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मुख्यमंत्री चन्नी ने सिद्धू को फ़ोन कर कहा- चलिए, बैठकर मुद्दों को सुलझाते हैं

मुख्यमंत्री चन्नी ने सिद्धू को फ़ोन कर कहा- चलिए, बैठकर मुद्दों को सुलझाते हैं

नवजोत सिंह सिद्धू को क्या मनाने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं? मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने फ़ोन कर सिद्धू से बात की है तो क्या वह बैठ कर बातचीत करेंगे?

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी क्या नवजोत सिद्धू की नाराज़गी को दूर करने को तैयार हैं? उन्होंने कहा है कि सिद्धू से उन्होंने फ़ोन पर बात की है। उन्होंने पंजाब कांग्रेस को एक परिवार के तौर पर पेश करते हुए सिद्धू को परिवार का मुखिया करार दिया। समझा जाता है कि जिन बातों को लेकर सिद्धू को आपत्ति है उनको लेकर दोनों के बीच बातचीत हुई है।

सिद्धू के इस्तीफ़े को लेकर चन्नी ने कहा, 'जो कोई भी पार्टी अध्यक्ष होता है, वह परिवार का मुखिया होता है। मैंने सिद्धू को फ़ोन किया था और उन्हें बताया था कि पार्टी सर्वोच्च है... मैंने उनसे फोन पर बात की है और उनसे कहा है कि चलिए बैठते हैं, बात करते हैं और इस मुद्दे को सुलझाते हैं।' 

इसके साथ ही चन्नी ने घोषणा की है कि राज्य में 1200 करोड़ के बकाया बिजली बिल माफ़ किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पैसे को पंजाब सरकार बिजली कंपनियों को देगी। उन्होंने कहा कि इससे 53 लाख परिवारों को फायदा होगा। कहा गया है कि 2 केवी तक बिजली मीटर इस्तेमाल करने वालों के बकाया बिजली बिल माफ किए जा रहे हैं। कटे हुए बिजली कनेक्शन दोबारा बहाल भी किए जाएँगे।

बहरहाल, मुख्यमंत्री चन्नी का यह बयान तब आया है जब सिद्धू ने आज सुबह ही एक वीडियो जारी कर कहा है कि वह आख़िरी दम तक लड़ते रहेंगे। सिद्धू ने उस वीडियो को ट्वीट कर कहा, 'मेरी लड़ाई मुद्दे की है, मसले की है और पंजाब के पक्ष में एक एजेंडे की है। इस पर मैं बहुत लंबे समय से अडिग हूँ। पंजाब समर्थक एजेंडे पर कोई समझौता नहीं हो सकता। मैं आलाकमान को कभी गुमराह नहीं कर सकता और न ही उसे गुमराह होने दे सकता हूँ।'

सिद्धू ने मंगलवार को अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया था। माना जा रहा है कि उनकी आपत्ति इस बात को लेकर है कि चन्नी मंत्रिमंडल में सिद्धू के समर्थकों को उतनी जगह नहीं मिली और कैबिनेट विस्तार में सिद्धू की उस तरह की नहीं चली। 

कहा जा रहा है कि सिद्धू की आपत्ति इस बात पर है कि कुछ फ़ैसलों में सिद्धू से सलाह नहीं ली गई थी या फिर हाल ही में शीर्ष नियुक्तियों में उनकी अनदेखी की गई थी।

माना जाता है कि जिनपर सिद्धू को आपत्ति है उनमें से एक राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करना भी है। गुरजीत सिंह पर बालू खनन घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था और उन्हें 2018 में पद से हटा दिया गया था। समझा जाता है कि सिद्धू खुद नहीं चाहते थे कि गुरजीत सिंह को मंत्री बनाया जाए। 

कहा जा रहा है कि ए. पी. एस. देओल को एडवोकेट जनरल बनाये जाने पर भी आपत्ति है। इस पर सरकार की आलोचना हुई क्योंकि देओल उस डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील हैं, जिनके पद पर रहते हुए गुरु ग्रंथ साहिब के साथ बदसलूकी की गई थी और इसके ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन पर गोलियाँ चलाई गई थीं। सिद्धू देओल को एडवोकेट जनरल बनाए जाने के ख़िलाफ़ हैं। समझा जाता है कि मंत्रिमंडल के विभागों के बंटवारे को लेकर भी सिद्धू को आपत्ति है। इसके अलावा भी कई मुद्दों को लेकर सिद्धू नाराज़ बताए जाते हैं। 

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