मोदी सरकार ने जिंदा पशु निर्यात विधेयक का मसौदा वापस क्यों लिया?
ज़िंदा पशुओं को निर्यात करने से जुड़े विधेयक के मसौदे को केंद्र सरकार को वापस लेना पड़ा है। ऐसा इसलिए कि सरकार को इसके लिए काफ़ी विरोध का सामना करना पड़ रहा था। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं, दक्षिणपंथी समूहों और जैन धार्मिक नेताओं ने इस विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे वापस लेने की मांग की थी। आरएसएस से जुड़े संगठन की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही थी।
ऐसे ही विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार ने पशुधन और पशुधन उत्पाद (आयात और निर्यात) विधेयक, 2023 के मसौदे को वापस ले लिया है। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो यह जिंदा पशुओं के निर्यात को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त करता।
यदि यह विधेयक पारित हो जाता तो वह पशुधन आयात अधिनियम, 1898 की जगह लेता। आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि पशुधन आयात अधिनियम, 1898 स्वतंत्रता से पहले का है और इसे समकालीन ज़रूरतों और मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार अपग्रेड करने की ज़रूरत महसूस हुई थी। आदेश में कहा गया कि पशुपालन विभाग की भूमिका मुख्य रूप से पशुपालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए पशु कल्याण सहित उन्नत पशुधन, स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता आदि के माध्यम से सहायता देने से जुड़ा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है कि परामर्श के दौरान यह महसूस किया गया कि प्रस्तावित मसौदे को समझने और आगे की टिप्पणियों या सुझावों की अनुमति देने के लिए अधिक समय की ज़रूरत थी। बता दें कि पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने 17 जून को सोशल मीडिया पर सवाल किया था कि कैसे विभाग ने "हितधारकों, आयातकों और निर्यातकों" से टिप्पणियां और सुझाव प्राप्त करने के लिए केवल 10 दिन दिए। यह समय सीमा 17 जून को समाप्त हो गई।
आदेश में यह भी कहा गया है कि पशु कल्याण के प्रति संवेदनशीलता और भावनाओं के मामले भी शामिल हैं, इसलिए विधेयक पर व्यापक परामर्श की ज़रूरत होगी।
संघ से जुड़ी संस्था का रुख क्या?
बिजनेस स्टैंडर्ड ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ के सूत्रों के हवाले से कहा है कि आवारा पशुओं के ख़तरे के लिए विधेयक रामबाण हो सकता है, लेकिन संगठन धार्मिक भावनाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं को आहत नहीं होने देगा।
मसौदे में यह भी कहा गया है कि केंद्र आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा पशुधन और पशुधन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक उपायों को निर्धारित करेगा।
कहा जाता है कि जिंदा पशुओं का निर्यात अभी इतना आसान नहीं है। पशु अधिकार समूहों ने कहा है कि इसीलिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक गुप्त तरीका अपनाया गया था। बता दें कि 2022-23 में भारत ने $5.11 मिलियन मूल्य के जिंदा पशुओं का निर्यात किया, जिनमें से अधिकांश भेड़ और बकरियां शामिल थीं।