चाँद के सफर पर निकला चंद्रयान-2
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 स्पेसक्राफ़्ट को लॉन्च कर दिया है। इसे दोपहर ठीक 2.43 बजे लाँच किया गया। यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से की गई। चंद्रयान 48वें दिन चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इससे पहले इसे 14-15 जुलाई की रात 2.51 बजे लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी दिक़्क़त आने के चलते इसे लॉन्चिंग से ठीक पहले रोक दिया गया था। आइए, जानते हैं चंद्रयान 2 से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें।
#ISRO#GSLVMkIII-M1 lifts-off from Sriharikota carrying #Chandrayaan2
— ISRO (@isro) July 22, 2019
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चंद्रयान-2 का पहला हिस्सा लगभग 44 मीटर लंबा और 640 टन का जीएसएलवी-एमके-III है और यह पृथ्वी की कक्षा तक जाएगा। चंद्रयान का दूसरा हिस्सा ऑर्बिटर है। तीसरा हिस्सा लैंडर 'विक्रम' है जो चाँद की सतह पर उतरेगा और चौथा हिस्सा रोवर 'प्रज्ञान' है। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने बताया कि इस अभियान की सबसे ख़ास बात यह है कि चंद्रयान चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। आज तक चंद्रमा के इस हिस्से में कोई भी नहीं पहुँच सका है।
चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे। ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों तरफ़ चक्कर लगाते हुए ‘विक्रम’ और ‘प्रज्ञान’ से मिले डाटा को इसरो केंद्र को भेजेगा।
चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाले चंद्रयान-2 से हमें क्या फायदे होंगे, अब इस पर बात करते हैं। बताया जाता है कि चंद्रमा का दक्षिण ध्रुव औद्योगिक उत्खनन के लिए सबसे बेहतर जगहों में से एक है। चीन की योजना भविष्य में इस इलाक़े में अपनी बस्ती बसाने की है। इसरो के मुताबिक़, चंद्रयान-2 चंद्रमा के भौगोलिक वातावरण, खनिजों और पानी के बारे में सूचना इकट्ठा करेगा। बता दें कि चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहाँ पानी होने के बारे में बताया था। बाद में नासा ने भी चंद्रयान-1 के आंकड़ों के आधार पर चंद्रमा पर बर्फ होने की पुष्टि की थी।
चंद्रमा पर हीलियम-3 की खोज के लिए भारत लगातार कोशिश कर रहा है। इससे भारत को काफ़ी मात्रा में ऊर्जा मिल सकती है। यह ऊर्जा तेल, कोयले और परमाणु कचरे से होने वाले प्रदूषण से मुक्त होगी और इसी पर भारत की नज़र लगी हुई है।
इसरो के पूर्व चेयरमैन माधवन नायर ने चंद्रयान-1 को चंद्रमा पर भेजने के दौरान कहा था कि यह चंद्रमा की सतह पर हीलियम-3 की तलाश करेगा जिससे भविष्य में परमाणु रिएक्टर चलाए जा सकेंगे। लेकिन हीलियम-3 चंद्रमा से निकालेंगे कैसे, इस बारे में अभी स्थिति साफ़ नहीं है।
परमाणु रिएक्टरों में हीलियम-3 के इस्तेमाल से रेडियोएक्टिव कचरा नहीं पैदा होगा। इससे आने वाले सैकड़ों सालों तक धरती की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा। बताया जाता है कि चंद्रमा पर हीलियम-3 विशाल भंडार मौजूद है।
चंद्रयान 2 को इसरो के वैज्ञानिकों का महत्वाकांक्षी मिशन माना जा रहा है। और ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस मिशन में दो महिलाएँ भी शामिल हैं। मुथैया वनिता प्रोजेक्ट डायरेक्टर और रितु कारिधाल मिशन डायरेक्टर के तौर पर इस मिशन के लिए अहम भूमिका निभा चुकी हैं।
इतिहास की बात करें तो 20 जुलाई 1969 को मनुष्य पहली बार चाँद पर उतरा था। नासा ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों नील आर्मस्ट्रॉन्ग और आल्ड्रिन जूनियर को चाँद पर उतारा था। वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे और कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष जा चुकी हैं।
बता दें कि इसी साल मार्च में भारत ने अपने एंटी-सैटेलाइट हथियार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इसके बाद भारत अंतरिक्ष क्षमताओं के मामले में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा हो गया था। इसरो की कोशिश है कि 2022 तक मिशन गगनयान पूरा हो जाए। इसके तहत तीन यात्रियों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे लेकर बेहद गंभीर हैं। विश्व भर में अंतरिक्ष में पैर जमाने को लेकर प्रतिस्पर्धा छिड़ी हुई है और ऐसे में भारत भी मजबूती से अपने क़दम इस दिशा में बढ़ा रहा है।