+
केरल: निलंबित डीजीपी बोले, और जोर से लगाएँ ‘जय श्री राम’ का नारा

केरल: निलंबित डीजीपी बोले, और जोर से लगाएँ ‘जय श्री राम’ का नारा

‘जय श्री राम’ के नारे को और ज़्यादा जोर से लगाए जाने की ज़रूरत है। यह कहा है केरल के निलंबित डीजीपी जैकब थॉमस ने। 

‘जय श्री राम’ के नारे को और ज़्यादा जोर से लगाए जाने की ज़रूरत है। यह कहा है केरल के निलंबित डीजीपी जैकब थॉमस ने। हाल ही में केरल के थ्रिसूर में एक रामायण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए थॉमस ने कहा, ‘क्या हम उस स्थिति में पहुँच गए हैं, जहाँ हम ‘जय श्री राम’ का नारा तक नहीं लगा सकते। यह वह समय है जब हमें इस नारे को लगाना चाहिए और और ज़्यादा जोर से लगाना चाहिए।’

थॉमस ने इस बात पर जोर दिया कि देश में भगवान राम के नाम की जय-जयकार नहीं हो रही है। उन्होंने कहा, ‘क्या राम अब भी हमारे देश में हैं। अगर हम उस अवस्था में पहुँच गए हैं जहाँ हम राम की जय-जयकार नहीं कर सकते तो हमें सोचना चाहिए कि क्या हम ग़लत इंसान बन गए हैं।’ 

बता दें कि केरल सरकार ने थॉमस को दिसंबर 2017 में ओखी चक्रवात के दौरान सरकार के बचाव कार्यों की आलोचना करने के कारण निलंबित कर दिया था। लेकिन केरल सरकार को इस मामले में ताज़ा झटका लगा है क्योंकि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की एर्नाकुलम पीठ ने हाल ही में आदेश दिया कि थॉमस को उनके समकक्ष पद पर तत्काल बहाल किया जाए। 

मॉब लिन्चिंग को लेकर लिखा पत्र

बता दें कि इन दिनों ‘जय श्री राम’ के नारे को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। ऐसी कई घटनाएँ सामने आई हैं जब मुसलमानों को ‘जय श्री राम’ न कहने को लेकर निशाना बनाया गया है। इसे लेकर हाल ही में फ़िल्म और कला जगत की 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मॉब लिन्चिंग और 'जय श्री राम' के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाये जाने की घटनाओं को रोकने की अपील की थी। 

पत्र में कहा गया था कि बेहद दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि ‘जय श्री राम’ का नारा युद्धोन्माद पैदा करने वाला बन गया है और इसके नाम पर ही हत्या की कई घटनाएँ हो चुकी हैं।

पत्र में कहा गया था कि मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों को ख़िलाफ़ हो रही मॉब लिन्चिंग की घटनाओं को तुरंत रोका जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में नाटकीय मोड़ तब आया था जब फ़िल्म और कला जगत की ही 62 हस्तियों ने इस पत्र के जवाब में एक नया पत्र लिखकर पलटवार किया था। इन लोगों ने पहले पत्र लिखने वाले लोगों पर ‘गिने-चुने मामलों में ग़ुस्सा दिखाने’, ‘झूठे नैरेटिव तैयार करने’ और राजनीतिक पूर्वाग्रह से ऐसा करने का आरोप लगाया था।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें