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सुल्ली डील, बुल्ली बाई ऐप से निशाना एक, लेकिन दोनों आरोपी इतने अलग!

सुल्ली डील, बुल्ली बाई ऐप से निशाना एक, लेकिन दोनों आरोपी इतने अलग!

बुल्ली बाई और सुल्ली डील ऐप को बनाने वाले दोनों आरोपियों की विचारधारा क्या है? क्या दोनों अलग-अलग विचारधारा वाले हैं? आख़िर दोनों एक-दूसरे से किस तरह अलग हैं?

मुसलिम महिलाओं को निशाना बनाने वाली दो ऐप- सुल्ली डील, बुल्ली बाई हाल में सामने आई हैं। इन दोनों मामलों में इन ऐप को बनाने वाले गिरफ़्तार किए गए हैं। दोनों के निशाने एक थे तो क्या दोनों की विचारधारा भी एक है? क्या दोनों एक तरह के हैं? क्या आप सोच सकते हैं कि एक आरोपी कॉमिक कैरेक्टर में विश्वास करता है जो डेमन की हत्याएँ करता है तो दूसरा आरोपी बिल्कुल दकियानूसी विचारों वाला है जो बदलाव का विरोध करता है।

इन दोनों आरोपी कितने अलग हैं, यह जानने से पहले यह जान लीजिए कि पूरा मामला क्या है। इस साल के पहले दिन गिटहब पर 'बुल्ली बाई' ऐप से ऑनलाइन मुसलिम महिलाओं की 'नीलामी' का मामला सामने आया। हंगामा हुआ तो मुंबई पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया। इसके बाद दिल्ली पुलिस सक्रिय हुई और उसने कहा कि 'बुल्ली बाई' ऐप के मुख्य आरोपी नीरज बिश्नोई को असम के जोरहट से गिरफ़्तार किया गया है। इसके बाद इसी तरह के क़रीब 7 महीने पहले आए एक अन्य मामले सुल्ली डील ऐप को लेकर भी गिरफ़्तारी हुई। इस ऐप को भी गिटहब पर बनाया गया था। इस मामले में गिरफ़्तार आरोपी की पहचान 25 वर्षीय ओंकारेश्वर ठाकुर के रूप में हुई।

दोनों आरोपी के निशाने मुसलिम महिलाएँ थीं। दोनों नफ़रत और घृणा फैलाना चाहते थे। दोनों ने गिटहब का इस्तेमाल किया। दोनों तकनीक में पारंगत हैं। दोनों ने ऑनलाइन माध्यम का सहारा लिया। दोनों एक-दूसरे को पहले से जानते भी थे, लेकिन मिले नहीं थे। दोनों दिल्ली की जेल में हैं और यहीं पहली बार मिले भी। लेकिन क्या आपको पता है कि इतनी समानता के बाद भी दोनों के सोचने में 'ज़मीन-आसमान' का अंतर है!

दोनों से पुलिस पूछताछ की गई है और इस पूछताछ के आधार पर ही जो जानकारी उभरकर सामने आई है उसमें दोनों के सोचने के तौर-तरीक़े अलग मालूम होते हैं। पुलिस के अनुसार, नीरज बिश्नोई चाहता था कि दुनिया जाने कि उसने बुल्ली बाई ऐप बनाई है। गिरफ़्तारी से पहले तो उसने मुंबई पुलिस को बार-बार इसके लिए चुनौती दे रहा था कि गिरफ़्तार करके दिखाओ। जबकि सुल्ली डील ऐप का आरोपी ओंकारेश्वर ठाकुर खुद को इससे बचाना चाहता था। जब यह मामला चर्चा में आया तो उसने अपने सभी ट्विटर व फ़ेसबुक खाते हटा लिए। वह सबकुछ हटाकर गुमनाम ही रहना चाहता था। और ऐसा करने में वह क़रीब 8 महीने तक सफल भी रहा। 

21 साल का बिश्नोई बी टेक का छात्र है जो अब निलंबित है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के हवाले से एचटी ने रिपोर्ट दी है कि बुल्ली बाई मामले में जब मुंबई पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया तो बिश्नोई ने अपने ट्विटर हैंडल से कहा कि मुंबई पुलिस ने ग़लत लोगों को पकड़ा है। उसने तो यह भी दावा किया कि उसने बुल्ली बाई ऐप को बनाया है और पुलिस पकड़ सकती है तो पकड़े। हालाँकि, पुलिस ने कहा कि बिश्नोई गिरफ़्तारी से बचना चाहता था इसलिए उसने गुप्त आईपी एड्रेस का इस्तेमाल किया था और खुद को नेपाल के काठमांडु का बताता था। बिश्नोई ने @giyu2002, @giyu007, @giyuu84, @giyu94, @guyi44 जैसे एकाउंट बनाए थे। रिपोर्ट के अनुसार गिरफ़्तारी के बाद बिश्नोई ने उनसे कहा कि वे उसे गियू नाम से पुकारें। गियू टोमियोका जापान के कॉमिक और डेमन स्लेयर सीरीज़ का एक कैरेक्टर है जो डेमन की हत्याएँ करता है। 

पुलिस का कहना है कि बिश्नोई 'अस्थिर दिमाग' का है। उसने पुलिस हिरासत में आत्महत्या की धमकी दी और खुद को चोट पहुँचाने की कोशिश भी की थी।

पुलिस के अनुसार, बिश्नोई कहता है कि वह एक वामपंथी है और फिर वह बदलकर कहता है कि वह घोर दक्षिणपंथी है। पुलिस ने कहा कि जाँच से पता चलता है कि उसकी कोई विचारधारा ही नहीं है। उसने कहा कि वह घंटों इंटरनेट पर बिताता है और महिलाओं को वह बदनाम करना चाहता है। वह इंटरनेट पर अश्लीलता का आदी है। उसके लैपटॉप पर सैकड़ों अश्लील वेबसाइटें खुलने के सबूत मिले हैं। 

जबकि इंदौर से गिरफ़्तार ओंकारेश्वर ठाकुर बीसीए है। वह जानबूझकर मुसलिम महिलाओं को निशाना बनाता था। पुलिस का कहना है कि ओंकारेश्वर ज़्यादा हट्ठी है। वर्चुअल ग्रुप में इसने ही ऐसी ऐप बनाने की शुरुआत की। उसने ग्रुप के सदस्यों से सुझाव लिया कि किसकी तसवीर लगाई जानी है। पुलिस का कहना है कि वह सोशल मीडिया पर घंटों बिताता था और लगता है कि वह खुद से ही कट्टरपंथी बन गया। 

पुलिस के अनुसार, 'उसने 2019 के आसपास खुद को एक 'ट्राड' (Trad) कहना शुरू कर दिया। उसने कहा कि सोशल मीडिया पर ट्राड समूह समान विचारधारा वाले लोगों के लिए हैं, जो यह मानते हैं कि दुनिया को बदलना नहीं चाहिए और परंपराओं से जुड़ा रहना चाहिए।'

पुलिस अधिकारी कहते हैं कि 23 वर्षीय छात्र ओंकारेश्वर ऐसे कई समूहों का सदस्य है। उन्होंने कहा, 'अधिकांश सदस्य उच्च जाति के हैं... अच्छी तरह से पढ़े-लिखे हैं... और सिर्फ़ ऑनलाइन काम करते और बातचीत करते हैं। वार्ता अक्सर शास्त्रों, 'सनातन धर्म', ब्राह्मणवादी वर्चस्व के इर्द-गिर्द ही रहती है।'

ऐसे अधिकांश प्लेटफॉर्मों पर जातिवादी गालियों का इस्तेमाल किया जाता है, गालियाँ आम्बेडकर को भी दी जाती हैं और संविधान को मनुस्मृति से बदलने की बात की जाती है। ऐसे समूहों में इसलामोफोबिया भी देखा जाता है।

भारत में ये जो ट्राड जैसे समूह सामने आ रहे हैं उसके सदस्य जड़ों की ओर लौटने की बात कहते हैं। वे जीवन के हर क्षेत्र को शास्त्रों से जोड़कर देखते हैं। सनातन धर्म की महानता का बखान करते हैं और इसमें भी वह शुद्धतावादी होने की बात करते हैं। ब्राह्मणवादी वर्चस्व लाने की बात करते हैं और मनुस्मृति की वकालत करते हैं। इन समूहों से जुड़े लोग बदलती दुनिया में सुधार का विरोध करते हैं और उनका विरोध का तरीक़ा भी जातिवादी गालियों, नस्लवादी व धार्मिक नफ़रत फैलाने वाला होता है। 

ओंकारेश्वर के पिता पुलिस के आरोपों को खारिज करते हैं और कहते हैं कि उन्हें पुलिस के आरोपों में विश्वास नहीं है। वह कहते हैं कि ओंकारेश्वर को इसलिए गिरफ़्तार किया गया क्योंकि नीरज बिश्नोई ने पूछताछ में मेरे बेटे का नाम लिया। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने फोन पर कहा है कि उसने कुछ भी ग़लत नहीं किया है। 

जबकि बिश्नोई के परिवार वाले भी पुलिस के आरोपों को ग़लत बता रहे हैं। उनके पिता दशरथ नीरज को निर्दोष मानते हैं। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, उनके पिता उसको निर्दोश एक वजह से मानते हैं। वह कहते हैं, 'उन्होंने मेरे बेटे पर मुसलमानों से नफ़रत करने और तसवीरें अपलोड करने का आरोप लगाया है। मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता। उसका सबसे अच्छा और एकमात्र दोस्त एक मुसलमान है। उसका नाम अफजल है।'

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