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ब्रिटिश पीएम यूके के बच्चों की मैथ्स क्यों सुधारना चाहते हैं

ब्रिटिश पीएम यूके के बच्चों की मैथ्स क्यों सुधारना चाहते हैं

ब्रिटिश पीएम ने कल बुधवार को कहा कि ब्रिटेन में 18 साल तक लड़कों का अब मैथ्स अनिवार्य रूप से पढ़ना पड़ेगी। लेकिन ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ऐसा करने को क्यों मजबूर हुए, वो ब्रिटेन के लोगों की मैथ्स क्यों सुधारना चाहते हैं। जानिएः

ब्रिटेन अपने बच्चों में मैथ्स की उदासीनता को लेकर परेशान है। ब्रिटेन में यह मजाक आम है कि हमारी मैथ्स तो जीरो है। यही वजह है कि कल बुधवार को ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने 18 साल के लड़कों तक मैथ्स की पढ़ाई अनिवार्य घोषित कर दी है। ब्रिटिश पीएम ने नए साल पर कई एजुकेशन रिफॉर्म की घोषणा की है, जिसमें मैथ्स की पढ़ाई सबसे खास है। 

हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि इंग्लैंड में लगभग 80 लाख लोगों को प्राइमरी स्कूल के बच्चों जितनी मैथ्स आती है या वो उस लेवल का ही गुणा-भाग कर सकते हैं। इससे निपटने के लिए ही यूके के प्रधानमंत्री ने मैथ्स एजुकेशन पर ज्यादा फोकस करने की बात कही है।

ऋषि सुनक ने कल बुधवार को 2023 का अपना पहला भाषण दिया और गणित को अनिवार्य विषय बनाने की योजना की घोषणा की। सुनक पहले भी अपने भाषणों में एजुकेशन रिफॉर्म के मुद्दों को उठाते रहे हैं।

मौजूदा स्थितिः इंग्लैंड में मैट्रिक के छात्रों को 16 और 18 वर्ष की उम्र के बीच पढ़ाई करने के लिए शैक्षणिक विषयों का चुनाव करने की अनुमति है। यह वहां पारंपरिक ए लेवल कहलाता है। अभी तक, इंग्लैंड में, 16 वर्ष की आयु तक छात्रों के लिए स्कूल-आधारित शिक्षा अनिवार्य है, जिसके बाद छात्रों के पास ए-स्तर या वैकल्पिक योग्यता, या व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे विकल्प होते हैं, जिन्हें वे आगे की शिक्षा के लिए चुन सकते हैं।

पुरानी समस्या, नया इलाज

ब्रिटेन में लोगों के मैथ्स में पिछड़ने की समस्या पुरानी है। लेकिन ऋषि सुनक ने इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार किया है। ब्रिटेन की प्रॉसपेक्ट मैगजीन ने मैथ्स से जुड़े एक किस्से को बताया है। उसके मुताबिक 2012 में इंटरनेशनल मैथ्स कॉम्पिटिशन हुआ था। उसमें ब्रिटिश किशोर सिर्फ औसत स्कोर तक ही पहुंचे। शंघाई के स्कूली बच्चे इस सूची में सबसे ऊपर आए। उसके नतीजों से पता चला कि शंघाई के बच्चे ब्रिटेन के बच्चों के मुकाबले तीन साल की स्कूली शिक्षा के बराबर आगे हैं। उस समय यूके सरकार ने फैसला किया कि यूके के बच्चों की मैथ्स तेज करने के लिए शंघाी से 60 से ज्यादा गणित टीचरों को बुलाया जाए। लेकिन बाद में भाषा और संस्कृति का सवाल खड़ा हो गया और योजना ठंडे बस्ते में चली गई। यही वजह है कि सुनक अब मैथ्स पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए वो जल्द ही पूरा प्लान घोषित करेंगे।

2019 में मैथ्स पर आधारित एक सर्वे हुआ, जिसे किंग्स कॉलेज लंदन ने आयोजित किया था। दो हजार लोगों पर किए गए सर्वे में यह निकल कर आया कि पांच से सिर्फ एक व्यक्ति को सी ग्रेड मिला था। सर्वे में शामिल सभी लोगों को मैथ्स से जुड़े पांच हल्के-फुल्के सवाल दिए गए थे। दो हजार में सिर्फ 6 फीसदी लोग ही सभी पांच सवालों का जवाब दे सके। 10 फीसदी लोगों को जीरो जवाब आता था। सर्वे में शामिल 43 फीसदी लोगों का जवाब था कि वे मैथ्स के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते और इसमें सुधार चाहते हैं। 23 फीसदी ने कहा कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि मैथ्स पढ़ने से कुछ फायदा भी हो सकता है।

सुनक ने क्यों ऐसा किया

ऋषि सुनक का मैथ्स जरूरी जैसे कदम का मकसद नौकरी की संभावना तलाशने वाले छात्रों की मदद करना है। उन्होंने कहा कि फिलहाल, 16-19 साल के सभी बच्चों में से केवल आधे ही मैथ्स पढ़ते हैं। अब एक ऐसी दुनिया बन रही है, जहां डेटा हर जगह है और आंकड़े हर काम को रेखांकित करते हैं। इसलिए हमारे बच्चों की नौकरियों के लिए पहले से कहीं अधिक विश्लेषणात्मक कौशल की जरूरत होगी। 

ऋषि सुनक ने यह भी कहा कि उनके राजनीति में आने का सबसे महत्वपूर्ण कारण हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। जीवन में मुझे जो भी अवसर मिला है, वह उस शिक्षा से शुरू हुआ है, जिसे पाने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। और यह एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि मैं राजनीति में क्यों आया: हर बच्चे को शिक्षा का उच्चतम संभव स्तर देना।

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