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बीएसपी की कार्यकारिणी भंग, यूपी के लिए 3 कोऑर्डिनेटर

बीएसपी की कार्यकारिणी भंग, यूपी के लिए 3 कोऑर्डिनेटर

दलितों की सबसे बड़ी नेता मायावती ने बीएसपी को फिर से खड़ा करने की कोशिश तेज कर दी है। उन्होंने आज लखनऊ में पार्टी की समीक्षा बैठक बुलाई थी। इसमें कई अहम फैसले लिए गए। 

बीएसपी प्रमुख मायावती ने आज पार्टी में नई जान फूंकने के लिए कई बड़े फैसले लिए। पार्टी आलाकमान ने रविवार को प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष के पदों को छोड़कर पार्टी की पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया। मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का नैशनल कोऑर्डिनेटर बनाया है। बीएसपी में मायावती के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद नैशनल कोऑर्डिनेटर ही है।तीन मुख्य कोऑर्डिनेटर को मनोनीत किया गया है जो राज्य के प्रभारी भी होंगे। ये हैं; मेरठ से मुनकाद अली, बुलंदशहर से राजकुमार गौतम और आजमगढ़ से विजय कुमार।

पार्टी ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद 27 मार्च को लखनऊ में समीक्षा बैठक बुलाई थी। अभी और कई बड़े फेरबदल की उम्मीद जताई जा रही है। संगठन में डिवीजन स्तर पर नए चेहरों को जगह मिल सकती है। पार्टी का काडर बहुत दिनों से निचले स्तर पर पार्टी में फेरबदल की मांग कर रहा था। कार्यकर्ताओं का कहना था कि नए चेहरों को जगह दी जाए।

 - Satya Hindi

शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली, आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीएसपी प्रत्याशी होंगे

गुड्डू जमाली लौटे और प्रत्याशी बनेआजमगढ़ से एआईएमआईएम टिकट पर मुबारकपुर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मायावती ने बीएसपी में फिर से वापस ले लिया है। उनकी वापसी होते ही मायावती ने उन्हें आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीएसपी प्रत्याशी घोषित कर दिया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई है।

गुड्डू जमाली एआईएमआईएम के एकमात्र प्रत्याशी थे, जिनकी जमानत विधानसभा चुनाव में बच गई थी। एआईएमआईएम ने यूपी में सौ प्रत्याशी खड़े किए थे। जिनमें से इन्हीं की जमानत बची थी। एआईएमआईएम से चुनाव लड़ने से पहले जमाली बीएसपी में ही थे लेकिन वो चुनाव लड़ने वहां चले गए थे। बहरहाल, अब उनकी घर वापसी हो गई है।

हालांकि बीएसपी के मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया के जरिए बीएसपी प्रमुख से सवाल किया है कि पार्टी ने गुड्डू जमाली के लिए विधान परिषद बनाने के बारे में क्यों नहीं विचार किया। अगर पार्टी सपा के साथ तालमेल बिठाती तो विधान परिषद चुनाव में ही गुड्डू आसानी से एमएलसी बन जाते है। विधान परिषद चुनाव ऐसा मौका था, जब सपा और बीएसपी चुनावी तालमेल कर सकते थे।

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