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आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण नियमों में बदलाव अगले साल: केंद्र

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण नियमों में बदलाव अगले साल: केंद्र

ईडब्ल्यूएस कोटा मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आखिर सवाल क्यों थे कि एक गांव में एक व्यक्ति की कमाई की तुलना मेट्रो शहर में कमाई करने वालों के साथ कैसे की जा सकती है? जानिए, केंद्र सरकार ने क्या कहा।

केंद्र सरकार ने कहा है कि ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण नियमों में अगले साल बदलाव होगा। इसने कहा है कि क्योंकि इस साल मेडिकल कोर्स में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है इसलिए इसमें बदलाव करने में कई दिक्कतें आएँगी। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर ये बातें कही हैं।

केंद्र ने यह हलफनामा तब दाखिल किया है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पूछा था कि ईडब्ल्यूएस को आरक्षण के लिए अधिकतम आय की सीमा को 8 लाख रुपये कैसे तय किया गया है? यानी इसके लिए कौन सा तरीक़ा अपनाया गया है? 

अक्टूबर महीने में अदालत ने कहा था, 'आप किसी भी तरह से 8 लाख रुपये तय नहीं कर सकते हैं। कुछ डेटा होना चाहिए। समाजशास्त्रीय, जनसांख्यिकीय।'

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, '8 लाख रुपये ओबीसी कोटे के लिए भी निर्धारित सीमा थी क्योंकि इस समुदाय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के शिकार हैं लेकिन संवैधानिक योजना के तहत ईडब्ल्यूएस सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा हुआ नहीं है। इसलिए, दोनों के लिए एक समान योजना बनाकर आप असमान को समान रूप से देख रहे हैं।'

बता दें कि 103वें संवैधानिक संशोधन में अनुच्छेद 15 और 16 के तहत ईडब्ल्यूएस आरक्षण पेश किया गया था।

अदालत ने यह भी कहा कि 103वें संवैधानिक संशोधन में अनुच्छेद 15 और 16 के तहत शामिल स्पष्टीकरण में कहा गया है कि राज्य द्वारा समय-समय पर परिवार की आय और आर्थिक के अन्य संकेतकों के आधार पर श्रेणी को अधिसूचित किया जा सकता है।

तब सुप्रीम कोर्ट कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाओं में अन्य पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों यानी ईडब्ल्यूएस के लिए एनईईटी-पीजी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी यानी एमसीसी की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इसी को लेकर अदालत में सुनवाई हो रही थी।

इस मामले में शुक्रवार को दायर एक हलफनामे में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश भर में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण लाभार्थियों की पहचान करने के मौजूदा मानदंडों को इस शैक्षणिक वर्ष के लिए बरकरार रखा जाएगा। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने कहा कि अभी जब एनईईटी के छात्रों के लिए कॉलेजों का प्रवेश और आवंटन जारी है तब मानदंड में बदलाव करने से जटिलताएँ पैदा होंगी। सरकार ने कहा कि ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है।

संशोधित ईडब्ल्यूएस मानदंड में 8 लाख वार्षिक आय सीमा को बरकरार रखा गया है, लेकिन इस आय से अलग पाँच एकड़ या उससे अधिक की कृषि भूमि वाले परिवारों को शामिल नहीं किया गया है।

पिछली सुनवाई में नवंबर में सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि मौजूदा आय मानदंडों पर फिर से विचार किया जाएगा और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा।

अदालत यह भी जानना चाहती थी कि मानदंड पूरे भारत में कैसे लागू किया जा सकता है। इसने पूछा था, 'एक छोटे शहर या गांव में एक व्यक्ति की कमाई की तुलना मेट्रो शहर में कमाई करने वालों के साथ कैसे की जा सकती है?'

बता दें कि ईडब्ल्यूएस कोटा मुद्दे पर विवाद ने एनईईटी प्रवेश को इतना प्रभावित किया है कि पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी में जूनियर डॉक्टरों ने इस देरी के ख़िलाफ़ 14 दिनों का विरोध शुरू किया था। विशेषज्ञ समिति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के सहमत होने के बाद विरोध को रोक दिया गया था।

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