लालू को चारा घोटाला में मिली जमानत के ख़िलाफ़ SC पहुँची सीबीआई
चारा घोटाले से जुड़े मामलों में जाँच एजेंसी सीबीआई ने लालू यादव को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट इस याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख को झारखंड उच्च न्यायालय ने कम से कम चार मामलों में जमानत दे दी थी और सभी आदेशों को सीबीआई ने चुनौती दी है। चारा घोटाला- दुमका, चाईबासा, डोरंडा, देवगढ़ कोषागार से संबंधित है। उन्हें इन मामलों में दोषी ठहराया गया था और उनकी अपीलें विभिन्न अदालतों में लंबित हैं।
अनुमानित रूप से चारा घोटाला मामला 900 करोड़ रुपये का माना जाता है। इसमें 64 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 53 याचिकाएँ रांची में दायर की गईं। सीबीआई ने 23 जून, 1997 को दाखिल चार्जशीट में लालू प्रसाद और 55 अन्य लोगों को आरोपी बनाया और धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में मुक़दमे दर्ज हुए।
कुल मिलाकर 900 करोड़ रुपये के कथित चारा घोटाला मामले में आयकर विभाग ने पाया था कि लालू प्रसाद और राबड़ी देवी ने इसमें से 46 लाख रुपये लिए। लेकिन उस मामले से भी उच्चतम न्यायालय ने लालू प्रसाद को बरी कर दिया था। लेकिन सीबीआई और उसकी विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को अच्छे से रगड़ा। चारा घोटाला मामले को एक यूनिट न मानकर अलग अलग मामलों में लालू प्रसाद को अलग अलग सजाएँ सुनाई गईं, जिसे लालू प्रसाद को अलग-अलग सज़ा भुगतने के आदेश दिए गए।
कहा जाता है कि बिहार के चारा घोटाले की शुरुआत पशुपालन विभाग के छोटे स्तर के कर्मचारियों ने की थी, जिन्होंने कुछ फर्जी फंड ट्रांसफर दिखाए। उस समय बिहार और झारखंड अलग नहीं थे। मामला 1985 में पहली बार सामने आया था जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक टीएन चतुर्वेदी ने पाया कि बिहार के कोषागार और विभिन्न विभागों से धन निकाला जा रहा है और इसके मासिक हिसाब किताब में देरी हो रही है। साथ ही व्यय की ग़लत रिपोर्टें भी पाई गईं। क़रीब 10 साल बीतने पर यह बड़ा रूप ले चुका था।
लालू प्रसाद के शासनकाल में 1996 में राज्य के वित्त सचिव वीएस दुबे ने सभी ज़िलों के ज़िलाधिकारियों और डिप्टी कमिश्नरों को आदेश दिया था कि अतिरिक्त निकासी की जाँच करें। उसी समय डिप्टी कमिश्नर अमित खरे ने चाईबासा के पशुपालन विभाग के कार्यालय पर छापा मारा था।
इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में दस्तावेज़ मिले, जिसमें अवैध निकासी और अधिकारियों व आपूर्तिकर्ताओं के बीच साठगाँठ का पता चला। कई जाँच कमेटियाँ बनीं। जब बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने अदालत का रुख किया तो पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख तब किया है जब हाल के दिनों में लालू यादव प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के ख़िलाफ़ काफी आक्रामक रहे हैं। पिछले महीने ही लालू यादव ने तंज कसते हुए कहा था कि 'जो भी पीएम बनता है, उसे पत्नी के बिना नहीं रहना चाहिए। पत्नी के बिना पीएम आवास में रहना गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए।' इससे कुछ दिन पहले ही उन्होंने भोजपुरी में कहा था कि 'नरेंद्र मोदी समझ ल, ज्यादा जुल्म नहीं करना। कोई ठहरा नहीं। 2024 में उखाड़ के फेंक देब। तोहार का हाल होई? हम लोग फूल माला बेचकर जी लेंगे। जिस पर चाहो मुकदमा, मुकदमा मुकदमा करो। सिर्फ यही हो रहा है।'
पटना में विपक्षी दलों की बैठक में लालू यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'अब मैं पूरी तरह से फिट हो चुका हूं। अब मोदी जी को फिट कर देना है। ...देश टूट के कगार पर खड़ा है और नरेंद्र मोदी उड़-उड़कर परदेश में चंदन का लकड़ी बांट रहे हैं।' उन्होंने कहा कि हम तो भिंडी खरीदने नहीं जाते हैं लेकिन मालूम हुआ कि भिंडी 60 रुपए किलो है और आटा-चावल का भाव आप सबों को मालूम है। आरजेडी प्रमुख ने कहा कि बेरोजगारी से हताशा है और महंगाई चरम पर है। लालू ने कहा कि पता नहीं यह 2 हजार का नोट क्यों बंद कर दिया।
कहा जा रहा है कि भाजपा को सबसे बड़ी चुनौती लालू यादव और राहुल गांधी से है। कम्युनिस्ट पार्टियों को छोड़ दिया जाए, तो विपक्ष से भाजपा और आरएसएस को सिर्फ लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी ही वैचारिक रूप से चुनौती देते दिखते हैं। लालू और राहुल का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा से कभी कोई संबंध नहीं रहा है। इन दोनों नेताओं की धर्मनिरपेक्ष साख 26 दलों वाले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बड़ी ताक़त है।