झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन तीस अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। इससे पहले सोमवार की रात चंपाई सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। साथ में असम के मुख्यमंत्री और झारखंड में बीजेपी के सह चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा भी थे।
देर रात हिमंता बिस्वा सरमा ने यह जानकारी अपने ‘एक्स’ पर साझा की है। उन्होंने बताया है कि 30 अगस्त को रांची में एक कार्यक्रम में चंपाई सोरेन आधिकारिक तौर पर बीजेपी में शामिल होंगे।
इसके साथ ही दस दिनों से झारखंड की राजनीति में जारी उथल- पुथल और चंपाई सोरेन के तीन राजनीतिक विकल्पों पर विराम लगा है। आठ दिनों में चंपाई सोरेन की दूसरी दफा दिल्ली यात्रा है। बीजेपी के चूल्हे पर चंपाई सोरेन की चढ़ी हांडी के उतरने के बाद अब उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर सबकी निगाहें टिकी हैं। झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इसकी भी चर्चा शुरू है कि चंपाई सोरेन के इस रुख से जेएमएम का कितना बिगड़ेगा और बीजेपी को कितना लाभ मिलेगा।
67 साल के चंपाई सोरेन अभी हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री हैं। वे सरायकेला से छह बार के विधायक भी हैं। झारखंड में नवंबर- दिसंबर में चुनाव संभावित है। संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी में शामिल होने से पहले 28-29 अगस्त को चंपाई सोरेन मंत्री पद से इस्तीफा देंगे।
लोकसभा चुनाव के वक़्त जेएमएम की विधायक और दल के प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन बीजेपी में शामिल हो गई थीं। उधर बोरियो से जेएमएम के विधायक लोबिन हेंब्रम ने भी बगावत की राह पहले ही पकड़ ली है। लोबिन हेंब्रम के भी बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज है। जाहिर तौर पर जेएमएम के सामने चुनौतियां भी हैं।
विधानसभा चुनाव को लेकर तेजी से बनते-बिगड़ते समीकरणों और चंपाई सोरेन के मौजूदा रूख के मद्देनज़र जेएमएम की पैनी नज़र इस तरफ़ लगी है और पार्टी को चुनावी मोर्चे पर संभाले रखने के लिए खुद हेमंत सोरेन कमान संभाल रहे हैं।
तीन दिनों पहले हेमंत सोरेन ने जमशेदपुर में कोल्हान से अपन दल के सभी विधायकों और सांसद के साथ बैठक की थी।
28 अगस्त को हेमंत सोरेन चंपाई सोरेन के ही गढ़ गम्हरिया में मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना की राशि लाभुकों के खाते में देने जा रहे हैं। इस योजना के तहत 21 से 50 साल की महिलाओं को सरकार हर महीने एक हजार रुपये की सहायता दे रही है।
बीजेपी के चूल्हे पर चढ़ी थी हांडी
2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान में विधानसभा की 14 सीटों में बीजेपी का खाता नहीं खुला था। इस बार लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए रिजर्व सभी पांच सीटों पर बीजेपी की हार से वैसे ही पार्टी के बड़े सेटबैक का सामना करना पड़ा है।
बीजेपी के रणनीतिकारों को यह परिणाम अंदर से परेशान भी करता रहा है। अब चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को एक बड़ा आदिवासी चेहरा ज़रूर मिल जाएगा, लेकिन चंपाई सोरेन के दम का लिटमस टेस्ट बाकी होगा।
इससे पहले 21 अगस्त को चंपाई सोरेन ने अपने गृह जिला सरायकेला के पैतृक गांव जिंतिलगोड़ा में कहा था कि वे राजनीति से संन्यास नहीं लेंगे। वे एक नया संगठन बनाएंगे। अगले एक हफ्ते में तस्वीर साफ हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि रास्ते में कोई साथी मिलेगा, तो राज्य हित में उसके साथ हाथ मिलाएंगे। पिछले चार दिनों से कोल्हान के अलग- अलग इलाकों में वे अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे थे और इन्हीं बातों पर जोर दे रहे थे।
चंपाई सोरेन की इन गतिविधियों से इन बातों को हवा मिलने लगी थी कि वे कोई नया संगठन बनाएंगे। इस बीच, 25 अगस्त को कोलकाता होते हुए फिर वे जब दिल्ली गए, तो नए सिरे से तमाम क़िस्म के कयासों का दौर शुरू हो गया। इन सबके बीच अंदर ही अंदर पक रही खिचड़ी में एक नया रंग उभरा।
दरअसल, मंगलवार, 26 अगस्त को चंपाई सोरेन जब दिल्ली में थे, तो इधर रांची में बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा का एक बयान सुर्खियों में था, जिसमें उन्होंने कहा, “हम खुद चाहते हैं कि चंपाई सोरेन बीजेपी में आएं और ताकत दें। चंपाई सोरेन बड़े लीडर हैं। पिछले पांच- छह माह से उनसे बातें होती रही हैं, पर कोई राजनीतिक बातें नहीं हुई हैं, पर मुझे लगता है कि अब समय आ गया है।“
इसके बाद हिमंता बिस्वा सरमा दिल्ली के लिए रवाना हुए। फिर रात में उन्होंने जानकारी साझा की। अंदरखाने जो कुछ चल रहा है, उसके मुताबिक चंपाई सोरेन अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को भी कोल्हान की एक सीट पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि 19 अगस्त को जब वे दिल्ली में थे, तो अपने एक्स पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें ये संकेत दे दिए थे कि वे जेएमएम से अलग हो रहे हैं। उनके इस फ़ैसले को उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की नाराज़गी के तौर पर भी देखा जा रहा था।
इस बीच, जेएमएम के वरिष्ठ नेता और चुनावों के रणनीतिकार स्टीफन मरांडी ने कहा है कि चंपाई सोरेन ने ग़लत फ़ैसला लिया है। इस फ़ैसले से उन्हें राजनीतिक नुक़सान होगा।