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सीसीडी के मालिक लापता, वरिष्ठ आयकर अधिकारी करते थे तंग

सीसीडी के मालिक लापता, वरिष्ठ आयकर अधिकारी करते थे तंग

कैफ़े कॉफ़ी डे के संस्थापक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस. एम. कृष्णा के दामाद वी.जी. सिद्धार्थ को लापता हो गए। उनकी एक चिट्ठी से पता चलता है कि आयकर अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किया गया था। क्या उस अधिकारी पर कार्रवाई होगी?

कैफ़े कॉफ़ी डे यानी सीसीडी के संस्थापक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा के दामाद वी.जी. सिद्धार्थ सोमवार को लापता हो गए। लेकिन लापता होने से पहले उन्होंने अपने कर्मचारियों को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने कई ऐसी बातें लिखी हैं जिससे उनके लापता होने का कारण पता चलता है। पत्र में आयकर विभाग के अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया गया है और ‘सही लाभदायक व्यवसाय’ बनाने में सक्षम नहीं होने पर ख़ेद जताया गया है। यह बड़ी अजीब बात है कि जिनके ससुर एस. एम कृष्णा बीजेपी के बड़े नेताओं में से एक हैं उन्होंने आयकर विभाग के अधिकारी पर ऐसा आरोप लगाया है। सिद्धार्थ के कार्यालयों पर सितंबर 2017 में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा था। बता दें कि कृष्णा क़रीब दो साल पहले ही बीजेपी में शामिल हुए हैं और उससे पहले वह कांग्रेस के नेता रहे थे।

बहरहाल, बड़ा सवाल यह है किन परिस्थितियों में वी.जी. सिद्धार्थ लापता हुए। वह सोमवार को कार से ड्राइवर के साथ निकले थे। उनको अंतिम बार बेंगलुरु से 350 किमी दूर मंगलुरु में नेत्रावती नदी पर एक पुल पर देखा गया था। सिद्धार्थ के ड्राइवर ने कहा कि उन्होंने 1 किमी लंबे पुल के बीच में छोड़ने को कहा और उसे दूसरे छोर की ओर जाने और वहाँ रुकने के लिए कहा। काफ़ी देर तक जब सिद्धार्थ दूसरी छोर पर नहीं पहुँचे तो ड्राइवर ने पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू किया है।

लापता होने से पहले सिद्धार्थ ने जो पत्र अपने कर्मचारियों के नाम लिखा है उसमें उन्होंने लिखा है, ‘मैं अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद सही लाभदायक व्यवसाय मॉडल बनाने में विफल रहा। मैं कहना चाहूँगा कि मैंने इसे अपना सब कुछ दे दिया। मुझे उन सभी लोगों को निराश करने के लिए बहुत दुख है जो मुझ पर अपना विश्वास रखते हैं। मैंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी, लेकिन आज मैं हार गया क्योंकि मैं और दबाव नहीं झेल सकता…’

सिद्धार्थ ने आगे लिखा, ‘...शेयर वापस लेने के लिए निजी इक्विटी भागीदारों में से एक द्वारा मजबूर किए जाने के और अधिक दबाव को मैं झेल नहीं सकता। इस लेन-देन को मैंने छह महीने पहले ही एक दोस्त से बड़ी राशि उधार लेकर आंशिक रूप से पूरा किया था। दूसरे उधार देने वालों से ज़बरदस्त दबाव के कारण मैं इस स्थिति में पहुँच चुका हूँ। आयकर के पूर्व डीजी ने दो अलग-अलग मौक़ों पर बहुत परेशान किया था, एक तो हमारे माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए और दूसरे हमारे शेयरों को लेने के लिए... यह बहुत ही अनुचित था और इस कारण काफ़ी गंभीर लिक्विडिटी क्रंच आ गई।’

क्या है कंपनी की स्थिति

बता दें कि सिद्धार्थ देश में कॉफ़ी बीन्स के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक हैं। कंसल्टेंसी फ़र्म माइंडट्री की वेबसाइट के अनुसार, उनका परिवार 130 से अधिक वर्षों से कॉफ़ी-उत्पादक व्यवसाय में है। हालाँकि हाल के दिनों में उनकी कंपनी की फ़ाइनेंशियल स्थिति काफ़ी बेहतर नहीं रही है। उन्होंने कंसल्टेंसी फ़र्म माइंडट्री में अपनी पूरी 20 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड को इस साल मार्च में 3,300 करोड़ रुपये में बेच दी थी। न्यूज़ एजेंसी ‘रॉयटर्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार वह कोका-कोला के साथ अपनी फ्लैगशिप चेन कैफ़े कॉफ़ी डे को बेचने के लिए बातचीत कर रहे थे। इसकी स्थापना उन्होंने 1993 में की थी और उनके 1,500 से अधिक आउटलेट्स हैं।

क्या 2017 के छापे से है संबंध

सिद्धार्थ के कार्यालयों पर सितंबर 2017 में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा था। यह वही साल था जब उनके ससुर एस.एम. कृष्णा कांग्रेस को छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालाँकि यह घटनाक्रम छापा मारे जाने के पहले ही हुआ था। बता दें कि सिद्धार्थ ने भी पत्र में लिखा है कि आयकर के पूर्व डीजी उन्हें परेशान करते थे, हालाँकि उन्होंने उस निश्चित समय का ज़िक्र नहीं किया है कि यह किस समय का मामला है। यानी यह तय करना मुश्किल है कि आयकर अधिकारी द्वारा परेशान किए जाने का मामला एस.एम. कृष्णा के कांग्रेस छोड़ने व बीजेपी में शामिल होने से पहले या बाद का मामला है। 29 जनवरी 2017 में कृष्णा ने यह कहते हुए पार्टी छोड़ दी थी कि पार्टी में जन आधार वाले लोगों की ज़रूरत नहीं है और उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। कांग्रेस छोड़ने के क़रीब दो महीने बाद ही मार्च में उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की घोषणा कर दी थी।

कृष्णा कांग्रेस में बड़े पदों पर रहे थे। वह 1999 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे। बाद में उन्हें महाराष्ट्र का गवर्नर बना दिया गया था, लेकिन अवधि पूरा होने से पहले ही उन्होंने अक्टूबर 2008 में इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। माना जाता है कि सक्रिय राजनीति में आने के लिए उन्होंने ऐसा किया था। बाद में वह मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए, लेकिन कर्नाटक की राजनीति में लौटने का संकेत देते हुए कृष्णा ने विदेश मंत्री पद से 26 अक्टूबर 2012 को इस्तीफ़ा दे दिया था। 

ऐसी परिस्थितियों में जब सिद्धार्थ ने आयकर विभाग के डीजी पर परेशान किए जाने का आरोप लगाया है तो क्या उस अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी

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