शिव ‘राज’ में छाए 'महाराज’, बीजेपी सरकार बनवाने की कीमत 'वसूल' की
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में सरकार बनवाने की पूरी-पूरी ‘कीमत’ आज बीजेपी से ‘वसूल’ कर ली। 'महाराज’ के नाम से पहचाने जाने वाले सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बीते मार्च महीने में बगावत कर कमल नाथ की सरकार को गिरवा दिया था। सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों की इस बगावत से ही बीजेपी की सरकार में वापसी हो पाई थी।
कमल नाथ की सरकार गिरने और शिवराज सिंह की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बन जाने के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार की प्रतीक्षा चल रही थी। कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन की वजह से विस्तार टलता चला गया था। हालात कुछ काबू में होते ही शिव ‘राज’ कैबिनेट का गुरूवार को विस्तार हो गया।
करीब 100 दिनों के बाद हुए शिवराज कैबिनेट के विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने नौ और समर्थक गैर विधायकों को मंत्री बनवाने में कामयाब हो गए। इनमें इमरती देवी, डाॅ. प्रभुराम चौधरी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह, बृजेन्द्र सिंह यादव, गिर्राज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया शामिल हैं।
सिंधिया के दो खास समर्थक गैर विधायक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत 21 अप्रैल को ही शिवराज कैबिनेट में जगह पा चुके थे। आज के विस्तार के बाद शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक विधायकों की संख्या 11 हो गई है।
पाला बदलने वाले तीन पूर्व कांग्रेसी विधायक बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंसाना और हरदीप सिंह डंग को भी शिवराज कैबिनेट में जगह मिल गई। सिंधिया समर्थक 19 विधायकों के पाला बदलने और इस्तीफा दिये जाने से जुड़ी पूरी उठापटक के दरमियान इन तीन विधायकों ने भी इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। यहां बता दें कि बिसाहूलाल सिंह और एदल सिंह कंसाना की गिनती दिग्विजय सिंह के खांटी समर्थकों में हुआ करती थी।
देश में पहली बार ऐसा हुआ
शिवराज कैबिनेट के विस्तार ने देश के राजनीतिक घटनाक्रमों में एक नया अध्याय जोड़ दिया। दरअसल, शिवराज मंत्रिमंडल में कुल 14 ऐसे सदस्य हो गए हैं जो विधायक नहीं हैं।
मध्य प्रदेश की कैबिनेट से जुड़े इतिहास में अब से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में गैर विधायक कैबिनेट में शामिल किए गए हों। कुछेक मौकों पर प्रदेश में गैर विधायकों को कैबिनेट में विशेष परिस्थितियों में जगह मिली, लेकिन इनकी संख्या एक या दो भर रही।
जानकारों का दावा है कि न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश के अन्य सूबों में भी अब से पहले बनी सरकारों में इतनी बड़ी संख्या में गैर विधायक कभी किसी भी राज्य की सरकार में जगह हासिल नहीं कर सके थे।
डिप्टी सीएम पर चुप्पी साध गए सिंधिया
कैबिनेट विस्तार के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भोपाल पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया से मीडिया ने डिप्टी सीएम पद की पुरानी मांग को लेकर सवाल किया। जवाब में सिंधिया ने कहा, ‘डिप्टी सीएम अथवा मिनिस्टर पद को कभी भी मैंने अथवा मेरे समर्थकों ने आगे नहीं रखा। मैं जनसेवक था, हूं और आगे भी बने रहना चाहता हूं।’
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक मायूस
बीजेपी में दो दर्जन के लगभग वरिष्ठ विधायक (अनेक पूर्व मंत्री) मंत्री नहीं बन पाये। ऐसे दावेदारों में जबरदस्त मायूसी स्पष्ट तौर पर नजर आयी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तमाम प्रयासों के बावजूद अपने खास समर्थक राजेन्द्र शुक्ला और रामपाल सिंह को मंत्री नहीं बना पाये।
मुख्यमंत्री की लाचारी बुधवार को तब बहुत स्पष्ट तौर पर नजर आयी थी जब उन्होंने कहा था, ‘मंथन होता है तो विष और अमृत दोनों निकलता है। विष - शिव को पीना पड़ता है।’
बीएसपी-एसपी के विधायक दुःखी
कमल नाथ की सरकार गिर जाने के बाद पाला बदल लेने वाले बीएसपी और एसपी के साथ कुछ निर्दलीय विधायक भी दुःखी नजर आये। बीएसपी की रामबाई और संजीव सिंह तथा एसपी के राजेश कुमार शुक्ला की नजरें भी मंत्री पद पर लगी थीं। शुक्ला ने तो सपा से बगावत करते हुए राज्यसभा के हालिया चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को वोट दिया था। इस वजह से सपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। निर्दलीय विधायक और नाथ सरकार में खनिज मंत्री रहे प्रदीप जायसवाल गुड्डा को भी ‘मंत्री पद की लाॅटरी खुलने’ की उम्मीद थी। मगर तीनों के हाथ निराशा लगी।
विभागों का बंटवारा बेहद टेढ़ी खीर
समर्थक गैर विधायकों को कैबिनेट में शामिल कराने को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबरदस्त दबाव बनाया। उनके दबाव के आगे बीजेपी को झुकना भी पड़ा। कुछ ऐसी ही संभावना विभागों के बंटवारे को लेकर बनने की उम्मीद प्रेक्षक जता रहे हैं।
शिवराज और बीजेपी ऐसा मानकर चल रही है कि सिंधिया अपने समर्थकों को मलाईदार विभाग दिलवाने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। अंत में क्या होगा यह विभागों के वितरण के बाद ही साफ हो सकेगा।
तीर का रुख़ राजस्थान की ओर
मध्य प्रदेश सरकार में जिस तरह से सिंधिया समर्थक गैर विधायकों को बीजेपी ने तरजीह दी है, उसे लेकर प्रेक्षकों की प्रतिक्रिया बेहद गौर फरमाने वाली मानी जा सकती है।
प्रेक्षकों का कहना है, ‘मध्य प्रदेश के तरकश से निकला तीर आने वाले दिनों में राजस्थान की गहलोत सरकार के राजनीतिक वध में काम आ सकता है।’ बीजेपी ने कुल 14 गैर विधायकों को शिवराज कैबिनेट में जगह देकर साफ तौर पर संदेश दे दिया है, ‘मंत्री पद चाहिए तो बगावत का झंडा उठाइये, हमारे (बीजेपी के) साथ आइये, किसी को भी निराश नहीं होने दिया जाएगा।’
एक मंत्री पद अब भी रिक्त
मध्य प्रदेश विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 35 सदस्य ही कैबिनेट में हो सकते हैं। मुख्यमंत्री समेत 6 सदस्य पूर्व में थे। आज हुए विस्तार में लिए गए 28 चेहरों के बाद यह संख्या 34 हो गई है। अब एक मंत्री पद रिक्त रहा है।