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प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर की विकलांगता की जांच के लिए पैनल गठित

प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर की विकलांगता की जांच के लिए पैनल गठित

सत्ता के कथित दुरुपयोग के लिए पुणे से स्थानांतरण के बाद सुर्खियों में आईं प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की विकलांगता संबंधी दावों की जाँच पर बड़ा फ़ैसला लिया गया है।

प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को अब जाँच का सामना करना पड़ेगा। केंद्र ने गुरुवार को एक एकल सदस्यीय समिति का गठन किया। इसकी अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। यह समिति पूजा खेडकर द्वारा संघ लोक सेवा आयोग को सौंपे गए हलफनामे में आँखों की रोशनी ख़राब होने और मानसिक रूप से बीमार होने के उनके दावे की जांच करेगी। समिति को दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

पूजा को कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग के लिए पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने कलेक्टर कार्यालय से विशेष विशेषाधिकार मांगे थे, जो उनके पद के लिए मंजूर नहीं थे। इसके बाद ही खेडकर को लेकर अन्य तथ्य भी सामने आए। इसमें से एक यह भी था कि खेडकर द्वारा बताई गई विकलांगताओं का उपयोग यूपीएससी चयन के दौरान विशेष रियायतें प्राप्त करने के लिए किया गया था। 

सिविल सेवा परीक्षा में पूजा खेडकर के एटेम्प्ट के बारे में जो जानकारी सामने आई है उसमें पता चला है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग को पेश हलफनामे में दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा किया था। खेडकर द्वारा बताई गई विकलांगताओं का उपयोग उनके यूपीएससी चयन के दौरान विशेष रियायतें प्राप्त करने के लिए किया गया था। परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद इन रियायतों के कारण उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफलता मिली।

चयन के बाद यूपीएससी ने उनकी विकलांगता की पुष्टि के लिए उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया। लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार खेडकर ने छह अलग-अलग मौकों पर इन परीक्षणों में शामिल होने से इनकार कर दिया।

दिल्ली के एम्स में उनकी पहली निर्धारित चिकित्सा जांच 22 अप्रैल, 2022 को थी, जिसे उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का दावा करते हुए छोड़ दिया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के एम्स और सफदरजंग अस्पताल में 26 और 27 मई को होने वाली अगली अप्वाइंटमेंट को भी छोड़ दिया गया। वह परीक्षणों से बचती रहीं। 1 जुलाई को एक और अप्वाइंटमेंट को छोड़ दिया। हालाँकि वह शुरू में 26 अगस्त, 2022 को एक चिकित्सा जाँच के लिए सहमत हुई थीं, लेकिन वह 2 सितंबर को महत्वपूर्ण एमआरआई के लिए नहीं आई, जिसका उद्देश्य उसकी आँखों की रोशनी का आकलन करना था। 

इन परीक्षणों में शामिल होने के बजाय, खेडकर ने एक बाहरी केंद्र से एक एमआरआई रिपोर्ट पेश की, जिसे यूपीएससी ने खारिज कर दिया।

इसके बाद यूपीएससी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में उनके चयन को चुनौती दी। इसने 23 फरवरी, 2023 को उनके ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इसके बावजूद बाद में उनके एमआरआई प्रमाण पत्र को स्वीकार कर लिया गया, जिससे उनकी आईएएस नियुक्ति की पुष्टि हुई। 

विकलांगता के दावों के अलावा, ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर दर्जे के खेडकर के दावों में भी गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने कहा कि पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर के चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई गई है। उनके पिता की संपत्ति को देखते हुए खेडकर का ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर दर्जे के लिए पात्रता सवालों के घेरे में है। दिलीप खेडकर ने वंचित बहुजन आघाड़ी के टिकट पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।

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