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कैप्टन अमरिंदर अमित शाह से मिले; क्या बीजेपी से जुड़ेंगे?

कैप्टन अमरिंदर अमित शाह से मिले; क्या बीजेपी से जुड़ेंगे?

पंजाब के मुख्यमंत्री पद छोड़ने को मजबूर होने वाले कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह क्या बीजेपी में शामिल होंगे? उन्होंने बीजेपी नेता अमित शाह से मुलाक़ात क्यों की?

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाक़ात की। क़रीब घंटे पर चली उनकी यह मुलाक़ात काफ़ी अहम है। पंजाब में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से ही बीजेपी में उनके शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन मंगलवार को जैसे ही वह दिल्ली आए, उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना और बढ़ गई। हालाँकि कैप्टन ने पहले बीजेपी में शामिल होने के बारे में सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया था। 

कैप्टन ने इस महीने की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय विकल्प तलाशने की बात कही थी। तो क्या उन्होंने अब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का पूरा मन बना लिया है?

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जब मंगलवार को दिल्ली पहुँचे तो अमित शाह से उनकी मुलाक़ात को लेकर कयास लगाए गए थे। लेकिन तब इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी। तब उसे एक अफवाह करार दिया गया था।

तब कैप्टन के प्रवक्ता रवीन ठुकराल ने कहा था कि उनकी दिल्ली यात्रा को लेकर किसी तरह की अटकलबाज़ी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया था कि वह यहां अपने कुछ पुराने मित्रों से मिलेंगे और दिल्ली स्थित कपूरथला हाउस नए मुख्यमंत्री के लिए खाली करेंगे। 

लेकिन अब वही रवीन ठुकराल ने अमरिंदर सिंह और अमित शाह की मुलाक़ात के बाद अमरिंदर सिंह का बयान ट्वीट किया है। ख़ुद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस ख़बर की पुष्टि की है। उन्होंने ट्वीट किया है, 'केंद्रीय गृह मंत्री से दिल्ली में मिला। फसल विविधीकरण में पंजाब का समर्थन करने के अलावा कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लंबे समय से चल रहे किसानों के आंदोलन पर चर्चा की और उन कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी देने के साथ संकट को तत्काल हल करने का आग्रह किया।'

कुछ दिन पहले ही कैप्टन ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है। वैसे, कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से तनातनी चली रही है। इसी तनातनी के बीच क़रीब 10 दिन पहले अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन के पुरजोर विरोध के बाद प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। उनके अध्यक्ष बनने के बाद कैप्टन पर और ज़्यादा दबाव बना था। कैप्टन के इस्तीफ़े से पहले पंजाब कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुला ली गई थी। 

अमरिंदर सिंह लगभग दस साल तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वे भारतीय सेना में काम कर चुके हैं। वे पटियाला राज घराने से हैं। बुजुर्ग अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। लेकिन जब उनको पंजाब के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा तो उन्होंने कहा कि उनके पास विकल्प हैं। तब सवाल उठा था कि उनके पास क्या विकल्प हैं? 

अमित शाह से मुलाक़ात से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस छोड़कर क्या वह बीजेपी के साथ जाने के लिए तैयार हैं या फिर अकाली दल के साथ हाथ मिला सकते हैं? उन पर अक्सर अकाली नेताओं के साथ नरम रुख अपनाने के आरोप लगते रहे हैं या फिर वो कांग्रेस तोड़कर और छोड़कर अपनी नयी पार्टी बनाने का फ़ैसला भी कर सकते हैं? 

कैप्टन अमरिंदर के नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ बयान और सिद्धू को पाकिस्तान के साथ रिश्ता जोड़ने की बात करना और फिर बीजेपी नेताओं का कैप्टन को राष्ट्रवादी नेता मानने के बयान को पंजाब में भविष्य की राजनीति के संकेत के तौर पर देखा गया। क्या कैप्टन की अमित शाह के साथ मुलाक़ात उसी संकेत की ओर एक क़दम है?

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