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ट्रेड यूनियनों का भारत बंद, कल से दो दिन प्रभावित हो सकते हैं बैंकों में कामकाज

ट्रेड यूनियनों का भारत बंद, कल से दो दिन प्रभावित हो सकते हैं बैंकों में कामकाज

ट्रेड यूनियनों के दो दिन की आम हड़ताल को बैंक कर्मचारी संघ ने समर्थन क्यों दिया है और क्या इससे बैंकों में कामकाज प्रभावित होंगे?

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने श्रमिकों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में सोमवार और मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसका अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी समर्थन किया है। कहा जा रहा है कि इस वजह से बैंकों में कामकाज प्रभावित हो सकता है।

इसने कहा है कि 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल में वे भाग लेंगे। इसने  फ़ेसबुक पर कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र हड़ताल में शामिल होगा।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग क़ानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक संघ हड़ताल में भाग ले रहे हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक ने एक बयान जारी कर ग्राहकों को जानकारी दी है कि 28 और 29 मार्च को बैंकिंग सेवाएँ प्रभावित हो सकती हैं।

22 मार्च 2022 को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की बैठक के बाद देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था। विभिन्न राज्यों में तैयारियों का जायजा लेने के बाद यूनियनों ने 'केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जनविरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों' के ख़िलाफ़ दो दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल की घोषणा की है।

हड़ताल में कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा और बीमा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों के भाग लेने की संभावना है। रेलवे और रक्षा क्षेत्र की यूनियनें देश भर में कई स्थानों पर हड़ताल के समर्थन में जन लामबंदी करेंगी।

यूनियनों की मांग में निजीकरण को रोकना, एनएमपी को खत्म करना, मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार शामिल है।

सेंट्रल ट्रेड यूनियन उम्मीद कर रही है कि 56 करोड़ भारतीय कर्मचारियों में से कम से कम 20 करोड़ कर्मचारी 28 और 29 मार्च को दो दिवसीय आम हड़ताल में भाग लेंगे। सीटीयू ने विभिन्न कारखानों, कार्यालयों और संगठनों को नोटिस जारी किया है कि वे दोनों दिन काम पर हड़ताल करेंगे। सीटीयू ने हाल ही में एक संयुक्त बयान में कहा कि विरोध केंद्र की "मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों" के खिलाफ है।

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