नोएडा: कैब चालक की हत्या, परिजन बोले- जय श्री राम के नारे लगवाए, मॉब लिंचिंग हुई
कैब चलाने वाले एक मुसलिम शख़्स की बुलंदशहर से लौटते वक्त रविवार रात को जिला गौतम बुद्ध नगर के बादलपुर थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई। शख़्स के बेटे का आरोप है कि उसके पिता की मॉब लिंचिंग की गई है।
पुलिस मॉब लिंचिंग के आरोप से इनकार कर रही है और इसे आपराधिक घटना बना रही है। मृतक का नाम आफ़ताब आलम था और वह मकान नंबर 143, ब्लॉक 35 त्रिलोकपुरी, थाना मयूर विहार फ़ेस वन, दिल्ली के रहने वाले थे। दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई सालों में कैब ड्राइवर्स के साथ लूटपाट और उनकी हत्या कर देने की घटनाएं होती रही हैं।
आफ़ताब आलम के बेटे मोहम्मद साबिर ने पत्रकारों को बताया, ‘मेरे पापा एक पर्सनल क्लाइंट को लेकर गुड़गांव से बुलंदशहर गए थे। जब वह उन्हें ड्रॉप करके वापस आ रहे थे, तो दो-तीन लोग आगे तक छोड़ने की बात कहकर जबरदस्ती गाड़ी में बैठ गए।’
मोहम्मद साबिर ने बताया, ‘जब पापा को कुछ शक हुआ तो उन्होंने मुझे फ़ोन किया और इसे चालू करके अपनी जेब में रख लिया। वे लोग दारू पीने की बात कर रहे थे और कह रहे थे कि तू मोहम्मडन है, हमारे वहां भी दस-दस लोग मोहम्मडन हैं, तू दारू नहीं पीयेगा। मैंने उनके फ़ोन से आ रही आवाज़ की वाइस रिकॉर्डिंग कर ली।’
बेटे ने कहा, ‘पापा को जबरन फ़ोर्स किया गया कि वह जय श्री राम बोलें और दारू पीएं। थोड़ी देर बाद उनका फ़ोन स्विच ऑफ़ हो गया।’
मोहम्मद साबिर ने आगे कहा, ‘मैं मयूर विहार थाने गया, वहां सब इंस्पेक्टर संजय जी ने मेरी मदद की और बताया कि चित्ताड़ा जगह पर आपके पापा का सिम बंद हुआ है। उन्होंने स्थानीय सिकंदराबाद और दादरी पुलिस थाने में बीट अफ़सर विकास जी को कॉल किया और गाड़ी का नंबर देते हुए कहा कि वे इसे खोजें और हमसे भी वहां जाकर खोजने के लिए कहा।’
मोहम्मद साबिर ने कहा, ‘जब हम वहां पहुंचे तो बादलपुर थाने से 4 किमी. आगे हमारी गाड़ी खड़ी थी। वहां दो पुलिसकर्मी भी थे। पुलिस कर्मियों ने कहा कि पहले आपको थाने चलना होगा और एसआई साहब से मिलना होगा फिर हम आपको अस्पताल ले चलेंगे। हम थाने गए और हमने सब कुछ बताया, इसके बाद हम अस्पताल पहुंचे, जहां मेरे पिता को मृत घोषित कर दिया गया।’
‘मुझे इंसाफ़ चाहिए’
मोहम्मद साबिर ने कहा, ‘पुलिस कर्मियों ने जो पंचनामा लिखा, उसमें यह नहीं लिखा कि यह मॉब लिंचिंग का केस है। इसके अलावा फ़ोन नंबर भी नहीं लिखा। मैं यह चाहता हूं कि मेरे पिता को इंसाफ़ मिले। उनसे जबरदस्ती जय श्री राम के नारे लगवा रहे थे। इसके बाद उनका गला दबाकर किसी चीज से मार कर हत्या कर दी गई। मुझे इंसाफ़ चाहिए।’
मोहम्मद साबिर ने बादलपुर थाना पुलिस को दी तहरीर में लिखा है कि उनके पिता के पर्स में एक एटीएम, 3500 रुपये और दो मोबाइल फ़ोन थे, जो अब तक नहीं मिले हैं।
आफ़ताब आलम की लाश का जो वीडियो सामने आया है, उसमें दिख रहा है कि उनके सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया है। सिर से इतना ज़्यादा ख़ून बह चुका था कि उनकी अंडरशर्ट भीग चुकी थी।
बादलपुर थानाध्यक्ष का बयान
इस बारे में बादलपुर के थानाध्यक्ष एएसआई राजीव कुमार ने ‘सत्य हिन्दी’ से फ़ोन पर कहा, ‘जहां तक हमारी तफ़्तीश कहती है, यह घटना मॉब लिंचिंग से पूरी तरह अलग है। आपराधिक मानसिकता के लोग ऐसा करते हैं और इस घटना को अंजाम देने वालों ने शराब पी हुई थी। इस घटना में एटीएम और कैश भी अपराधियों ने लूटा है, इसलिए यह आपराधिक घटना ही है। एएसआई ने कहा कि साबिर की गाड़ी में बैठने से पहले अपराधियों ने किसी से शराब के नशे में बहस भी की थी। उन्होंने फिर कहा कि यह मॉब लिंचिंग वाला मामला नहीं है।
उन्होंने कहा कि 7.52 से 8.44 मिनट की एक कॉल है, जो साबिर ने अपने बेटे आफ़ताब को की थी, यह 3012 सेकेंड की रिकॉर्डिंग है, जिसे पुलिस ने पूरा सुना है।
‘पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं’
एएसआई राजीव कुमार ने कहा, ‘इस इलाक़े में जब कोई ओला, उबर वाले ड्राइवर किसी सवारी को छोड़ते हैं, तो आपराधिक मानसिकता के लोग सवारी बनकर गाड़ी में बैठ जाते हैं और ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। ऐसे गैंग में महिलाएं भी शामिल हैं।’ उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में यह घटना हुई है, यहां इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।
एएसआई ने कहा कि पुलिस अपराधियों की तलाश में जुटी हुई है और उन्हें जल्द दबोच लिया जाएगा।
एफ़आईआर में जिक्र क्यों नहीं
आफ़ताब आलम ने अपने बेटे को जो फ़ोन कॉल की थी, उसमें 8.30 मिनट से 8.44 मिनट तक अभियुक्तों को आफ़ताब से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जय श्री राम बोल। पुलिस का कहना है कि यह फ़ोन रिकॉर्डिंग उसके पास भी है लेकिन उसका यही जवाब है कि यह मॉब लिंचिंग वाला मामला नहीं है और एक आपराधिक घटना है, इसलिए उसने एफ़आईआर में इसका जिक्र नहीं किया है।
लेकिन यह जांच का विषय ज़रूर है क्योंकि रिकॉर्डिंग में यह साफ तौर पर सुनाई दे रहा है कि आफ़ताब से जय श्री राम बोलने के लिए कहा जा रहा है। तो ऐसे में सवाल यह है कि आख़िर पुलिस इस बात को एफ़आईआर में क्यों नहीं शामिल कर रही है।
यहां इस बात को ध्यान में रखना होगा कि बीते कुछ सालों में मुसलमानों के साथ इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें उन्हें जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया गया और ऐसा न करने पर उन्हें पीटा गया।