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तस्करों ने संदिग्ध रूसी यूनिवर्सिटी में भेजा, युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया: CBI

तस्करों ने संदिग्ध रूसी यूनिवर्सिटी में भेजा, युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया: CBI

भारतीयों को धोखे से या जबरन रूसी सैनिकों में शामिल किए जाने के मामले में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। जानिए, तस्करों ने भारतीयों को कैसे धोखे से वहाँ भेजा।

रूस में फँसे और यूक्रेन युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किए जाने वाले भारतीयों को लेकर सीबीआई ने कार्रवाई की है। इसने कहा है कि रूस स्थित तीन एजेंटों सहित विभिन्न एजेंटों ने कथित तौर पर संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने के बहाने भारतीय छात्रों को धोखा दिया। रूस मुफ्त या रियायती वीज़ा एक्सटेंशन और फीस पर छूट जैसे आकर्षक ऑफर दे रहा है। सीबीआई ने कहा है कि उसे पता चला है कि रूस पहुँचने के बाद इन भारतीयों के पासपोर्ट रूस में एजेंटों द्वारा ले लिए गए और उन्हें उनकी मर्जी के विरुद्ध यूक्रेन युद्ध लड़ने के लिए रूस द्वारा मजबूर किया गया।

सीबीआई का यह बयान शुक्रवार को तब आया है जब एक दिन पहले ही इसने देश के सात शहरों में लगभग 15 स्थानों पर तलाशी ली थी। सीबीआई ने यह छापेमारी गुरुवार को दिल्ली, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई में की थी। इस मामले में सीबीआई ने एफ़आईआर भी दर्ज की है।

सीबीआई ने यह कार्रवाई तब शुरू की है जब रूस में इस तरह फँसे कई भारतीयों की ख़बरें आई हैं और उनको छुड़ाए जाने की सरकार से गुहार लगाई गई है। एक दिन पहले ही ख़बर आई थी कि यूक्रेन युद्ध में एक और भारतीय मारा गया। रिपोर्टों के अनुसार हैदराबाद के इस व्यक्ति को कथित तौर पर धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था।

पंजाब-हरियाणा के सात युवकों का वीडियो भी बुधवार को वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने जबरन युद्ध के मोर्चे पर भेजे जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा है कि उन्हें बंदूक तक चलाने नहीं आती है। उन्होंने कहा है कि वे रूस में पर्यटक के तौर पर घूमने गए थे, लेकिन धोखे से उन्हें युद्ध में झोंक दिया गया।

कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्रालय यानी एमईए ने कहा था कि भारत रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में काम करने वाले लगभग 20 भारतीयों को जल्दी छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है।

बहरहाल, अब सीबीआई ने छापे के बाद यह भी पाया है कि दिल्ली स्थित एजेंसियों में से एक ने कथित तौर पर लगभग 180 लोगों को रूस भेजा था, जिनमें से ज्यादातर छात्र वीजा पर थे। द इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि जाँच टीम अब इस बात की जाँच कर रही है कि इन सभी लोगों को रूस कैसे भेजा गया और इसमें दूतावास के कर्मचारियों की क्या भूमिका थी।

6 मार्च को दर्ज की गई अपनी पहली एफआईआर में सीबीआई ने यह भी कहा कि एजेंट/मानव तस्कर रूस में संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के बहाने भारतीय छात्रों को धोखा दे रहे हैं। सीबीआई ने यह भी कहा है कि उन्हें मुफ्त रियायती वीज़ा एक्सटेंशन, शुल्क संरचना आदि की पेशकश करके और उसके बाद उन्हें एजेंटों और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया जाता है।

एजेंसी ने एफ़आईआर में कहा, '…यह पता चला है कि रूस पहुंचने पर इन भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट रूस में एजेंटों द्वारा ले लिए गए या छीन लिए गए। उन्हें युद्ध की भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा था और रूसी सेना की वर्दी और बैच दिए जा रहे थे। बाद में इन भारतीय नागरिकों को उनकी मर्जी के विरुद्ध रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति पर तैनात किया गया और उनके जीवन को गंभीर खतरे में डाल दिया गया।' सीबीआई ने दावा किया है कि यह पता चला है कि कुछ मानव तस्करी पीड़ित भी युद्ध क्षेत्र में गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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