CBI चीफ़: सीजेआई के ‘नियमों’ का हवाला देने पर अस्थाना, मोदी रेस से बाहर
सीबीआई चीफ़ की नियुक्ति के मामले में सीजेआई एनवी रमना के द्वारा नियमों का हवाला देने के बाद इस पद की दौड़ में चल रहे तीन दावेदारों में से दो बाहर हो गए हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, सीजेआई रमना ने इस अहम पद पर नियुक्ति के दौरान इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2019 के प्रकाश सिंह वाले मामले में कहा था कि ऐसा कोई भी अफ़सर जिसके रिटायरमेंट में 6 महीने से कम का वक़्त बचा हो, उसे पुलिस का प्रमुख नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
अधीर ने किया समर्थन
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सीजेआई के इस बयान का समर्थन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि इस मामले में नियमों का पालन किया जाएगा। इसके साथ ही यह लगभग तय हो गया कि तीन दावेदारों में से दो दावेदार- 1984 बैच के अफ़सर वाईसी मोदी और गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना सीबीआई चीफ़ के पद पर नियुक्त नहीं हो पाएंगे।
सीबीआई चीफ़ के पद पर चयन करने वाली कमेटी में प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
वाईसी मोदी वर्तमान में एनआईए के प्रमुख हैं और वह इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं जबकि अस्थाना जो बीएसएफ़ के प्रमुख हैं, वह जुलाई में रिटायर होंगे। इन दोनों ही अफ़सरों को मोदी सरकार का भरोसेमंद माना जाता है और दोनों लंबे वक़्त तक सीबीआई में काम कर चुके हैं। माना जा रहा था कि इन दोनों में से कोई एक व्यक्ति इस पद पर बैठेगा लेकिन सीजेआई के द्वारा नियमों का हवाला देने के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा।
जायसवाल रेस में आगे!
तीसरे विकल्प के रूप में सीआईएसएफ़ प्रमुख सुबोध जायसवाल, एसएसबी के डीजी केआर चंद्रा और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव वीएसके कौमुदी का नाम है। इन सभी अफ़सरों के साथ 6 माह से पहले रिटायरमेंट वाली स्थिति नहीं है। केआर चंद्रा इस साल दिसंबर में जबकि जायसवाल का रिटायरमेंट सितंबर, 2022 में और कौमुदी नवंबर, 2022 में रिटायर होंगे। इनमें से जायसवाल को इस रेस में आगे माना जा रहा है।
क्या था प्रकाश सिंह मामले में फ़ैसला?
प्रकाश सिंह मामले में फ़ैसला राज्य पुलिस के प्रमुखों की नियुक्ति को लेकर था। जबकि सीबीआई में होने वाली नियुक्तियां विनीत नारायण मामले में दिए गए फ़ैसले, सीवीसी एक्ट और लोकपाल एक्ट के मुताबिक़ की जाती हैं। अगर केंद्र सरकार सीजेआई रमना की बात को मानती है तो आईबी और रॉ में होने वाली नियुक्तियों में भी उसे दिक़्क़त आएगी।
वर्मा-अस्थाना का झगड़ा
जनवरी, 2019 में सीबीआई में उस वक़्त बड़ा उलटफेर हुआ था जब केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा को इस जांच एजेंसी के निदेशक के पद से हटाने के बाद विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था। सीबीआई में वर्मा और अस्थाना के बीच काफी झगड़े हुए थे और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था।