केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि वे निकट भविष्य में कोरोना के नए हॉट स्पॉट बन सकते हैं। ऐसे में उन्हें अधिक लोगों की कोरोना जाँच करनी चाहिए।
क्या कहा स्वास्थ्य मंत्री ने
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्द्धन ने इन राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में उन्हें आगाह करते हुए कहा कि दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी मज़दूरों की वजह से वहाँ संक्रमण फैल सकता है।नए दिशा निर्देश में कहा गया है कि जिन लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे हों वे ट्रेन से अपने गृह राज्य लौट सकते हैं। लेकिन देश में ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है, जिनमें पहले कोरोना के लक्षण नहीं दिखे, लेकिन जाँच करने पर उनमें संक्रमण पाया गया।
केंद्र सरकार की चिंता यह है कि ऐसे लोग इन राज्यों को लौट कर वहाँ संक्रमण फैला सकते हैं। लिहाज़ा, इन राज्यों को बड़े पैमाने पर जाँच करनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल पर नज़र
पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार की निगरानी में विशेष रूप से है। वहाँ गई केंद्रीय टीम ने लौटने के बाद राज्य सरकार की तीखी आलोचना की।
केंद्रीय टीम ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना मृत्यु दर सबसे ऊँची है, वहाँ कोरोना मामलों को छिपा कर ग़लत आँकड़ा दिया गया है और लॉकडाउन प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश वे राज्य हैं, जहाँ जाँच की संख्या राष्ट्रीय औसत का 25 प्रतिशत है। रविवार को दस लाख लोगों पर 818 लोगों की कोरोना जाँच का राष्ट्रीय औसत था।
पश्चिम बंगाल में प्रति दस लाख लोगों पर 230 कोरोना जाँच हुई हैं। इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि यह राष्ट्रीय औसत का एक चौथाई है।
पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य कर्मियों के स्वयंसेवी संगठन 'बंगाली फ़ीजिशियन्स' ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिख कर कहा था कि राज्य में प्रति दस लाख 1,000 टेस्ट की क्षमता है।
बढ़ती मौतें!
पश्चिम बंगाल में 1,456 कोरोना मामले पाए गए हैं, 144 लोगों की मौत हो गई है और 364 रोगी स्वस्थ हो चुके हैं।ओड़िशा में कोरोना के 185 मामले पाए गए हैं, 65 लोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है और दो लोगों की मौत हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश में 2,998 मामले पाए गए हैं, 60 कोरोना रोगियों की मौत हो चुकी है और 1,130 लोग ठीक हो गए हैं।