वाराणसी में गांधी की विरासत सर्व सेवा संघ पर चला बुलडोजर
गांधी, विनोबा और जयप्रकाश की विरासत मानी जाने वाली संस्था सर्व सेवा संघ, वाराणसी में शनिवार को विध्वंस शुरू हो गया। सर्व सेवा संघ रेलवे के साथ भूमि विवाद में उलझा हुआ था। जिला मजिस्ट्रेट ने रेलवे के पक्ष में आदेश दिया था जिसके बाद परिसर खाली कर दिया गया था।
Demolition begins at Sarva Seva Sangh, Varanasi- an organisation considered to be heritage of Gandhi, Vinoba and Jaiprakash. Sarva Seva Sangh was locked in a land dispute with Railways. The district magistrate had ordered in favour of Railways following which the campus was… pic.twitter.com/25onTcqGSI
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) August 12, 2023
अभी 10 अगस्त को किसान नेता राकेश टिकैत और तमाम लोगों ने यह प्रदर्शन कर इसे गिराए जाने की तैयारी का भारी विरोध किया था। शनिवार को जब यह भवनों को गिराने की कार्रवाई शुरू हुई तो कुछ गांधीवादियों ने विरोध किया लेकिन पुलिस ने फौरन ही उन्हें हिरासत में ले लिया। बुलडोजर की कार्रवाई का ज्यादा विरोध नहीं हो पाया।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने शनिवार 12 अगस्त को एक ट्वीट कर इस पर आपत्ति जताई। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, जेपी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुल्डोज़र चलना शर्मनाक है। गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं। अब वाराणसी के सर्व सेवा संघ को हड़प कर पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं। भाजपा अब बेशर्मी की सारी हदें पार कर रही है।
1961 में बना था संघ भवनः गांधी के विचारों को दुनिया भर में फैलाने के लिए मार्च 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सर्व सेवा संघ की स्थापना की गई थी। विनोबा भावे के मार्गदर्शन में 62 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री डॉ. आनंद किशोर के मुताबिक साल 1960 में इस ज़मीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की कोशिशें शुरू हुईं। भवन का पहला हिस्सा साल 1961 में बनाया गया और साल 1962 में जय प्रकाश नारायण यहां खुद रहा करते थे।
आचार्य विनोबा भावे की पहल पर सर्व सेवा संघ ने ये ज़मीन 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदी हैं। डिवीज़नल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। यह भवन 3 बार में पूरा बन सका था। जैसे-जैसे जमीनें खरीदी जाती रही, वैसे-वैसे भवन बनता चला गया। करीब 1971 तक 3 बार में यहां निर्माण पूरा हुआ। दावा है कि यह भवन गांधी स्मारक निधि और जयप्रकाश नारायण द्वारा किए गए दान-संग्रह से बनवाया गया था।
जुलाई में भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में महात्मा गांधी की विरासत 'सर्व सेवा संघ' परिसर को खाली करा लिया गया था। मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने परिसर में रह रहे लोगों का सामान घरों से निकालना शुरू किया तो अफरा-तफरी फैल गई थी। परिसर में कई सालों से रह रहे लोगों को जब निकाला जाने लगा तो पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ उनकी तीखी नोकझोंक भी हुई थी।