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नागरिकता क़ानून: इंटरनेट बंद होने से यूपी में कारोबार ठप, लाखों लोग घर बैठे

नागरिकता क़ानून: इंटरनेट बंद होने से यूपी में कारोबार ठप, लाखों लोग घर बैठे

नागरिकता क़ानून के विरोध में भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 से ज़्यादा शहरों में इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी हैं। बीते गुरुवार से बंद मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ अभी तक चालू नहीं हो पायी हैं।

नागरिकता क़ानून के विरोध में भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 से ज़्यादा शहरों में इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी हैं। बीते गुरुवार से बंद मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ अभी तक चालू नहीं हो पायी हैं। इंटरनेट सेवाएँ बंद होने के चलते राजधानी लखनऊ, कानपुर, मेरठ जैसे तमाम शहरों में ओला-उबर की टैक्सी सेवा से लेकर ऑनलाइन खाने की डिलीवरी देने वाली कंपनियों- स्विगी, जोमैटो, उबर ईट्स के हज़ारों डिलीवरी ब्वॉय बेकार बैठे हैं। जीएसटी का मासिक रिटर्न जिसकी अंतिम तारीख़ 20 दिसंबर थी वह भी बड़ी तादाद में क़ारोबारी जमा नहीं कर सके हैं। दुकानों पर कार्ड स्वाइप न होने के चलते धंधे में कमी आयी है। बड़ी तादाद में डिजिटल लेनदेन ठप पड़ा हुआ है। होटलों, ट्रैवल एजेंसियों की बुकिंग, रेल व हवाई टिकटों की बुकिंग बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कुल मिलाकर हाल यह है कि साल का आख़िरी हफ़्ता शुरू हो जाने के बाद भी सड़कें इस डिजिटल इमरजेंसी के चलते वीरान नज़र आने लगी हैं।

यूपी में व्यापारी संगठनों का कहना है कि मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद हो जाने के बाद से अब तक 2000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। मंगलवार को सुबह कुछ देर के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ चालू तो की गईं पर एक बार फिर से प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप के बाद इसे बुधवार यानी 25 दिसंबर को रात 8 बजे तक के लिए बंद कर दिया गया।

ओला-उबर, स्विगी-जोमैटो का काम ठप

अकेले राजधानी लखनऊ में ओला व उबर टैक्सी सेवाओं के तहत 8500 गाड़ियाँ चलती हैं। बीते पाँच दिनों से इनमें से इक्का-दुक्का ही सड़कों पर दिख रही हैं। इन दोनों सेवाओं की बुकिंग मोबाइल एप के ज़रिए ही होती हैं जो इंटरनेट बंद होने से बेकार हैं। केवल लखनऊ एयरपोर्ट पर मैनुअल बुकिंग सेवा होने के चलते वहाँ उतरने वाले यात्रियों को ओला-उबर की सेवाएँ मिल पा रही हैं। हालाँकि गूगल मैप के काम न करने के चलते इन सेवाओं के यात्रियों को ख़ासी असुविधा हो रही है। राजधानी में 6000 से ज़्यादा बाइकर्स ओला व उबर को सेवाएँ देते हैं जो मोबाइल इंटरनेट बंद होने के बाद से खाली बैठे हैं। ऑनलाइन फूड डिलीवरी की सेवाएँ स्विगी, जोमैटो व उबर ईट्स में एक भी बुकिंग नहीं हो रही है। हालाँकि प्रदेश सरकार का तर्क है कि ब्रॉडबैंड सेवाएँ अपना काम कर रही हैं पर अफ़वाहों पर लगाम लगाने के लिए केवल मोबाइल इंटरनेट बंद किया गया है। इस पर व्यापारियों का कहना है कि मोबाइल एप के जमाने में बड़े पैमाने पर क़ारोबार इसी पर निर्भर है जो कि पाँच दिनों से बंद है।

रेल-हवाई टिकट, होटल बुकिंग मंद

मोबाइल इंटरनेट के बंद हो जाने से बड़े पैमाने पर रेल व हवाई टिकटों की बुकिंग प्रभावित हुई है। मोबाइल एप के काम न करने से होटलों की बुकिंग में भी कमी आयी है। इतना ही नहीं, बाहर से राजधानी लखनऊ व कानपुर को आने वाले कारोबारी अपना कई तरह का भुगतान तक नहीं कर पा रहे हैं। लखनऊ के होटलों व खाने-पीने वालों का कारोबार कार्ड स्वाइप न हो पाने के चलते प्रभावित हुआ है। बड़ी तादाद में ऑनलाइन ख़रीदारी भी मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ बंद होने से रुक गयी है। डिलीवरी में लगे लोगों का कहना है कि नए साल के पहले कई ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों की सेल शुरू हो जाती है और उन पर डिलीवरी का हद से ज़्यादा भार रहता है पर इन दिनों शायद ही कोई काम का बोझ हो।

फिर याद आयी सरकारी कंपनी बीएसएनएल

मोबाइल इंटरनेट की इस इमरजेंसी के बीच सरकारी कंपनी बीएसएनएल की सेवाएँ बदस्तूर काम कर रही है। इसका एक बड़ा कारण है कि पुलिस, प्रशासन व सभी बड़े सरकारी अधिकारियों की सीयूजी सेवाएँ बीएसएनएल की हैं जिसे चालू रखना मजबूरी है। हालाँकि बीएसएनएल की मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ थ्री-जी होने के चलते इसकी स्पीड काफ़ी कम है जिसके चलते बहुत-सी सेवाएँ इस पर चल ही नहीं रही हैं। इन सबके बीच बीते चार-पाँच दिनों से बिसरा दिए गए बीएसएनएल को लोगों ने फिर से याद करना शुरू कर दिया है। राजधानी लखनऊ में मोबाइल रिचार्ज करने वालों का कहना है कि मोबाइल नेट चलाने वालों ने खोज कर अपने पुराने बीएसएनएल के सिम निकाले हैं और उन्हें रिचार्ज करा रहे हैं। बीते पाँच ही दिनों में बीएसएनएल का रिचार्ज पहले के मुक़ाबले कई गुना बढ़ गया है।

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