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सीएएः मुस्लिम उलेमा ने कहा- धैर्य रखें, किसी उकसावे में आने की जरूरत नहीं

सीएएः मुस्लिम उलेमा ने कहा- धैर्य रखें, किसी उकसावे में आने की जरूरत नहीं

सीएए को लेकर मुस्लिमों में काफी बेचैनी पाई जा रही है। घोषणा होते ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया में सोमवार शाम को इसका विरोध भी हुआ। तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों में सरकार ने खुद ही पुलिस बल तैनात करके सुरक्षा बढ़ा दी है। लेकिन इस बीच कई मुस्लिम उलेमाओं ने कहा है कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्हें बेचैन होने की जरूरत नहीं। जानिए किसने क्या कहाः 

सीएए के खिलाफ गैर मुस्लिम संगठन इस बार आंदोलन के लिए कुछ ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ कई मुस्लिम उलेमा मुस्लिमों से किसी के बहकावे में न आने की बात कह रहे हैं। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सीएए लागू करने की घोषणा पर कहा- "सरकार के जिम्मेदार लोगों ने कई बार कहा है कि किसी की भी नागरिकता छीनी नहीं जाएगी। हम सभी से अपील करना चाहते हैं कि वे शांत रहें और घबराएं नहीं। हमारी कानूनी टीम इस पर गौर करेगी और आगे के फैसले लिए जाएंगे।" मौलाना ने अप्रत्यक्ष रूप से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का जिक्र किया, जिसमें शाह ने बार-बार कहा है कि सीएए कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं लाया जा रहा है।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने के तुरंत बाद इसका समर्थन किया। उन्होंने यह कहकर मुस्लिम चिंताओं को कम करने की कोशिश की कि यह कानून नागरिक के रूप में उनकी स्थिति को प्रभावित नहीं करेगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार ने सीएए लागू किया है, जो एक महत्वपूर्ण कानून है। इसे बहुत पहले ही ख़त्म कर दिया जाना चाहिए था, भले ही देर आए दुरुस्त आए और मुसलमानों को इस संशोधन के बारे में कोई ग़लतफ़हमी नहीं पालनी चाहिए।

CAA नोटिफिकेशन पर दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसरजहां ने कहा- ''मैं इसका स्वागत करती हूं। यह नागरिकता देने का कानून है, छीनने का नहीं। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में गैर-मुसलमानों की हालत अच्छी नहीं है।'' कौसरजहां ने कहा- "अगर सरकार उन्हें सम्मानजनक जिंदगी देना चाहती है तो इसमें दिक्कत क्या है? मुस्लिम समुदाय को इससे कोई दिक्कत नहीं होगी, घबराने की जरूरत नहीं है...।"

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि मुसलमानों का इस कानून से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ''अब से पहले, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक रूप से प्रेरित अपराधों से भागकर आए गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने वाला कोई कानून नहीं था।'' .

उन्होंने कहा-  “इस कानून का भारतीय मुसलमानों के समुदायों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस कानून से किसी भी मुसलमान की नागरिकता ख़त्म नहीं होगी। यह देखा गया है कि पिछले वर्षों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं; ये गलत कम्युनिकेशन का नतीजा थे। कुछ राजनीतिक हस्तियों ने मुसलमानों के बीच अविश्वास का बीजारोपण किया... उन्होंने कहा, ''सभी भारतीय मुसलमानों को सीएए को स्वीकार करना चाहिए।''

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फरवरी में स्पष्ट रूप से घोषणा की कि सीएए का उद्देश्य नागरिकता देना है, किसी की पहले से प्राप्त नागरिकता को रद्द करना नहीं। हमारे देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भड़काया जा रहा है। चूंकि अधिनियम में नागरिकता का कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीन सकता।

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