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रेलवे भर्ती घोटाला: लालू-राबड़ी के खिलाफ चार्जशीट दायर 

रेलवे भर्ती घोटाला: लालू-राबड़ी के खिलाफ चार्जशीट दायर 

क्या है रेलवे भर्ती घोटाला और इसमें लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ क्या आरोप हैं?

सीबीआई ने कथित रेलवे भर्ती घोटाला मामले में शुक्रवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर कर दी है। चार्जशीट में कुल 16 लोगों के नाम हैं। इनमें लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का भी नाम शामिल है। 

सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव सहित 12 आरोपियों के खिलाफ इस साल 18 मई को चार्जशीट दायर की थी। इसमें से अधिकतर लोग जमानत पर बाहर हैं। जुलाई में सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव को भी गिरफ्तार कर लिया था। 

यह मामला तब का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस वक्त कई उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरियां दी गई थीं। आरोप है कि तब लालू यादव के परिवार से जुड़ी कंपनियों ने बिहार के कई हिस्सों में कई संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया था। सीबीआई को इस मामले में कुछ उम्मीदवारों की गवाही भी मिली थी और शुरुआती जांच के बाद एजेंसी ने एफआईआर दर्ज कर ली थी। 

आरजेडी इस मामले सहित अन्य मामलों को भी लालू परिवार के खिलाफ बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की एक राजनीतिक चाल करार दे चुकी है। लालू यादव जुलाई में चारा जमानत घोटाले में जेल से बाहर आए थे। 

रेलवे भर्ती घोटाले के मामले में अगस्त में बिहार में आरजेडी के कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने छापेमारी की कार्रवाई की थी। आरजेडी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह, राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और फैयाज़ अहमद के आवास पर जांच एजेंसी ने छापा मारा था। ये नेता आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के करीबी हैं। 

ताबड़तोड़ छापेमारी

सितंबर में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। यह छापेमारी राजस्थान मध्याह्न भोजन कथित घोटाला मामले में की गई थी। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति के मामले में जांच एजेंसी ईडी लगातार दिल्ली-एनसीआर व कई शहरों में छापेमारी कर रही है। 

सीबीआई ने आबकारी नीति को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी और गाजियाबाद के पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच में स्थित उनके बैंक लॉकर को भी खंगाला था।

विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि मोदी सरकार विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर उन्हें निशाना बना रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ईडी के सामने पेशी को लेकर भी कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोला था।

 - Satya Hindi

कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के सांसद संजय राउत व उनके करीबियों के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई, एनसीपी के बड़े नेताओं पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में काफी बवाल हुआ था। 

एजेंसियों का गलत इस्तेमाल?

ऐसे में वही पुराना सवाल फिर से खड़ा हो जाता है कि क्या ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स का गलत इस्तेमाल हो रहा है। पिछले आठ सालों में जांच एजेंसियों की छापेमारी पर ढेरों सवाल उठे हैं कि क्यों ये एजेंसियां विपक्षी नेताओं, उनके रिश्तेदारों, करीबियों को धड़ाधड़ समन भेज रही हैं या उनके घरों-दफ़्तरों पर छापेमारी कर रही हैं।

विपक्षी नेता निशाने पर?

जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से विपक्षी नेताओं में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, शिवसेना नेता संजय राउत, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रूजिरा नरूला बनर्जी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा सहित कई और नेताओं और आम आदमी पार्टी के कई विधायकों को जांच एजेंसियों की ओर से समन भेजा जा चुका है या पूछताछ की जा चुकी है। 

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