सरकार के ख़िलाफ़ बोलने पर जयसिंह के यहाँ पड़े छापे?
क्या सरकार के निशाने पर राजनीतिक विरोधियों के साथ साथ वे लोग भी है जो सरकार के मुखर विरोधी है यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर के दफ़्तर और घर पर छापे मारे हैं। ये छापे लॉयर्स कलेक्टिव नामक ग़ैरसरकारी संगठन से जुड़े हुए मामलों की जाँच के सिलसिले में डाले गए हैं। लॉयर्स कलेक्टिव मानवाधिकार पर काम करता है और इसके उल्लंघन से प्रभावित लोगों को क़ानूनी सहायता मुहैया कराता है।
सीबीआई ने जयसिंह के दिल्ली और मुंबई स्थित घरों, दफ़्तरों और संस्था के कार्यालयों पर छापे मारे हैं। जयसिंह पर फ़ॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट का उल्लंघन करने का आरोप है। लॉयर्स कलेक्टिव ने तमाम आरोपों को खारिज किया है।
पिछले महीने गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि इस ग़ैरसरकारी संगठन ने विदेशी चंदा लेने और उसके इस्तेमाल के मामले में कई तरह की गड़बड़ियाँ की हैं। जयसिंह पर किसी तरह की गड़बड़ी करने का आरोप नहीं है, लेकिन वह इस संस्था की ट्रस्टी और निदेशक हैं।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इसकी आलोचना की है । उन्होने कहा है कि इस तरह के छापे लोगों को डराने और परेशान करने के लिए डाले जाते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘ग़ैरसरकारी संगठन के विदेशी चंदे के कथित दुरुपयोग के मामले में इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर छापा मारना साफ़ साफ़ बदले की कार्रवाई है। मुक़दमा थोप देना और सरकारी एजेन्सियों से छापा डलवाना विरोधियों को परेशान करने और डराने का तरीका बन गया है।’
CBI raids at residence of Indira Jaisingh & Anand Grover in case of alleges misuse of foreign funding to their NGO is a clear act of Vendetta. Registration of cases & raids by Govt agencies has now become the way of govt to harass & intimidate opponentshttps://t.co/TrzChQXg9Q
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 11, 2019
इंदिरा जयसिंह ने कई मुद्दों पर सरकार की आलोचना की है। रफ़ाल का मुद्दा हो या मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप, इंदिरा जयसिंह काफ़ी मुखर रही है।
सीबीआई का दुरुपयोग
सीबीआई का कहना है कि लॉयर्स कलेक्टिव को 2006 से 2014 के बीच 32.39 करोड़ रुपये विदेशी चंदे के रूप में मिले। लेकिन इसमें कई तरह की गड़बड़ियाँ हुई हैं। इस वजह से ही फ़ॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 के तहत मामला दर्ज किया गया है।बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ सीबीआई के छापों की एक लंबी फेहरिस्त हैं। बीएसपी की मायावती हो या एसपी के मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहू डिंपल यादव हों, या तृणमूल कांग्रेस कई नेता, दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल, बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री लालू यादव और उनका परिवार या फिर पी चिदंबरम और उनका परिवार, कई नेताओं पर सीबीआई ने छापे मारे हैं। कई बार ये छापे ठीक चुनाव के पहले भी पड़े है।
विपक्ष के नेताओं ने बार बार यह आरोप लगाया है कि सीबीआई और दूसरी एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को डराने, धमकाने और चुप कराने के लिये किया गया है।
दूसरी ओर तृणमूल के नेता मुकुल राय का उदाहरण दिया जाता है। पहले उनके ख़िलाफ़ सारदा चिटफंड घोटाले में छापा पड़ा, उनसे पूछताछ हुई। लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद एजेंसियों ने उनकी तरफ़ रुख़ नहीं किया। तृणमूल छोड़ने के बाद से अब तक सीबीआई ने उन्हें एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है।