मायावती ने कांग्रेस पर किया तंज, नई सरकारों पर उठाई उँगली
आयोजन हर बार की तरह था पर 'बर्थडे गर्ल' के चेहरे की चमक दूसरी थी। गठबंधन का आत्मविश्वास, प्रदेश के कोने-कोने से सपा-बसपा के संयुक्त जन्मदिवस के आयोजन, तेजस्वी का साथ और सबसे उपर अखिलेश यादव के आने की ख़बर ने मायावती को आज उत्साह से लबरेज़ कर रखा था। आम दिनों में बसपा नेताओं और कार्यकर्त्ताओं को डाँटने वाली मायावती आज हंसी खुशी बाते कर रहीं थीं। आमंत्रितों को लंच पर बुलाने से पहले उन्होंने ख़ुद सारी व्यवस्था का मुआयना किया।
मायावती के जन्मदिन के मौके पर मंगलवार को बसपा के लखनऊ के माल एवेन्यू कार्यालय का आयोजन कुछ खास था। कार्यालय के अंदर जहां पार्टी के नेता, चुनिंदा कार्यकर्त्ता और पत्रकार मौजूद थे, वहीं बाहर बड़ी तादाद में बसपा के साथ सपा के लोग भी जुटे थे। यूपी कं कई शहरों में सपा-बसपा ने मिलकर मायावती के साथ ही अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज की सांसद डिंपल यादव का जन्मदिन भी मनाया।
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कांग्रेस पर तंज़
जन्मदिन के मौके पर माया जहां मुख्य रूप से बीजेपी पर हमलावर रहीं, वहीं उन्होंने कांग्रेस को भी नही छोड़ा और उसे भी सबक सीखने को कहा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश, राजस्थान छत्तीसगढ़ में नतीजों ने बीजेपी को सबक सिखाया। लेकिन इससे कांग्रेस एंड कंपनी को भी सबक सीखने की ज़रूरत है। माया ने कहा कि इन राज्यों में लोगों ने कांग्रेस की सरकारों पर अभी से उंगली उठानी शुरू कर दी है। सवर्ण आरक्षण का समर्थन करते हुए मायावती ने धार्मिक अल्पसख्यकों को भी आरक्षण देने की मांग की।
मांगा जन्मदिन का तोहफ़ा
आज जन्मदिन के उत्सव पर मायावती अपने संबोधन में बसपा के साथ ही सपा कार्यकर्त्ताओं से भी मुख़ातिब होती दिखीं। उन्होंने ज़्यादातर समय दोनो पार्टियों का एक साथ नाम लिया। माया ने बसपा-सपा के लोगों से अपील करते हुए कहा कि पुराने सभी गिले-शिकवे भुलाकर, निजी हितों को भूलकर, विरोधियों के साम-दाम से बचकर एकजुट हों, यही मेरे जन्मदिन का तोहफ़ा होगा। उन्होंने कहा कि जो भी मेरा जन्मदिन मना रहे हैं उनका आभार, मेरा जन्मदिन ऐसे मौके पर हो रहा है जब लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है और हमारी पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए पूछा कि कांग्रेस सरकार में क़र्ज़माफ़ी की सीमा केवल 9 महीने पहले की क्यों तय की गई शर्तों के आधार पर केवल 2 लाख रुपये का क़र्ज़ माफ़ करने की बात कही, इससे कोई ख़ास लाभ किसानों को नही मिलने वाला है।
क़र्ज़माफ़ी की ठोस नीति हो
मायावती ने कहा कि किसानों की क़र्ज़माफ़ी के लिए केंद्र राज्य सरकारों को कोई ठोस नीति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, भूमिहीन, जो छोटे मोटे काम के लिए कर्ज लेते हैं, उनके कर्ज़ माफ़ी के लिए ठोस कदम नही उठाए गए। साथ ही जीएसटी व नोटबन्दी से इनकी स्थिति और दयनीय हो गई है, इन सरकारों में इनके हित न सुरक्षित रहे हैं, न आगे रहेंगे।
बीजेपी ने किया विश्वासघात
मायावती ने कहा कि भाजपा और आरएसएस ने धर्म के नाम पर न केवल राजनीति करने का काम किया, बल्कि देवी देवताओं को भी जाति में बाँटने का घिनौना काम किया है। यह दुखद है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की जुमा की नमाज़ रोकना शुरू कर दिया गया है। माया बोलीं कि मोदी व अमित शाह सीबीआई और संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे है। इसका ताज़ा उदाहरण सपा अध्यक्ष का सीबीआई में नाम लाना है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लाख न चाहने के बाद भी इनकी वादाख़िलाफ़ी मुद्दा बन गई जो ख़ामोशी से अपना काम करती जा रही है। माया ने कहा कि 15 से 20 लाख देकर 'अच्छे दिन' लाने का सपना दिखाया था जो विश्वासघाती साबित हुआ है।