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स्वार में उपचुनाव जल्द, अब्दुल्ला आजम की विधायकी खत्म

स्वार में उपचुनाव जल्द, अब्दुल्ला आजम की विधायकी खत्म

जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधान दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाया कोई व्यक्ति किसी भी सदन का सदस्य नहीं रह सकता। इसी प्रावधान के तहत ही अबदुल्ला आजम को अपनी विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी है। 

आजम खान के पुत्र और समाजवादी पार्टी के विधायक अबदुल्ला आजम की विधानसभा रद्द कर दी गई है। अबदुल्ला आजम को मंगलवार को पंद्रह साल पुराने एक मामले में उन्हें दो साल की सजा और 3000 हजार रुपये के सजा सुनाई गई थी,इसी मामले में आजम खान को भी दो साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन वह पहले दूसरे मामले में अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं और किसी भी सदन का हिस्सा नहीं हैं।

एमपी/एमएलए कोर्ट से मिली सजा के बाद उनकी विधायकी पर खतरा मंडरा रहा था। विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार को उनकी विधायकी पर फैसला लेते हुए उनकी सदस्यता तो रद्द कर दिया। सदस्यता खत्म होने के साथ ही उनकी विधानसभा को स्वार को रिक्त घोषित कर दिया। अगले छह महीने में वहां विधानसभा चुनाव कराये जाएंगे। चुनाव आयोग जल्दी ही इसकी घोषणा करेगा। अब्दुल्ला आजम रामपुर की स्वार विधानसभा से विधायक चुने गये थे। रामपुर आजम खां गढ़ माना जाता है। 

जिस मामले में आजम खान और उनके बेटे को सजा सुनाई गई है वह पंद्रह साल पुराना 31 दिसंबर और 01 जनवरी 2008 का है। 31 दिसंबर 2007 की रात रामपुर के सीआरपीएफ ग्रुप केंद्र पर एक आतंकी हमला हुआ था। हमले के बाद पुलिस आतंकियों की तलाश में वाहन चेकिंग कर रही थी। इस दौरान आजम खान का काफिला वहां से गुजर रहा था।  पुलिस ने उनके जांच के लिए उनके काफिले में शामिल वाहनों को भी चेकिंग के लिए रोक लिया था। इससे नाराज़ होकर आजम खान ने अन्य सपा नेताओं के साथ थाना छजलैट की सीमा में हरिद्वार मुरादाबाद स्टेट हाइवे पर जमा लगा दिया था। हालांकि सजा के एलान के बाद ही आजम और अबदुल्ला ने जमानत करा ली थी।

जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधान दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाया कोई व्यक्ति किसी भी सदन का सदस्य नहीं रह सकता। इसी प्रावधान के तहत ही अबदुल्ला आजम को अपनी विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी है।  

अबदुल्ला आजम इससे पहले 2017 की विधानसभा में अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं। वह इकलौते ऐसे विधायक हैं जो दो बार चुने जाने के बाद भी अपनी विधायकी गंवा चुके हैं। आजम खां एक अन्य मामले में पहले ही अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं। इस तरह अब उनके परिवार का कोई भी सदस्य संसद और विधानसभा का सदस्य नहीं है।

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