत्री हिमंत विस्वसर्मा ने कहा, 'राज्य सरकार शरजील इमाम के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करेगी और क़ानून के तहत कार्रवाई करेगी।'
Assam Minister Himanta Biswa Sarma: The main organizer
— ANI (@ANI) January 25, 2020
of Shaheen Bagh protest (in Delhi), Sarjil has said that Assam should be cut off from the rest of India. State government has taken cognizance of this seditious statement and has decided to register a case against him. pic.twitter.com/HYq6LspNmV
सर्मा ने कहा, ‘असम के लोगों को चौकन्ना रहना होगा, हम असम और पूर्वोत्तर को अलग नहीं होने देंगे, हम भारत के अभिन्न अंग हैं।’
ये वही शरजील इमाम हैं, जिनका नाम भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने लेकर कहा था कि शाहीन बाग का आन्दोलन देश तोड़ने की साजिश है। पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह कहा था।
'न्यू इंडियन एक्सप्रेस' ने ख़बर दी है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने शरजील के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय परिसर में 16 जनवरी को शरजील ने आपत्तिजनक बातें कही थीं।
एएमयू के वरिष्ठ पुलिस सुपरिटेंडेंट आकाश कुल्हारी ने कहा, ‘उसके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा था। एएमयू के अधिकारियों से मिली जानकारी और दूसरे तथ्यों से यह साबित हो गया है कि शरजील इमाम एएमयू में एक विरोध सभा में बोल रहा था जहाँ उसने आपित्तजनक बातें कही हैं।’
एएमयू के प्रवक्ता शफ़ी किदवई ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि शरजील के वीडियो में कुछ बातें हैं, जो आपत्तिजनक हैं। उन्होंने कहा, ‘उस तरह की बातें जो राष्ट्र-विरोधी क्रिया कलाप में आती हों, उनके बारे में हमारी नीति ज़ीरो टॉलरेंस की है। हमने 10 जनवरी को राज्य सरकार को चिट्ठी लिख कर कहा था कि वह ऐसे तत्वों पर निगरानी रखे जो हमारे छात्र समुदाय में किसी तरह घुस कर अपनी जगह न बना ले।’
शाहीन बाग़ के आंदोलनकारियों की ओर से बनाये गये ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि शरजील इमाम किसी भी आयोजक कमेटी का सदस्य नहीं है और न ही इस तरह की कोई कमेटी अस्तित्व में है। ट्विटर हैंडल पर बयान जारी कर कहा गया है, ‘शाहीन बाग़ के आंदोलन से लाखों लोग जुड़ रहे हैं और यह लड़ाई देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बचाने के लिए लड़ी जा रही है। यह आंदोलन शाहीन बाग़ की महिलाओं के द्वारा चलाया जा रहा है और इसका किसी ऐसे व्यक्ति से जो यह दावा करता है कि वह शाहीन बाग़ आंदोलन का मास्टरमाइंड है, उससे कोई लेना-देना नहीं है। हम यह फिर से कहना चाहते हैं कि शाहीन बाग़ के आंदोलन में कोई आयोजक कमेटी नहीं है, न तो कोई नेता है और न ही कोई आयोजक।’