पंजाब की विधानसभा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के नए आदेश के ख़िलाफ़ गुरूवार को प्रस्ताव पास किया है। गृह मंत्रालय ने बीते महीने बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी. से बढ़ाकर 50 किमी. कर दिया था। यह अधिकार क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा के अंदर बढ़ाया गया था। कहा गया था कि इससे तस्करी पर रोक लगेगी और सुरक्षा बलों का ऑपरेशन बेहतर होगा।
विधानसभा में पास प्रस्ताव में कहा गया है कि यह राज्य का अपमान है और इसे वापस लिया जाए। प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ है। इस दौरान बीजेपी के दोनों विधायक सदन से ग़ैर हाजिर रहे।
गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया था कि केंद्रीय बलों के जवान अब देश के तीन राज्यों- असम, पंजाब और बंगाल के ज़्यादा इलाक़े में गिरफ़्तारी, तलाशी अभियान और जब्त करने की कार्रवाई कर सकेंगे। पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकार ने तब भी इसका पुरजोर विरोध किया था।
विधानसभा में प्रस्ताव उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने रखा। प्रस्ताव में कहा गया है, “पंजाब शहीदों की धरती है और राज्य ने देश की आज़ादी के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। भारत के संविधान के मुताबिक़, क़ानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है और इसमें राज्य की सरकार पूरी तरह सक्षम है।”
प्रस्ताव के मुताबिक़, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लिया गया यह फ़ैसला राज्य की पुलिस और पंजाब के लोगों के प्रति अविश्वास को दिखाता है और यह उनका अपमान भी है।
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि पंजाब में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और बीएसएफ़ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने की कोई ज़रूरत नहीं है। राज्य के सभी राजनीतिक दल केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वे इस संबंध में दिए गए अपने आदेश को वापस ले।
ये सबकी लड़ाई है: चन्नी
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस मुद्दे पर सभी दलों से सहयोग मांगा और इसे सबकी लड़ाई बताया। उप मुख्यमंत्री रंधावा ने कहा कि सदन के सदस्यों को इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहिए।
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि राज्य सरकार को यह प्रस्ताव भी पास करना चाहिए कि पंजाब पुलिस बीएसएफ़ को 15 किमी. से आगे सहयोग नहीं देगी।
अमरिंदर सिंह की राय अलग
लेकिन पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की राय इन नेताओं से अलग है। अमरिंदर सिंह ने कहा था कि बीएसएफ़ का दायरा और ताक़त बढ़ने से हम और मज़बूत होंगे। उन्होंने कहा था कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को राजनीति में न घसीटा जाए।
बंगाल ने भी किया था विरोध
जबकि पश्चिम बंगाल की सरकार ने भी केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस आदेश का विरोध किया था। राज्य के परिवहन मंत्री और टीएमसी नेता फिरहाद हाकिम ने कहा था कि क़ानून और व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है लेकिन केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के जरिये इसमें दख़ल दे रही है।