ट्रेन हादसे की जगह सीबीआई टीम पहुँची; क्या 'साज़िश' ढूंढी जाएगी?
ओडिशा ट्रेन हादसे में सीबीआई जाँच को लेकर आपत्ति जताए जाने के बीच मंगलवार को ओडिशा के बालासोर में दुर्घटना स्थल पर सीबीआई टीम पहुँच गई। शुक्रवार को हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना को लेकर दो दिन पहले ही रेल मंत्री ने कहा था कि रेलवे बोर्ड ने इस घटना की सीबीआई जाँच की सिफारिश की है। इस घोषणा के बाद ही आपत्ति जताई गई कि सीबीआई अपराधों की जाँच करने के लिए है, रेल दुर्घटनाओं की नहीं। कांग्रेस ने सीबीआई जाँच को लेकर आरोप लगाया कि इस हादसे की जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास से बचने के लिए डायवर्जन रणनीति ढूंढी जा रही है।
इस तरह की आपत्ति के बीच रेलवे अधिकारियों की ओर से संकेतों में कहा जाने लगा कि इस हादसे के पीछे कोई साज़िश है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि केवल एक शीर्ष एजेंसी द्वारा एक विस्तृत जाँच से ही प्वाइंट मशीन या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ आपराधिक छेड़छाड़, या ट्रेन की सिग्नलिंग में गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है।
रेलवे अधिकारियों ने पहले संकेत दिया था कि संभावित तोड़फोड़ और इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ छेड़छाड़ ट्रेन हादसे की वजह हो सकती है। वैसे, सरकार समर्थकों ने सोशल मीडिया पर भी हादसे में साज़िश के ऐंगल को ख़ूब हवा दी। लेकिन इस ऐंगल पर लगातार सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
एक दिन पहले ही कांग्रेस ने भी साज़िश के दावों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को इस बात पर हैरानी जताई कि जब रेल मंत्री को हादसे की वजह का पता चल गया है तो फिर सीबीआई की जाँच क्या कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा है, 'रेल मंत्री दावा करते हैं कि उन्हें पहले ही एक मूल कारण मिल गया है, लेकिन फिर भी उन्होंने सीबीआई से जांच करने का अनुरोध किया है।' उन्होंने पीएम को लिखे ख़त में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रभारी लोग- आप और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव- यह स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि समस्याएँ हैं।
दरअसल, सीबीआई जाँच को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा कि तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए सीबीआई जैसी कानून लागू करने वाली एजेंसियाँ जवाबदेही तय नहीं कर सकती हैं।
ओडिशा ट्रेन हादसे की सीबीआई जाँच की घोषणा के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2016 के कानपुर ट्रेन हादसे में एनआईए जाँच के नतीजों का ज़िक्र कर पूछा है कि उसका क्या नतीजा निकाला।
खड़गे ने पूछा, "इसके बाद आपने खुद 2017 में एक चुनावी रैली में दावा किया था कि यह 'एक साजिश' थी। राष्ट्र को आश्वासन दिया गया था कि सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। हालांकि, 2018 में एनआईए ने जांच बंद कर दी और चार्जशीट दायर करने से इनकार कर दिया। देश अभी भी अंधेरे में है- टाली जा सकने वाली 150 मौतों के लिए कौन ज़िम्मेदार है?"
बता दें कि 20 नवंबर 2016 की रात करीब तीन बजे इंदौर से राजेंद्र नगर (पटना) जा रही एक्सप्रेस ट्रेन कानपुर के पास पुखरायां में पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 150 लोगों की मौत हो गई थी। तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने हादसे के पीछे रेल की पटरी पर आई दरार के वजह होने की आशंका जताई थी।
तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था कि रेलवे बोर्ड सदस्य हादसे के कारणों की जांच कर रहे हैं और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा। इस हादसे के पीछे भी किसी तरह के षडयंत्र की बात कही गई। उसी के आधार पर एनआईए ने इसकी जांच भी शुरू की थी। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि इसमें कोई षडयंत्र नहीं पाया गया था। एनआईए की जाँच से अलग रेलवे की जांच में पांच रेल कर्मियों को इसके लिए दोषी पाया गया और उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
खड़गे ने कहा, 'अब तक के बयान और आवश्यक विशेषज्ञता के बिना एक और एजेंसी को शामिल करना हमें 2016 की याद दिलाता है। वे दिखाते हैं कि आपकी सरकार का सिस्टेमैटिक सुरक्षा की समस्या को दूर करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को पटरी से उतारने के लिए डायवर्जन रणनीति ढूंढी जा रही है।'
बहरहाल, इस विवाद के बीच सीबीआई जांच टीम मंगलवार सुबह बालासोर में दुर्घटनास्थल पर पहुंची। अब यह टीम जाँच का जिम्मा ओडिशा पुलिस से लेगी। ओडिशा पुलिस ने ट्रेन दुर्घटना में "लापरवाही से मौत और जीवन को खतरे में डालने" के आरोप में मामला दर्ज किया है। दो पैसेंजर ट्रेनों और एक मालगाड़ी के बीच हुए इस हादसे में 278 लोगों की मौत हो गई और क़रीब 1000 लोग घायल हो गए। अब देखना है कि सीबीआई अपनी जाँच में क्या पाती है?