स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, याचिका नामंजूर
केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी केंद्र सरकार की एक याचिका को सुनवाई के लिए सूचिबद्ध करने से भी इंकार कर दिया है।
अपनी याचिका में केंद्र सरकार ने कुछ स्पेक्ट्रम को बिना नीलामी के प्रशासनिक आवंटन करने की अनुमति मांगी थी। केंद्र सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पष्टीकरण के लिए यह याचिका लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश 2 जी घोटाला सामने आने के बाद आया था। तब से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही स्पेक्ट्रम का आवंटन पारदर्शी और सार्वजनिक नीलामी के जरिए किया जाता है। अब सरकार कुछ स्पेक्ट्रम को बिना नीलामी के ही प्रशासनिक आवंटित करने की अनुमति चाहती है।
माना जा रहा है कि सरकार गैर व्यावसायिक या लोकहित के कुछ मामलों में बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम का आवंटन करना चाहती है लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट का 2012 में दिया गया फैसला जो अब कानून के तौर पर लागू है सबसे बड़ी बाधा है।
अब सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट उसे इस बात की अनुमति दे कि वह बिना नीलामी के भी कुछ मामलों में स्पेक्ट्रम का आवंटन कर सके। इसके लिए ही सरकार ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी जिसे रजिस्ट्रार ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेक्ट्रम जैसे दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन निजी कंपनियों को सिर्फ सार्वजनिक और पारदर्शी नीलामी के जरिए ही आवंटित किए जाते हैं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने 12 साल पहले 2जी स्पेक्ट्रम मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला दिया था जो कि अब कानून के रूप में लागू है।
नियमों के तहत सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्रार किसी भी याचिका को इस आधार पर नामंजूर कर सकता है कि इसमें कोई उचित कारण नहीं है या इसमें निंदनीय मामला है। हालांकि याचिका नामंजूर होने पर अब सरकार 15 दिन में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। उसके पास अपील करने के लिए 15 दिन का समय है।
द हिदू की रिपोर्ट कहती है कि केंद्र सरकार द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया था कि स्पेक्ट्रम न केवल वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिए बल्कि सुरक्षा और आपदा से निबटने की तैयारी जैसे सार्वजनिक हित के कार्यों को करने के लिए भी आवश्यक है।
2 जी स्पेक्ट्रम मामले में फरवरी 2012 को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पेक्ट्रम जैसे दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए राज्य को हमेशा व्यापक तौर पर प्रचार करने के बाद नीलामी का तरीका अपनाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि सभी पात्र व्यक्ति इस प्रक्रिया में भाग ले सकें।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन में ‘पहले आओ, पहले पाओ’ का नियम रद्द कर दिया था। इस नियम के तहत ही 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए थे।