गोकशी की एफ़आईआर में दो नाबालिगों के भी नाम
बुलंदशहर में हुई हिंसक वारदात के बाद पुलिस ने गोकशी का मामला लगाते हुए सात लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई है। ये सभी मुसलमान है। इनमें दो नाबालिग हैं। पुलिस ने गोकशी के आरोप में जिन सात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है, उनमें दो की उम्र दस साल है। साजिद के पिता यासीन का कहना कि उनके बेटे की उम्र 10 से 11 साल के बीच है, उनके भतीजे अनस की उम्र भी यही है। उनका कहना है कि पुलिस उन्हें परेशान करने के लिए बेमतलब ही उन्हें फँसा रही है। उनका कहना है कि पुलिस जिस समय गोकशी किए जाने की बात कह रही है, वे वहां थे ही नहीं। वे इजतिमा में भाग लेने गए हुए थे। इजतिमा यानी धार्मिक सम्मेलन बुलंदशहर से तक़रीबन 40 किलोमीटर हो रहा था।
Father of a minor named in alleged cattle slaughter FIR: The name of my son came up in the FIR. We were sent to the police station, they took our IDs but no interrogation was done. At the time of incident we were at Ijtema. #Bulandshahr pic.twitter.com/u1BRx3hWGP
— ANI UP (@ANINewsUP) December 5, 2018
शहर के जहाँगीराबाद में बुद्ध पैंठ के नज़दीक गोवंश के अवशेष मिलने से क्षेत्र में तनाव फैलने लगा। सूचना पाकर कोतवाली प्रभारी पुलिस टीम के साथ वहाँ पहुंच गए। वहाँ बजरंग दल के कार्यकर्ता समेत बहुत लोग पहले से ही मौजूद थे। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इन अवशेषों को गड्ढा खोदकर दबा। पुलिस ने तुरन्त कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है।
साफ़ है कि पुलिस मामले की तह में जाने और दोषी लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के बदले पूरे मामले को ही नया रंग देना चाहती है। इलाक़े में काम कर रहे बजरंग दल और दूसरी हिन्दुत्ववादी ताक़तों ने भी गोकशी का ही आरोप लगाया है। इससे पुलिस की नीयत पर संदेह लाज़मी है। अहम बात यह है कि नाबालिगों को किस आधार पर इसमें शामिल किया गया है। क्या वह नाबालिगों को गिरफ़्तार करेगी?साफ़ है कि पुलिस इन नाबालिगों को सीधे गिरफ़्तार नहीं कर सकती। वह उन्हें सुधार गृह भेज सकती है। उन्हें अलग से बने जुवनाइल कोर्ट में ही पेश किया जा सकता है।