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कोरोना- 5 राज्यों में कम पड़ सकते हैं आईसीयू-वेंटिलेटर जैसे उपकरण: केंद्र

कोरोना- 5 राज्यों में कम पड़ सकते हैं आईसीयू-वेंटिलेटर जैसे उपकरण: केंद्र

अब तो केंद्र सरकार ने ही कह दिया है कि जिस गति से कोरोना संक्रमण बढ़ते जा रहा है उससे जल्द ही दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे पाँच राज्यों में आईसीयू-वेंटिलेटर जैसे उपकरण कम पड़ जाएँगे।

अब तो केंद्र सरकार ने ही कह दिया है कि जिस गति से कोरोना संक्रमण बढ़ते जा रहा है उससे जल्द ही दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे पाँच राज्यों में आईसीयू-वेंटिलेटर जैसे उपकरण कम पड़ जाएँगे। दिल्ली और महाराष्ट्र के अलावा ये राज्य हैं- तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश। केंद्र ने इन राज्यों को चेताया है कि जिस तरह से अभी केस बढ़ने की स्थिति है और उन राज्यों में उपलब्ध संसाधन हैं उससे मरीज़ों की गंभीर स्थिति में काम आने वाले ये उपकरण कम पड़ सकते हैं। 

केंद्र की यह चेतावनी तब आई है जब इसने गुरुवार को कोरोना की स्थिति पर एक प्रजेंटेशन पेश किया है। वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने राज्यों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के सामने यह प्रजेंटेशन दिया। इसी में यह अनुमान लगाया गया।

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के लिए अनुमान लगाया गया है कि शहर में काफ़ी पहले ही 3 जून को आईसीयू बेड कम पड़ गए होंगे, आज यानी 12 जून से वेंटिलेटर कम पड़ जाएँगे और 25 जून से ऑक्सीजन से जुड़े आइसोलेशन बेड कर पड़ जाएँगे। बता दें कि क्रिटिकल केयर यानी गंभीर अवस्था वाले इलाज में ऑक्सीजन थैरेपी, आईसीयू और वेंटिलेटर शामिल हैं। यानी इलाज के दौरान इन तीनों में से किसी एक की भी ज़रूरत पड़ने पर मरीज़ को गंभीर स्थिति में माना जाता है। 

दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण काफ़ी तेज़ी से बढ़ा है। 24 घंटे में राज्य में 1877 नये पॉजिटिव केस सामने आए हैं। यह राज्य में एक दिन में सबसे ज़्यादा है। इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 34 हज़ार 687 से ज़्यादा हो गई है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीन दिन पहले ही कहा है कि कोरोना संक्रमण के मामले इसी रफ़्तार के साथ बढ़ते रहे तो 31 जुलाई तक राजधानी में संक्रमण के मामलों की संख्या 5.5 लाख तक पहुँच सकती है। 

महाराष्ट्र के बारे में अनुमान लगाया गया है कि 8 अगस्त तक राज्य में आईसीयू बेड कम पड़ जाएँगे, जबकि 27 जुलाई तक वेंटिलेटर कम पड़ने की आशंका है। बता दें कि महाराष्ट्र में देश में सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं और यह संख्या 97 हज़ार को पार कर गई है। केंद्र के प्रजेंटेशन के अनुसार, तमिलनाडु में 9 जुलाई तक आईसीयू बेड और वेंटिलेटर कम पड़ जाएँगे और ऑक्सीजन वाले आइसोलेशन वार्ड 21 जुलाई तक कम पड़ जाएँगे। 

संक्रमण के ऐसी ही रफ़्तार से बढ़ने पर कुछ ऐसे ही अनुमान पाँच राज्यों-केंद्र शासित प्रदेश- हरियाणा, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए भी लगाए गए हैं और उन्हें व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दो महीने पहले ही तैयारी करने को कहा गया है।

हालाँकि चिंता की बात यह है कि पहले जहाँ 100 लोगों की जाँच होने पर 4.87 फ़ीसदी लोग पॉजिटिव आ रहे थे वहीं अब यह दर बढ़कर 5.7 हो गई है। 13 राज्यों में 46 ज़िले ऐसे हैं जहाँ 9 जून तक पॉजिटिव आने की दर 10 फ़ीसदी से ज़्यादा थी। महाराष्ट्र, दिल्ली और तेलंगाना के कई ज़िले ऐसे हैं जहाँ यह दर क़रीब 20 फ़ीसदी है। 

राज्य स्तर पर महाराष्ट्र, दिल्ली और तेलंगाना में जाँच किए गए लोगों में से 10 फ़ीसदी लोगों में कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि होती है। 

यह स्थिति तब होने वाली है जब संक्रमण के मामले भले ही बढ़ रहे हों, लेकिन संक्रमण के डबलिंग यानी दोगुने होने के दिन ज़्यादा होते जा रहे हैं। दो हफ़्ते पहले जहाँ संक्रमण के मामले 14.1 दिन में दोगुने हो रहे थे वह अब 16.9 दिन में दोगुने हो रहे हैं। मृत्यु दर में भी सुधार होना बताया गया है। क़रीब एक पखवाड़ा पहले जहाँ 2.96 फ़ीसदी लोगों की मौत हो रही थी वह दर अब कम होकर 2.90 रह गई है। 

69 ज़िलों में मृत्यु दर 5 फ़ीसदी

देश के 13 राज्यों में 69 ज़िले ऐसे हैं जहाँ कोरोना मरीज़ों की मृत्यु दर 5 फ़ीसदी है। यानी हर 100 कोरोना मरीज़ों में से 5 मरीज़ों की मौत हो जा रही है। इनमें से 51 ज़िले तो सिर्फ़ चार राज्यों- मध्य प्रदेश (21), यूपी (11), महाराष्ट्र (10) और गुजरात (9) में हैं। 

केंद्र सरकार के इस प्रजेंटेशन के बाद उन राज्यों के बारे में चिंताएँ बढ़ेंगी जिन राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाएँ बिल्कुल ख़राब हालत में हैं। कहा जा सकता है कि बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में क्या हालात होंगे। ये वे राज्य हैं जहाँ प्रवासी मज़दूर लौटे हैं और संक्रमण शुरुआती दौर में है इसलिए इन राज्यों में ज़्यादा मरीज़ों की स्थिति गंभीर नहीं आई है। लेकिन ऐसा तो बिल्कुल ही नहीं कहा जा सकता है कि आगे इन राज्यों में स्थिति ख़राब नहीं होगी, वह भी तब जब विशेषज्ञ जून और जुलाई में देश भर में कोरोना संक्रमण के शिखर पर होने की बात कह रहे हैं। 

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