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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले चंडीगढ़ मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा क्यों दिया?

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले चंडीगढ़ मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा क्यों दिया?

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कथित धांधली को लेकर जिस सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे, उसकी सोमवार को होने वाली सुनवाई से पहले चंडीगढ़ में बड़ा फ़ैसला लिया गया। जानें क्यों लिया गया फ़ैसला।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कथित छेड़छाड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले रविवार शाम को बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 30 जनवरी को आप के कुलदीप कुमार को हराकर चुनाव जीता था। इस चुनाव में धांधली के आरोप लगे थे और वीडियो में पीठासीन अधिकारी को कथित तौर पर वोटों से छेड़छाड़ करते देखा गया था। इसको लेकर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी।

मेयर चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर को 16 वोट मिले थे। बीजेपी के ख़िलाफ़ कांग्रेस-आप गठबंधन में उतरे उम्मीदवार को 12 वोट मिले। इस प्रक्रिया में आठ वोट अवैध घोषित कर दिये गये। गठबंधन के पास कुल 20 पार्षद थे और माना जा रहा था कि चुनाव में कांग्रेस-आप के उम्मीदवार को हराना मुश्किल होगा। कांग्रेस-आप गठबंधन के 8 वोट रद्द होते ही बीजेपी जीत गई थी। इस चुनाव को इंडिया गठबंधन की पहली महत्वपूर्ण लड़ाई क़रार दिया गया था।

आप और कांग्रेस ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली किए जाने का आरोप लगाया। आरोप लगाया कि नियमों से पूरी तरह हटकर, पीठासीन अधिकारी ने पार्टियों के नामांकित व्यक्तियों को वोटों की गिनती की निगरानी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

आप की ओर से आरोप लगाया गया कि 'पीठासीन अधिकारी ने बहुत ही अजीब ढंग से सदन को संबोधित किया कि वह चुनाव लड़ रहे दलों द्वारा नामित सदस्यों से कोई सहायता नहीं चाहते हैं और वह वोटों की गिनती खुद करेंगे। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने आवाज़ उठाई लेकिन उनके अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उपायुक्त, प्रतिवादी नंबर 2 और तय प्राधिकारी, जो पिछले साल के चुनाव में भी इसी पद पर थे, चुप रहे।'

यह भी आरोप लगाया गया कि चुनाव के वीडियो से पता चलता है कि पीठासीन अधिकारी ने केवल भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से वोटों को एक टोकरी से दूसरी टोकरी में बदल दिया, जिसके दौरान उन्होंने जालसाजी और छेड़छाड़ करके चुनाव प्रक्रिया में पूरी तरह गड़बड़ी की।

बहरहाल, मेयर मनोज सोनकर द्वारा इस्तीफा दिए जाने को लेकर सफ़ाई में चंडीगढ़ बीजेपी प्रमुख जतिंदर मल्होत्रा ने कहा, 'मेयर ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया है। आप और कांग्रेस वोटों में गड़बड़ी के बेबुनियाद आरोप लगाकर माहौल खराब कर रहे हैं। अब, जब नए सिरे से चुनाव होंगे तो लोगों को पता चल जाएगा कि बहुमत किसे मिलता है।' द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि शनिवार को दिल्ली में पार्टी आलाकमान के साथ बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसके बाद पार्टी ने सोनकर से इस्तीफा देने को कहा।

बता दें कि सुनवाई से कुछ ही दिन पहले चंडीगढ़ भाजपा ने कथित तौर पर मतपत्रों को विकृत करने के आरोप में घिरे पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को भी अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से हटा दिया था।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सोनकर को हटाने की मांग कर रही थी। विपक्ष का आरोप था कि मसीह द्वारा मतपत्रों पर कुछ लिखने और आठ वोटों को अमान्य करने के बाद सोनकर जीते थे। मसीह चंडीगढ़ भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव थे। उन्हें सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना है। 18 जनवरी को जब मूल रूप से चुनाव होने थे, मसीह बीमार पड़ गए थे, जिसके कारण चुनाव 30 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

हार के बाद कांग्रेस-आप गठबंधन ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, और परिणाम को रद्द करने और चंडीगढ़ मेयर चुनाव फिर से कराने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में कहा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान जो हुआ वह 'लोकतंत्र का मजाक' था। इसने कहा, 'हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे'।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पीठासीन अधिकारी को अगली सुनवाई की तारीख, 19 फरवरी को उपस्थित होने के लिए भी कहा।

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