एमपी उपचुनाव: नोट के बाद अब साड़ी बाँटने का वायरल हुआ मंत्री का वीडियो
मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार ज़ोर पकड़ चुका है। प्रचार तेज़ होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों का सिलसिला भी तेज़ हो गया है। शिवराज काबीना के एक सदस्य द्वारा कथित तौर पर वोटरों को नोट बाँटने संबंधी वीडियो के बाद अब दूसरे मंत्री का साड़ी बाँटते वीडियो वायरल हुआ है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को शिकायतें की हैं। आयोग ने वायरल वीडियो की पड़ताल के आदेश दिये हैं। जबकि संबंधित मंत्रियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
बता दें कि गुना ज़िले की मुंगावली सीट से बीजेपी उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह यादव का साड़ी बाँटते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। सिंधिया समर्थक यादव की परेशानियाँ इस वीडियो के बाद बढ़ गई हैं। वे शिवराज कैबिनेट में राज्यमंत्री हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का दायित्व उनके पास है।
बता दें कि इस वीडियो के ठीक पहले परसों खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था। उस वायरल वीडियो में सौ रुपयों वाली नोटों की गड्डी हाथों में थामे सिंह 100-100 रुपये के नोट कई जगहों पर देते हुए दिखलाई पड़ते हैं।
बिसाहूलाल सिंह से जुड़े वायरल वीडियो को लेकर भी मध्य प्रदेश कांग्रेस चुनाव आयोग पहुँची थी। शिकायत दर्ज कराई थी। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने मीडिया से कहा था, ‘करोड़ों रुपये लेकर बीजेपी के हाथों बिक जाने वाले पुराने कांग्रेसी जान रहे हैं कि अब उन्हें जीत मिलने वाली नहीं है, लिहाज़ा भ्रष्टाचार के पैसों से वोट ख़रीदने का प्रयास वे कर रहे हैं।’
उधर साड़ी वाले वायरल वीडियो को लेकर बृजेन्द्र सिंह यादव भड़के हुए हैं। यादव ने दावा किया है कि वायरल हुआ वीडियो महीने भर पुराना है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के काफ़ी पहले क्षेत्र में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने आशा और आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को साड़ियाँ वितरित की थीं। वीडियो सही है, लेकिन उसे चुनाव से जोड़ा जाना पूरी तरह से ग़लत है। यादव ने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने वालों के ख़िलाफ़ वह कोर्ट में जाएँगे।
उधर मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा है,
‘गाँव में जाने पर बच्चियाँ कलश लिये खड़े मिली थीं। कलश को खाली ना छोड़ने की परंपरा है। परंपरा के तहत उन्होंने कलश में पैसे डाले। इसे चुनाव से जोड़ा जाना ओछी और घृणित मानसिकता है।’
सिंह ने जहाँ कलश में पैसे डालने की बाद स्वीकारी है, वहीं मध्य प्रदेश बीजेपी ने इस वायरल वीडियो को फेक बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है।
बीजेपी ने जारी की उम्मीदवार की सूची
मध्य प्रदेश बीजेपी ने अपने सभी 28 प्रत्याशियों की सूची मंगलवार शाम को जारी कर दी। कुल 28 प्रत्याशियों में उन सभी पूर्व कांग्रेस विधायकों को टिकट दिये गये हैं जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। मार्च महीने में मध्य प्रदेश में कमलनाथ का सत्ता पलट हुआ था। सिंधिया समर्थक 19 विधायकों ने पहले पाला बदला था। बाद में तीन कांग्रेसी विधायकों ने और इस्तीफ़ा देकर बीजेपी का साथ दिया था।
कांग्रेस के विधायकों के पाला बदलने से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। शिवराज सिंह की अगुवाई में बीजेपी ने सरकार बनाई थी। सरकार बनने के बाद तीन और कांग्रेस के विधायक बीजेपी खेमे में आ गये थे। कुल 25 विधायकों ने 'दलबदल' किया था। जबकि तीन सीटें विधायकों के निधन से रिक्त हुईं थीं।
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। बहुमत का आँकड़ा 116 है। वर्तमान में बीजेपी के पास 107 और कांग्रेस के 88 सीटें हैं। जबकि चार निर्दलीय, बहुजन समाज पार्टी के दो और समाजवादी पार्टी से एक विधायक हैं। बीजेपी को अपने दम पर सत्ता में बने रहने के लिए महज नौ सीटों की आवश्यकता है, जबकि कांग्रेस को पुनः सत्ता में आने के लिए सभी 28 सीटें जीतनी होंगी।
कई सीटों पर त्रिकोणीय मुक़ाबला
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ दल बीजेपी और प्रतिपक्ष कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं हैं। बहुजन समाज पार्टी ने भी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हुए हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग की कई सीटों पर बसपा के खाँटी वोटर हैं। तमाम प्रतिकूल हालातों में भी इन सीटों पर उसे निश्चित वोट मिलते हैं। कुल 16 सीटों में कई सीटें बसपा ने पूर्व में जीती भी हैं। बसपा पूरी ताक़त इस बार लगाये हुए है।
इधर ज्योतिरादित्य सिंधिया फ़ैक्टर ने कांग्रेस के हौसले पस्त किये हुए हैं। थोक में कांग्रेसियों को सिंधिया तोड़कर अपने साथ ले गये हैं। अनेक सीटों पर कांग्रेस के पास ऐसे चेहरे नहीं बचे हैं जिनका क्षेत्र में प्रभाव या दबदबा हो। उधर सिंधिया समर्थक प्रत्याशियों को बीजेपी के लोग मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
सिंधिया के साथ शिवराज पूरी ताक़त से जुटे हुए हैं। मंत्रियों और सांसदों को भी बीजेपी ने झोंका हुआ है। तमाम समीकरणों के बाद भितरघात के ख़तरे ने बीजेपी के रणनीतिकारों की बेचैनियाँ बढ़ाई हुई हैं।