राजस्थान के बाद अफसर की गिरफ्तारी पर तमिलनाडु में भी ईडी विवादों में
तमिलनाडु के डिंडीगुल में एक सरकारी कर्मचारी से कथित तौर पर 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें राज्य विजिलेंस और एंटी करप्शन विभाग ने गिरफ्तार किया है। ईडी के इस अधिकारी की पहचान अंकित तिवारी के रूप में हुई है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने अंकित तिवारी को 15 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
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ईडी अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद, ईडी के मदुरै कार्यालय में डिंडीगुल जिला सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी (डीवीएसी) ने शुक्रवार रातभर तलाशी ली। राज्य सरकार की एजेंसियों और उनके अधिकारियों ने अंकित तिवारी के आवास की भी तलाशी ली। मदुरै में ईडी दफ्तर के बाहर शनिवार 2 दिसंबर को भी पुलिस तैनात है और छापे का सिलसिला जारी है।
राजस्थान में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। राजस्थान पुलिस ने ईडी के एक अधिकारी को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इस घटना पर ईडी ने तमाम तरह की सफाई दी। समझा जाता है कि राजस्थान और तमिलनाडु में ईडी के अफसरों को गिरफ्तार किए जाने की घटना का संबंध विपक्ष के आरोपों से है। विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि केंद्र सरकार ईडी का दुरुपयोग विपक्षी सरकारों और नेताओं को डराने के लिए कर रही है। इधर ईडी की कार्रवाइयां भी विपक्षी शासित राज्यों में बढ़ गई हैं।
सूत्रों ने बताया कि मामले की जांच से पता चला कि मदुरै और चेन्नई के और भी अधिकारी इस मामले में शामिल थे। अंकित तिवारी कथित तौर पर कई लोगों को ब्लैकमेल कर रहा था और उनसे करोड़ों रुपये की रिश्वत ले रहा था। सूत्रों ने बताया कि वह अन्य ईडी अधिकारियों को भी रिश्वत बांट रहा था।
सूत्रों ने कहा कि उनके पास से कुछ दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं और मामले के संबंध में मदुरै और चेन्नई कार्यालयों में ईडी के और अधिकारियों की तलाशी ली जा सकती है।
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कैसे खुला मामलाः 29 अक्टूबर को अंकित तिवारी ने कथित तौर पर डीवीएसी से जुड़े एक मामले के संबंध में डिंडीगुल के एक सरकारी कर्मचारी से संपर्क किया। हालांकि वो केस जो बंद हो चुका था। उन्होंने कर्मचारी को बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ईडी से मामले की जांच करने को कहा है।
अंकित तिवारी ने कर्मचारी को आगे की जांच के लिए 30 अक्टूबर को मदुरै में ईडी कार्यालय में उपस्थित होने के लिए भी कहा। जिस दिन कर्मचारी कार्यालय पहुंचा, ईडी अधिकारी ने कथित तौर पर जांच बंद करने के लिए उससे 3 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी।
1 नवंबर को सरकारी कर्मचारी ने कथित तौर पर 20 लाख रुपये की पहली किस्त ईडी अधिकारी को दी। बाद में ईडी अधिकारी ने उनसे पूरी राशि का भुगतान करने के लिए कहा, यह कहते हुए कि राशि को उच्च अधिकारियों को भी बांटा जाना है। उन्होंने भुगतान न करने पर सरकारी कर्मचारी को गंभीर कार्रवाई की धमकी भी दी।
अंकित तिवारी की बातों पर संदेह करते हुए, सरकारी कर्मचारी ने 30 नवंबर को डीवीएसी की डिंडीगुल इकाई में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। प्रारंभिक जांच से पता चला कि अंकित ने ईडी अधिकारी के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। डीवीएसी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
इसके बाद डीवीएसी ने अपना जाल बिछाया और शुक्रवार, 1 दिसंबर को अंकित तिवारी को कथित तौर पर सरकारी कर्मचारी से 20 लाख रुपये की दूसरी किस्त लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। 2016-बैच के अधिकारी, तिवारी पहले गुजरात और मध्य प्रदेश में भी तैनात रहे हैं।
ठीक एक महीना पहले 2 नवंबर को राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मणिपुर में तैनात एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारी और उसके सहयोगी को चिट फंड मामले से संबंधित मामले को निपटाने के लिए 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया।राजस्थान एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी के अनुसार, एक व्यक्ति ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी कि इंफाल, मणिपुर में ईडी के अधिकारी (ईओ) नवल किशोर मीणा उसकी संपत्ति कुर्क न करने के लिए 17 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।
शिकायत की पुष्टि करने के बाद, जयपुर में एसीबी के उप महानिरीक्षक डॉ. रवि के नेतृत्व में एक टीम ने मीणा और उसके साथी बाबूलाल मीणा को जयपुर में उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वे 15 लाख रुपये की रिश्वत ले रहे थे।