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केंद्र सरकार लाइफ इंश्योरेंस और मेडीक्लेम पॉलिसी पर से जीएसटी हटाएः गडकरी

केंद्र सरकार लाइफ इंश्योरेंस और मेडीक्लेम पॉलिसी पर से जीएसटी हटाएः गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह मांग करके अपनी ही सरकार को चौंका दिया है कि जीवन बीमा (लाइफ इंश्योरेंस) पर से जीएसटी हटाई जाए। गडकरी सरकार में भी रहकर वाजिब बातों को उठाते रहते हैं। जानिए वित्त मंत्री को लिखे पत्र में गडकरी ने और क्या कहाः

केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीवन और चिकित्सा बीमा योजनाओं के प्रीमियम पर लगाए गए जीएसटी को वापस लेने का अनुरोध किया है। गडकरी के इस बयान से भाजपा हैरान है। गडकरी का यह पत्र ऐसे समय सामने आया है जब केंद्रीय बजट 2024 की चौतरफा तीखी आलोचना हो रही है। आम लोगों से लेकर उद्योग जगत तक ने इस बजट को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया। ऐसे में गडकरी की मांग एक तरह की आलोचना ही मानी जाएगी।

 - Satya Hindi

गडकरी ने अपने पत्र में कहा है कि वह नागपुर डिविजनल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के एक ज्ञापन के बाद वित्त मंत्री को पत्र लिख रहे हैं। गडकरी ने लिखा है कि  "कर्मचारी संघ द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा जीवन और मेडिकल बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को वापस लेने से संबंधित है। जीवन बीमा और मेडिकल बीमा प्रीमियम दोनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगती है। जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जिन्दगी की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने की तरह है।“

गडकरी ने लिखा है "कर्मचारी संघ का मानना ​​है कि जो व्यक्ति परिवार को कुछ सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को कवर करता है, उस पर इस जोखिम के खिलाफ कवर खरीदने के लिए प्रीमियम पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। इसी तरह, चिकित्सा बीमा (मेडीक्लेम पॉलिसी) प्रीमियम पर 18% जीएसटी इस क्षेत्र की वृद्धि में बाधा बन रहा है। सामाजिक रूप से यह जरूरी है  कि इन पर से जीएसटी को वापस लिया जाए।"

बीमा कर्मचारी संघ ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। आम लोग भी काफी दिनों से मेडीक्लेम पॉलिसी औऱ जीवन बीमा पॉलिसी पर जीएसटी लगाने की वजह सरकार से बार-बार पूछ रहे थे। लोगों का कहना था कि अगर सरकार लोक कल्याण की बात कहती है तो इन दो बीमा प्रीमियम पर जीएसटी क्यों। मेडीक्लेम पॉलिसी की वजह से निजी अस्पतालों ने इलाज वैसे ही महंगा कर रखा है। उस पर जीएसटी वसूलने से लोगों की हालत खराब है। जनता को यह जीएसटी दो बार देना पड़ती है, एक बार मेडीक्लेम पॉलिसी का प्रीमियम चुकाते हुए और इलाज का बिल भरते समय। गडकरी का यह भी कहना है कि उनसे मिलने वाले कर्मचारी संघ ने जीवन बीमा के माध्यम से बचत के लिए अलग-अलग इलाज, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए इनकम टैक्स कटौती, सार्वजनिक और क्षेत्रीय सामान्य बीमा कंपनियों के एकीकरण से संबंधित मुद्दे भी उठाए।

गडकरी ने पत्र के अंत में लिखा है- "उपरोक्त के मद्देनजर, आपसे अनुरोध है कि जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को हटाने के सुझाव पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करें क्योंकि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी बोझ है।" 

मोदी सरकार में गडकरी एकमात्र मंत्री है, जिनकी अलग छवि है और वो खरी बात कहने के लिए जाने जाते हैं। मेडीक्लेम और जीवन बीमा पर जीएसटी का मुद्दा देश में गंभीर हो सकता है। गडकरी के बाद विपक्ष भी इस मुद्दे पर जोर दे सकता है। मेडीक्लेम पर दो बार बार जीएसटी भरने के खिलाफ अब माहौल बनेगा। जैसा कि ऊपर बताया गया है- मेडीक्लेम पॉलिसी लेते समय जीएसटी देना पड़ता है, फिर अस्पताल में बिल भरते समय भी जीएसटी देना पड़ता है। ऐसे में मेडीक्लेम वाले दो बार जीएसटी भरते हैं। 

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