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यूपीएससी की परीक्षा में धर्मनिरपेक्षता वाले सवाल पर विवाद

यूपीएससी की परीक्षा में धर्मनिरपेक्षता वाले सवाल पर विवाद

यूपीएससी की परीक्षा में सवाल यह पूछा गया था कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक परंपराओं के सामने क्या-क्या चुनौतियाँ हैं। 

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। न्यूज़ वेबसाइट ‘द न्यूज़ मिनट’ के मुताबिक़, यूपीएससी की परीक्षा में सवाल यह पूछा गया था कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक परंपराओं के सामने क्या-क्या चुनौतियाँ हैं। यह सवाल यूपीएससी मेन की शनिवार को आयोजित हुई परीक्षा में पूछा गया। इस बात का पता चलने के बाद कई लोगों ने इस सवाल की आलोचना की है और कहा कि यह भारतीय संविधान में मौजूद धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत की एक तरह से अवमानना है।

यूपीएससी की ओर से 20 से 29 सितंबर तक सिविल सर्विसेज (मेन) की परीक्षा आयोजित की जा रही है। 

अजमल अरमाम नाम के ट्विटर यूजर ने इस सवाल के स्क्रीन शॉट को ट्वीट करते हुए कहा है कि किस तरह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुताबिक़ नौकरशाही को बनाने की कोशिश की जा रही है। 

कन्नन गोपीनाथन ने अजमल के जवाब में ट्वीट कर कहा, ‘इस सवाल को लेकर मेरे जवाब का पहला वाक्य होता कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता एक सकारात्मक अवधारणा है, जो सभी सांस्कृतिक प्रथाओं को साथ लेकर चलती है और उन्हें प्रोत्साहित भी करती है जबकि यह अंधविश्वासों और हानिकारक प्रथाओं के ख़िलाफ़ वैज्ञानिक सोच भी पैदा करती है। यह वही कन्नन गोपीनाथन हैं जिन्होंने कश्मीर में प्रतिबंध लगाये जाने के ख़िलाफ़ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। विवाद पैदा करने वाला यह सवाल जनरल स्टडीज के पेपर- 1 में पूछा गया था। 

‘द न्यूज़ मिनट’ के मुताबिक़, इस परीक्षा में बैठने वाले एक और परीक्षार्थी के मुताबिक़, पेपर में एक और सवाल था कि भारतीय समाज की अपनी संस्कृति को अद्वितीय बनाए रखने में किसकी भूमिका है। एक और सवाल था कि क्या राष्ट्रीय पहचान को बनाने में भारतीय पुनर्जागरण की कोई भूमिका थी

सिविल सर्विस की मेन परीक्षा में टेस्ट और इंटरव्यू दोनों होते हैं और जो उम्मीदवार लिखित परीक्षा में पास होने के लिए आवश्यक न्यूनतम अंक हासिल कर लेते हैं, इसके बाद उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है।

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