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एमपी में 700 करोड़ का सीजीएसटी इनपुट घोटाला, 5 अरेस्ट

एमपी में 700 करोड़ का सीजीएसटी इनपुट घोटाला, 5 अरेस्ट

मध्य प्रदेश में 700 करोड़ का सीजीएसटी इनपुट घोटाला पकड़ा गया है। मध्य प्रदेश में ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एजेंसियों ने दावा किया है कि अब उसने मास्टरमाइंड को भी पकड़ लिया है।

मध्य प्रदेश में सीजीएसटी इनपुट्स में घपले का एक बड़ा मामला फिर सामने आया है। सीजीएसटी और मध्य प्रदेश साइबर सेल की संयुक्त पड़ताल के बाद अब तक पांच आरोपी अरेस्ट किये गये हैं। इसके पहले भी इंदौर में ही बोगस कंपनियों द्वारा 1800 करोड़ का इनपुट लेकर सरकार को चूना लगाने का एक बड़ा मामला उजागर हो चुका है।

एसपी साइबर सेल इंदौर, जितेन्द्र सिंह ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया सीजीएसटी कार्यालय ने इंदौर के 6 पतों पर चलने वाली संदेहास्पद कंपनियों की सूची दी थी। साइबर सेल ने जांच की तो कंपनियां फर्जी निकलीं। छापेमारी हुई तो बड़ा घोटाला सामने आ गया। करीब 500 फर्जी कंपनियां बनाकर 700 करोड़ रुपयों का इनपुट ले लिये जाने की जानकारी अब तक की जांच में सामने आ चुकी है।

सामने आया है, बोगस दस्तावेजों की मदद से जीएसटी कंपनियां बनाकर इनपुट लिया जाता रहा। घोटाला करने वाले गिरोह में इंदौर के 90 फीसदी लोगों को शिकार बनाया। इनके आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के साथ घरों के पते भी उपयोग किये गये। 

पकड़े गये आरोपियों में आमिर अल्ताफ हलानी और अरशान रहीम मर्चेंट की पहचान, गोरखधंधे के कथित मास्टरमाइंड के रूप में हुई है। इस रैकेट से जुड़े आरोपी सुलेमान करीम अली मेघानी (29), शमशुद्दीन अमीन बोधानी (33) और फिरोज खान (36) को भी धरा गया है। सभी गुजरात के रहने वाले हैं। इनका मूल ठिकाना सूरत है। सुलेमान करीम, शमशुद्दीन और फिरोज खान को जेल भेज दिया गया है। जबकि आमिर और अरशान को कोर्ट में पेश करने के बाद रिमांड पर मांगा गया है। 

 

पड़ताल में सामने आया है कि सीजीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की हेरफेर करने के लिए आरोपी फर्जी कंपनियां बनाकर सरकारी पोर्टल पर उनका तेजी से पंजीयन करवा रहे थे। जांच के अनुसार सैकड़ों फर्जी कंपनियां बनाकर व्यापारियों व कंपनियों से इनपुट टैक्स क्रेडिट लिमिट जारी करने के नाम पर 700 करोड़ से ज्यादा के लेन-देन की जानकारी अब तक सामने आयी है। आरोपी आमिर अल्ताफ हलानी और अरशान रहीम मर्चेंट फर्जी कंपनियां बनाने में माहिर हैं।

500 कंपनियां ट्रैक की गईं

अब तक की जांच में 500 से ज्यादा कंपनियां ट्रैक की गई हैं। उनका कोई आधार नहीं है। इनके जिन खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ है, वे भी बोगस पाये गये हैं। इनके ट्रांजेक्शन पेटीएम वॉलेट और ई-वॉलेट में किए गए हैं, ताकि इनकी ट्रैकिंग जल्दी नहीं हो सके। वॉलेट में आए पैसों को आरोपी अन्य ई-वॉलेट में रोटेट कर खुद के निजी उपयोग के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। कंपनियों के डिजिटल फुटप्रिंट जुटा रही पुलिस

रिटायर्ड डीजीपी भी निशाना 

बोगस कंपनियां बनाकर केन्द्र और राज्य सरकार को चूना लगाने वाले आरोपियों ने मध्य प्रदेश के डीजीपी पद से रिटायर्ड अफसर एस.के.दास को भी नहीं बख्शा। इंदौर स्थित उनके घर का पता बोगस कंपनी बनाने के लिये दिया गया। दास के पास सीजीएसटी दफ्तर का नोटिस पहुंचा तो वे सकते में आ गये। जांच-पड़ताल की। सीजीएसटी को सूचित किया। साइबर सेल में मामला दर्ज कराया। दास की सूचना के बाद लोग सक्रिय हुए। इस तरह के अन्य केसों का पता चलने पर छानबीन आगे बढ़ी तो जांचकर्ता अधिकारी अवाक रह गए। आरोपियों के पास से बोगस सीलें, लेटरहेड और अन्य दस्तावेज भी बरामद किये गये हैं। जांचकर्ताओं ने घोटाले का दायरा बढ़ने की संभावनाएं जताई हैं। 

दो साल पहले भी 1800 करोड़ का फर्जीवाड़ा हुआ था

जीएसटी में बोगस बिल काटकर टैक्स चोरी करने का अन्य मामला दो साल पहले इंदौर में ही सामने आया था। आरोपियों ने 1800 करोड़ का घोटाला किया था। तब घोटाले का खुलासा मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग की टैक्स रिसर्च विंग ने किया था। 

रिसर्च विंग जब गहराई में गया था और सूक्ष्म जांच-पड़ताल की थी तो मामले में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा की 23 कंपनियां शामिल मिलीं थीं। इस पर तत्कालीन स्टेट टैक्स कमिश्नर राघवेंद्र सिंह ने सभी राज्यों के कमिश्नरों से बात कर सभी राज्यों में एक साथ कंपनियों के ठिकानों पर दबिश देकर धरपकड़ कार्रवाई को अंजाम दिलाया था।

वाणिज्यिक कर विभाग जीएसटी की स्टेट एंटी इवेजन विंग ने इसी साल फरवरी में जीएसटी में 315 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश किया था। इंदौर और नीमच के पतों पर बोगस कंपनियां बनाकर पहले फर्जी बिल काटे गए थे। बाद में इन बिलों के जरिये कागज पर ही कारोबार दिखाते हुए बोगस बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर उसे अन्य कंपनियों को पास कर दिया गया था। कई कंपनियां वाणिज्यिक कर विभाग की पकड़ में आई थीं। हालांकि तब घोटाला करने वालों का खुलासा पूरी तरह से नहीं हो पाया था। 

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