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योगेश राज का आरोप था झूठा, पुलिस ने माना, चार निर्दोष

योगेश राज का आरोप था झूठा, पुलिस ने माना, चार निर्दोष

बुलंदशहर में गोकशी के मामले में गिरफ़्तारी के क़रीब दो सप्ताह बाद 4 मुस्लिम युवकों को पुलिस ने निर्दोष करार दिया है। अब पुलिस कोर्ट में रिहाई की पैरवी करेगी।

बुलन्दशहर गोकशी और हिंसा मामले में फिर हलचल है। गोकशी और हिंसा दोनों मामलों में। गोकशी में गिरफ़्तारी के क़रीब दो सप्ताह बाद चार लोगों को पुलिस ने निर्दोष बताया है तो तीन अन्य लोगों को गिरफ़्तार भी किया है। उधऱ हिंसा में नामज़द चार और आरोपियों ने कोर्ट में सरेंडर किया है। इसके अलावा इसी केस में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया है। 

सरेंडर करने वालों में हरेन्द्र पुत्र सुखपाल सिंह, टिंकू उर्फ़ भूपेश पुत्र अशोक कुमार व गुड्डू पुत्र ब्रहम सिंह निवासी महाव और छोटे उर्फ़ अविनाश पुत्र सतीश चन्द निवासी चिंगरावटी शामिल हैं। अजय देवला पुत्र राजेन्द्र नट निवासी चिंगरावटी को गिरफ़्तार किया गया है। 

गोकशी के मामले में पुलिस अब 4 मुसलिम युवकों की बेगुनाही और रिहाई के लिए कोर्ट में पैरवी करेगी। गोकशी की घटना की शिकायत के बाद ही बुलंदशहर में हिंसा भड़क गई थी और इन चारों को आरोपी बनाया गया था। हालाँकि पुलिस का यह निर्णय तब आया है जब मामले की जाँच कर रही एसआईटी ने मंगलवार को गोकशी के आरोप में तीन अन्य लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। 

जिन लोगों को निर्दोष करार दिया गया है वे हैं - सर्फ़ुद्दीन, साजिद, आसिफ़ और नन्हे। बजरंग दल के संयोजक योगेश राज इन चार लोगों सहित 7 के ख़िलाफ़ गोकशी की रिपोर्ट दर्ज़ कराई थी। योगेश फ़िलहाल भगोड़ा है और पुलिस उसे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय नागरिक सुमित कुमार की मौत के मामले में तलाश रही है। गोकशी की सूचना पर भड़की हिंसा में दोनों की जान चली गई थी। 

बुलंदशहर एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने मीडिया से कहा कि जाँच-पड़ताल के बाद सरसरी तौर पर हमने चारों गिरफ़्तार लोगों को निर्दोष पाया है और हम उनकी रिहाई के लिए कोर्ट में जाएँगे।

किस आधार पर तीन अन्य की गिरफ़्तारी

चौधरी के अनुसार, गोकशी के आरोप में काला, नदीम और रईस नाम के तीन अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। सभी की उम्र 30-39 के बीच है। पुलिस का कहना है कि उसने इनके ख़िलाफ़ सबूत भी इकट्ठे कर लिए हैं और नदीम से लाइसेंसी बंदूक ज़ब्त की है। पुलिस ने दावा किया है कि इसने बीफ़ को लाने-ले जाने के लिए उपयोग की जाने वाली एक गाड़ी और गायों को काटने वाले चाकू को भी इन तीनों आरोपियों के पास से जब्त किया है। हालाँकि, अभी भी पुलिस ने इस रहस्य से परदा नहीं उठाया है कि जो गोवंश बरामद किया गया था, वह उस दिन की गोकशी का है या पहले का। पुलिस के अनुसार, काला को गोकशी के एक मामले में दो साल पहले भी गिरफ़्तार किया गया था और वह फ़िलहाल जमानत पर बाहर था।

योगेश राज ने क्या लगाया था आरोप

स्याना गाँव में 3 दिसंबर को गोवंश के अवशेष मिलने के बाद बजरंग दल के संयोजक योगेश राज ने 7 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ कराई थी कि उसने सातों को गाँव के पास ही गाय काटते देखा था। हालाँकि बाद में पुलिस जाँच में 7 में से  2 नाबालिग पाए गए थे।

योगेश राज ने एफ़आईआर में कहा था :

  • “आज दिनांक 3-12-2018 को सुबह क़रीब 9 बजे हम लोग योगेशराज, शिखर कुमार सौरभ आदि लोग घूमने के लिए ग्राम महाब के जंगलों में आए थे तभी हमने देखा सुदैफ चौधरी, इल्यास, शराफ़त, परवेज़, सर्फ़ुद्दीन (निवासी नवाबास) आदि लोग थाना स्याना निवासी गायों को काट रहे थे। हमें देख कर, हमारे शोर मचाने पर सभी लोग मौक़े से भाग गए। सूचना पर थाना स्याना की पुलिस व उपजिलाधिकारी स्याना आ गए हैं। उपरोक्त लोगों ने गायों को बुरी तरह से काटा है जिससे हमारे हिंदू धर्म की भावनाएँ आहत हुई हैं। मैं रिपोर्ट लिखाने थाने आया हूँ।”
एफ़आईआर की कॉपी साफ़ कहती है कि योगेश राज कह रहा है कि उसने लोगों को गाय काटते हुए ख़ुद देखा और जब उसने शोर मचाया तो गाय काटने वाले भाग खड़े हुए। उसकी ही निशानदेही पर चार लोगों को गिरफ़्तार किया गया। अब अगर पुलिस यह कह रही है कि इन चारों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले और ये सभी निर्दोष हैं तो फिर क्या एफ़आईआर ग़लत थी क्या योगेश ने जानबूझ कर इन लोगों को फँसाने के मक़सद से एफ़आईआर में नाम डलवाए।

गोकशी की सूचना के बाद ही हिंसा भड़क गई थी और पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह सहित दो लोगों की जान चली गई थी।

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