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जस्टिस चंद : वकील राजनीतिक पृष्ठभूमि के हो सकते हैं तो जज क्यों नहीं?

जस्टिस चंद : वकील राजनीतिक पृष्ठभूमि के हो सकते हैं तो जज क्यों नहीं?

जस्टिस कौशिक चंद ने कहा कि ममता बनर्जी के वकील कांग्रेस तो शुभेंदु अधिकारी के वकील बीजेपी से जुड़े हुए हैं, ऐसे में जज के किसी राजनीतिक दल से जुड़े होने का विरोध क्यों किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग करने वाली याचिका की सुनवाई में गुरुवार को एक दिलचस्प मोड़ आया। जज जस्टिस कौशिक चंद ने कहा कि इस मामले में पैरवी कर रहे वकील राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं, ममता बनर्जी के वकील कांग्रेस तो शुभेंदु अधिकारी के वकील बीजेपी के हैं, ऐसे में जज के किसी राजनीतिक दल से जुड़े होने का विरोध क्यों किया जा रहा है।

कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने ममता बनर्जी की याचिका को जस्टिस कौशिक चंद की सिंगल बेंच को भेज दी थी। ममता बनर्जी के वकील ने कहा था कि न्यायपालिका में उनके मुवक्क़िल की पूरी आस्था है, लेकिन निष्पक्षता बरक़रार रखने के लिए यह याचिका किसी दूसरे जज को सौंपी जानी चाहिए। 

क्या है मामला?

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जस्टिस चंद बीजेपी के लीगल सेल के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं। ब्रायन ने वह तसवीर भी ट्वीट की जिसमें जस्टिस चंद बीजेपी के कार्यक्रम में बैठे हुए दिखते हैं। एक दूसरी तसवीर में जस्टिस चंद अमित शाह के साथ बैठे हुए दिखते हैं। 

इसके बाद यह माँग की जाने लगी कि न्यायालय की निष्पक्षता के लिए जस्टिस चंद इस मामले से खुद को अलग कर लें। 

लेकिन गुरुवार को जस्टिस चंद ने ममता बनर्जी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, 

आप कांग्रेस और एस. एन. मुखर्जी बीजेपी पृष्ठभूमि के हैं। यदि अलग-अलग राजनीतिक दलों के वकील मामले की पैरवी कर सकते हैं तो आप राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले जज को स्वीकार क्यों नहीं कर सकते?


जस्टिस कौशिक चंद, जज, कलकत्ता हाई कोर्ट

इसके बाद जज ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वे इस पर फ़ैसला कब सुनाएंगे। 

गुरुवार को होने वाली सुनवाई में ममता बनर्जी वर्चुअल रूप से मौजूद रहीं। जन प्रतिनिधि क़ानून, 1951, के तहत उन्हें ख़ुद अदालत में मौजूद रहना था। 

जस्टिस चंद ने ममता के वकील से पूछा कि उन्होंने यह मुद्दा 18 जून को क्यों नहीं उठाया, जब यह मामला पहली बार लिया गया था। उन्होंने कहा कि कौन मामला किस बेंच में जाएगा, मुख्य न्यायाधीश यह तय करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे सोच रहे हैं कि क्या यह मामला कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के सामने उठाएं। 

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