5 दिन के विशेष सत्र में एक दिन का एजेंडा बताया; ऐसा भी क्या छुपाना!
संसद के पाँच दिन के विशेष सत्र के लिए सरकार ने अब एक दिन का एजेंडा बताया है। लोकसभा और राज्यसभा की बुलेटिन के अनुसार संसद के विशेष सत्र के पहले दिन 18 सितंबर को दोनों सदनों में 'संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 वर्षों की संसदीय यात्रा- उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख' पर चर्चा होगी। इसमें यह नहीं बताया गया है कि इसके आगे के दिनों में क्या होगा। तो अब तक क्या इसी एजेंडे को 'छुपाया' जा रहा था और विपक्षी दलों द्वारा बार-बार पूछे जाने पर भी नहीं बताया जा रहा था? या फिर एजेंडे में अभी बड़ी चीजें बाकी हैं?
वैसे कहा जा रहा है कि सरकार लोकसभा में चार विधेयकों को भी मंजूरी देगी, जिनमें मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित विधेयक भी शामिल है। इस विधेयक ने काफी विवाद पैदा किया है। इस विधेयक के अलावा अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 शामिल हैं, जो पहले ही 3 अगस्त 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित किए जा चुके हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने क़रीब दो पखवाड़े पहले 18-22 सितंबर तक संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के बारे में जानकारी दी थी।
प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया ऐप एक्स पर पुराने संसद भवन और नए भवन की एक तस्वीर भी पोस्ट की थी, जिसका उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। विशेष सत्र की घोषणा राजनीतिक हलकों में चौंकाने वाली रही, क्योंकि इस सत्र का एजेंडा नहीं बताया गया। संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू होता है।
इसी बीच जब आज यानी बुधवार को सरकार ने बिना एजेंडे बताए गए विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई तो फिर से सरकार पर निशाना साधा गया। विशेष सत्र के एजेंडे का खुलासा नहीं करने के लिए सरकार पर निशाना साधते हुए, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “आज 13 सितंबर है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र अब से पांच दिन बाद शुरू होगा और एक आदमी को छोड़कर (शायद एकाध और हो) कोई नहीं जानता कि एजेंडा क्या है।
Today is September 13th. The five-day Special Session of Parliament will commence five days from now and nobody—barring One Man(ok, perhaps the Other One too)—has any sense of the agenda. On every previous occasion, when Special Sessions or Special Sittings were held, the list of…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 13, 2023
उन्होंने कहा कि अतीत में हर विशेष सत्र का एजेंडा पहले से पता होता था और आरोप लगाया कि यह केवल मोदी सरकार है जो संसदीय परंपराओं को तोड़ रही है।
क़रीब एक हफ्ते पहले मोदी सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखा था। उन्होंने विशेष सत्र के दौरान मणिपुर में हिंसा और केंद्र-राज्य संबंधों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की थी। ख़त में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि यह सत्र बिना किसी वार्ता के मनमाने ढंग से बुलाया गया है।
कांग्रेस नेता ने लिखा था, 'मुझे यह बताना चाहिए कि यह विशेष सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ किसी परामर्श के बिना बुलाया गया। हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमें बस इतना बताया गया है कि सभी पांच दिन सरकारी कामकाज के लिए आवंटित कर दिए गए हैं।' यह कहते हुए कि कांग्रेस निश्चित रूप से आगामी सत्र में भाग लेना चाहती है, सोनिया ने आम लोगों से जुड़ी चिंताओं और मामलों को सूचीबद्ध किया और कहा कि उम्मीद है कि इस पर चर्चा की जाएगी।
Here is the letter from CPP Chairperson Smt. Sonia Gandhi ji to PM Modi, addressing the issues that the party wishes to discuss in the upcoming special parliamentary session. pic.twitter.com/gFZnO9eISb
— Congress (@INCIndia) September 6, 2023
सोनिया ने पत्र में इन 9 मुद्दों का ज़िक्र किया था
- महंगाई, बेरोजगारी और MSMEs पर चर्चा हो।
- सरकार ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की बात की थी, उसकी मौजूदा स्थिति पर बात हो।
- अडानी मामले में जेपीसी की मांग पर चर्चा हो।
- जातीय जनगणना और जनगणना पर चर्चा हो।
- संघीय ढांचों पर हो रहे हमले और गैर-बीजेपी शासित राज्यों को उनके अधिकारों से वंचित किए जाने पर चर्चा हो।
- हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ जैसी आपदा और कई राज्यों में बनी अत्यधिक सूखे की स्थिति पर बात हो।
- लद्दाख-अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीन के अतिक्रमण पर चर्चा हो।
- हरियाणा जैसे अनेक राज्यों में फैले साम्प्रदायिक तनाव पर बात हो।
- मणिपुर की हिंसा पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे।