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मुख्यमंत्री चन्नी के भतीजे के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

मुख्यमंत्री चन्नी के भतीजे के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी

छापेमारी अवैध रूप से रेत के खनन के मामले में की गई है। बीजेपी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर आरोप लगता है कि वह केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग अपने सियासी विरोधियों के खिलाफ करती है। 

पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है। यह छापेमारी अवैध रूप से रेत के खनन के मामले में की गई है। इससे पहले भी चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी दलों के नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी करती रही हैं। 

मुख्यमंत्री चन्नी के भतीजे का नाम भूपिंदर सिंह हनी है। हनी के घर और 10 अन्य जगहों पर छापेमारी की गई है। ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया है और वह आगे की जांच कर रही है। 

अवैध खनन बड़ा मुद्दा 

पंजाब में रेत का अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा रहा है। इस मुद्दे को लेकर पंजाब में तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ने के बाद आरोप लगाया था कि कांग्रेस के कुछ विधायक इस काम में शामिल हैं। अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा था कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस बारे में जानकारी दी थी। 

आम आदमी पार्टी भी मुख्यमंत्री चन्नी पर आरोप लगा चुकी है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र चमकौर साहिब में रेत का अवैध खनन हो रहा है।

कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश में इत्र कारोबारी और सपा एमएलसी पुष्पराज जैन के घर और दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। पुष्पराज जैन ने ही समाजवादी परफ्यूम लांच किया था। 

बीजेपी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर आरोप लगता है कि वह केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग अपने सियासी विरोधियों के खिलाफ करती है। बीते साल बंगाल के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी रूजिरा बनर्जी से सीबीआई ने कोयला घोटाले के मामले में पूछताछ की थी। 

दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन में भी केंद्रीय एजेंसियों ने आंदोलन का समर्थन करने वालों पर शिकंजा कसा। आढ़तियों, पंजाबी गायकों, लेखकों, पत्रकारों, व्यापारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं तक को ईडी, इनकम टैक्स और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के नोटिस गए। 

इसके अलावा पत्रकारों, विरोधियों की आवाज़ को दबाने के मक़सद से भी एजेंसियों पर छापेमारी करने के आरोप लगते रहे हैं।

विपक्षी नेता निशाने पर?

साल 2015 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला और दिल्ली के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे थे और उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी। छापेमारी उस दिन की गई, जिस दिन वीरभद्र सिंह की बेटी की शादी थी। कारण यह बताया गया कि वीरभद्र सिंह ने बिना हिसाब वाली आय को कृषि से मिली आय बताया और इससे अपने परिवार के सदस्यों के लिए इंश्यारेंस पॉलिसियां ख़रीदीं। 

सीबीआई ने जुलाई, 2017 में पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव के घर पर छापे मारे थे। इससे पहले भी सीबीआई ने कई बार छापेमारी की थी। 

आम आदमी पार्टी निशाने पर 

सीबीआई और दिल्ली पुलिस के निशाने पर आम आदमी पार्टी की सरकार भी रही। पार्टी के क़रीब 15 विधायकों को जेल की हवा खानी पड़ी जिनमें से ज़्यादातर को अदालत से क्लीन चिट मिल गई। केजरीवाल के दफ़्तर और घर पर भी छापे पड़े और उनके प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार को जेल भी जाना पड़ा। 

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