बेरोकटोक कश्मीर जाने की माँग की तो न्योता वापस : ब्रिटिश नेता
ब्रिटेन से यूरोपीय संसद के लिए चुने गए सदस्य क्रिस डेविस ने कश्मीर जाने वाली टीम के बारे में रहस्योद्घाटन कर सबको चौंका दिया है। उन्होंने कहा है कि पहले उन्हें भी कश्मीर जाने का न्योता मिला था, वह राजी भी हो गए थे, पर जब उन्होंने कहा कि वह वहाँ सेना या पुलिस के किसी आदमी को साथ लिए बग़ैर जाएँगे तो न्योता वापस ले लिया गया।
उन्होंने इसकी पुष्टि कर दी है। डेविस को वूमन्स इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (डब्लू एस टी टी यानी वेस्ट) ने न्योता दिया था। उनसे कहा गया था कि वह 28 अक्टूबर को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल सकते हैं, कश्मीर जाकर वहाँ की हालत का जायजा ले सकते हैं और 30 अक्टूबर को वहाँ प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं।
Chris Davies, Member of the European Parliament for North West England, was a part of the group of EU MPs who were invited to visit Kashmir to see the situation on the ground.
— India Today (@IndiaToday) October 29, 2019
(Report: @loveenatandon)https://t.co/VyUFja6ZMq
उन्होंने इंडिया टुडे टीवी से मिले एक प्रश्न का ई-मेल से ही जवाब दिया। उन्होंने उस ई-मेल में लिखा :
“
मैंने 8 अक्टूबर को वेस्ट से कहा कि मुझे निमंत्रण स्वीकार कर खुशी हो रही है, पर शर्त यह है कि कश्मीर दौरे पर मैं बग़ैर किसी रोकटोक के जहाँ चाहूँ जा सकूँ, जिससे चाहूँ मिल सकूँ, जिससे चाहूँ बात कर सकूँ, मेरे साथ सेना, पुलिस या सुरक्षा बलों का कोई आदमी न हो, लेकिन मेरे साथ पत्रकार हों।
क्रिस डेविस, यूरोपीय संसद सदस्य, इंगलैंड नॉर्थ वेस्ट
उन्होंने यह भी कहा कि उनसे कहा गया था कि इंटरनेशनल इंस्टीच्यूट फॉर नन-अलाइन्ड स्टडीज़ हवाई टिकट और वहाँ ठहरने वगैरह का खर्च उठाएगा। उन्होंने आगे जोड़ा कि इसके बाद 10 अक्टूबर को उनका न्योता वापस ले लिया गया।
बता दें कि यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों का एक दल दिल्ली पहुँचा, भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उन्हें कश्मीर की स्थिति की जानकारी दी। अगले दिन 29 अक्टूबर को उन्हें जम्मू-कश्मीर ले जाया गया।
पर इसके साथ ही इस पूरे दौरे पर ही सवाल लग गया और इसका ज़बरदस्त विरोध शुरू हो गया।
वे प्रवासी विरोधी, इसलाम विरोधी, कट्टरपंथी, फासिस्ट और नात्सी समर्थक विचारों के लिए जाने जाते हैं। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ये सभी सांसद निजी दौरे पर हैं, वे यूरोपीय संघ या यूरोपीय संसद की ओर से नहीं भेजे गए हैं। इन अलग-अलग देशों की अलग-अलग पार्टियों के 27 नेताओं का एक साथ भारत आना भी कई सवाल खड़े करता है।
यूरोपीय संसद दरअसल यूरोपीय संघ की विधायिका है, जिसमें हर देश से जनसंख्या के आधार पर सांसद चुने जाते हैं। ये सांसद अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि अपनी-अपनी पार्टियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उस इलाक़े के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ से ये चुने जाते हैं। ये यूरोपीय संघ से जुड़े तमाम नीतिगत फ़ैसले लेते हैं। इन सांसदों को मेम्बर ऑफ़ यूरोपियन पार्लियामेंट यानी एमईपी कहते हैं।