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दलितों, पिछड़ों के विरोध से डरी सरकार, 13 प्वाइंट रोस्टर पर लाई अध्यादेश

दलितों, पिछड़ों के विरोध से डरी सरकार, 13 प्वाइंट रोस्टर पर लाई अध्यादेश

13 पॉइंट रोस्टर को लेकर चल रहे हंगामे को देखते हुए केंद्र सरकार इस पर अध्यादेश ले आई है। कई दिनों से इसकी अटकलें थीं कि सरकार इस मुद्दे पर जल्द अध्यादेश ला सकती है।  

13 पॉइंट रोस्टर पर चल रहे हंगामे से घबराई केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे रोकने के लिए अध्यादेश जारी कर दिया है। कई दिनों से इसकी अटकलें थीं कि सरकार इस मुद्दे पर जल्द अध्यादेश ला सकती है।  विश्वविद्यालयों की नौकरियों में एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण लागू करने के 13 पॉइंट रोस्टर को लेकर देश में कई जगहों पर तीख़ा विरोध हुआ था। हाल ही में 13 पॉइंट रोस्टर को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने भारत बंद किया था। इस दौरान सड़क जाम, आगजनी, रेल रोको एवं चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन किया गया था। माना जा रहा है कि दलितों, पिछड़ों के जोरदार विरोध के कारण मोदी सरकार डर गई है और लोकसभा चुनाव में भारी नुक़सान होने की आशंका के चलते ही सरकार अध्यादेश ले आई है। 

13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध क्यों?

ऐसी आशंका जताई गई थी कि विश्वविद्यालयों में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी तबक़ों के लिए कोटा प्रणाली के तहत आरक्षित शिक्षण पदों को लगभग समाप्त किए जाने की तैयारी है। यह आशंका दो कारणों से थी। पहला कारण यह था कि, 200 प्वाइंट वाली रोस्टर व्यवस्था की जगह 13 प्वाइंट वाली रोस्टर व्यवस्था करना। और दूसरा, विश्वविद्यालय के स्तर के बजाय विभाग या विषय के स्तर पर आरक्षण करना। कहा जा रहा था कि नई व्यवस्था में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी तबक़ों की बारी ही नहीं आएगी।

इसलिए है आशंका 

रोस्टर आरक्षण व्यवस्था में यह तय होता है कि कौन से पद किस श्रेणी में रखे जाएँगे। 200 प्वाइंट रोस्टर का अर्थ है कि 200 पद तक रोस्टर क्रमवार चलेगा, उसके बाद फिर 1 से शुरू होकर 200 पद तक जाएगा। इस हिसाब से 200 प्वाइंट रोस्टर फ़ॉर्मूले में क्रम वार सभी तबक़ों के लिए पद 200 नम्बर तक तय हो जाते हैं। लेकिन 13 प्वाइंट रोस्टर में ऐसा नहीं है।

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