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यू्क्रेन तक नहीं रुकेगा रूस; 1945 के बाद सबसे बड़े युद्ध की योजना: ब्रिटेन

यू्क्रेन तक नहीं रुकेगा रूस; 1945 के बाद सबसे बड़े युद्ध की योजना: ब्रिटेन

रूस क्या यूक्रेन के बहाने पूर्व के सोवियत संघ से अलग हुए देशों को इकट्ठा करना चाहता है? क्या इससे यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध जैसे हालात होने का ख़तरा है? जानिए ब्रिटेन ने क्या कहा है।

यूक्रेन संकट क्या पूरे यूरोप के लिए बड़े ख़तरे की घंटी है? ब्रिटेन तो कम से कम ऐसा ही मानता है। ब्रिटेन ने कहा है कि रूस में यूक्रेन का संभावित हमला वहीं तक नहीं रहेगा, बल्कि उसकी योजना उन देशों तक के लिए है जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे और फिर अलग हो गए हैं। इसके साथ ही ब्रिटेन ने यह भी कहा है कि रूस की यूरोप में 1945 के बाद सबसे बड़े युद्ध की तैयारी है। 

म्यूनिख की सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस से बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि सबूत बताते हैं कि रूस '1945 के बाद से यूरोप में सबसे बड़े युद्ध' की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पश्चिमी नेताओं से कहा था कि खुफिया से संकेत मिलते हैं कि रूसी सेना एक आक्रमण शुरू करने का इरादा रखती है जो यूक्रेन की राजधानी कीव को घेर लेगी। उन्होंने कहा कि सभी संकेत इस बात के हैं कि योजना कुछ अर्थों में पहले ही शुरू हो चुकी है।

साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'मुझे यह कहने में डर लग रहा है कि हम जो योजना देख रहे हैं, वह ऐसी चीज के लिए है जो वास्तव में 1945 के बाद से यूरोप में सबसे बड़ा युद्ध हो सकता है।' यह वही साल था जब दूसरा विश्व युद्ध ख़त्म हुआ था। यह युद्ध 1939 में मुख्य तौर पर यूरोप में ही लड़ा गया था और इसमें क़रीब 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ शामिल हुई थीं।

इधर, ब्रिटेन की विदेश सचिव, लिज़ ट्रस ने कहा है कि उनका मानना ​​है कि पुतिन 'यूक्रेन में नहीं रुकेंगे'। 'डेली मेल' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह तर्क दिया कि वह सोवियत संघ को एक साथ वापस एकजुट करना चाहते हैं। सोवियत संघ की स्थापना की प्रक्रिया 1917 की रूसी क्रान्ति के साथ शुरू हुई थी और 1922 में स्थापना संधि हुई थी। 1991 में इसका विघटन हुआ। 

ट्रस ने इससे पहले म्यूनिख में एक सुरक्षा सम्मेलन में युद्ध के लिए तैयार होने के लिए कहा था। उन्होंने कहा, 'यह 1940 के बाद से यूरोपीय सुरक्षा के लिए सबसे खतरनाक क्षण है। हमें सबसे ख़राब स्थिति के लिए तैयार रहने की ज़रूरत है। रूस ने दिखाया है कि वे कूटनीति को लेकर गंभीर नहीं हैं।'

ब्रिटेन के एक अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश खुफिया प्रमुखों का कहना है कि वे व्हाइट हाउस की उन रिपोर्टों से सहमत हैं जिनमें चेतावनी देते हुए कहा गया है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही यूक्रेन पर आक्रमण की योजना के लिए आदेश जारी कर दिया है।

संडे टाइम्स के अनुसार, सरकार में चार वरिष्ठ हस्तियों ने पुष्टि की कि उन्हें आशंका है कि किसी भी दिन रूसी हमला हो सकता है।

बता दें कि व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम ने उन्हें बताया है कि उन्हें अभी भी विश्वास है कि रूस यूक्रेन में किसी भी समय हमला कर सकता है। अमेरिका का यह बयान तब आया है जब रूस ने किसी भी संभावित हमले से इनकार किया है और हाल ही में दावा किया है कि यू्क्रेन की सीमा से सटे देशों में उसके जो सैनिक अभ्यास कर रहे थे वे लौट रहे हैं।

लेकिन अमीर देशों के जी-7 समूह के विदेश मंत्रियों ने कहा है कि उन्होंने ऐसा कोई सबूत नहीं देखा है कि रूस क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधि को कम कर रहा है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है कि वे स्थिति के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई है। 

म्यूनिख में एक सुरक्षा सम्मेलन में अपनी निराशा व्यक्त करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि वैश्विक सुरक्षा ढांचा लगभग टूट चुका है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जर्मनी और तुर्की के स्थायी सदस्यों से अपने देश के लिए नई सुरक्षा गारंटी तैयार करने के लिए मिलने का आग्रह किया।

हालाँकि, पश्चिमी देशों की रूसी हमलों की आशंकाओं पर रूस ने भी प्रतिक्रिया दी है। रायटर्स के हवाले से स्काई न्यूज़ ने ख़बर दी है कि संयुक्त राष्ट्र में रूस के पहले उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलियांस्की ने रविवार को कहा कि इराक पर अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण के लिए दोषपूर्ण खुफिया जानकारी को देखते हुए यूक्रेन पर अमेरिकी और ब्रिटिश जासूसों के आकलन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा, 'हमें अमेरिका और ब्रिटिश खुफिया पर भरोसा नहीं है, उन्होंने हमें, पूरी दुनिया को, कई मौक़ों पर निराश किया है। इराक में सामूहिक विनाश के हथियारों को याद करना ही काफी है।' पोलियांस्की ने कहा कि किसी को भी रूस को यह बताने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि उसने रूसी क्षेत्र में सैन्य अभ्यास कहां किया।

क्या है झगड़े की जड़?

व्लादिमीर पुतिन नहीं चाहते कि यूरोपीय संघ और नाटो संगठन का फैलाव रूस की सीमा तक हो। इसलिए वे अमेरिका और नाटो से इस बात की गारंटी चाहते हैं कि यूक्रेन को नाटो और यूरोपीय संघ में शामिल नहीं किया जाएगा। जबकि अमेरिका और उसके साथी नाटो संगठन के देशों का कहना है कि पुतिन जिस गारंटी की मांग कर रहे हैं उसे दे पाना संभव ही नहीं है। क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय क़ायदे-कानूनों का उल्लंघन और यूक्रेन की प्रभुसत्ता का अतिक्रमण होगा।

अमेरिका और यूरोप के देश केवल इतना आश्वासन दे रहे हैं कि फ़िलहाल यूक्रेन को यूरोपीय संघ और नाटो की सदस्यता देने का न तो कोई प्रस्ताव है और न ही ऐसी कोई योजना है। पर वे यह चेतावनी भी दे रहे हैं कि वे एकजुट होकर यूक्रेन के साथ हैं। अगर रूस ने यूक्रेन की सीमाओं को पार करने या और किसी तरह की गड़बड़ी करने की कोशिश की तो अमेरिका और यूरोपीय देश इसका जोरदार जवाब देंगे। इधर रूस ने नाटो से यूक्रेन को गठबंधन में शामिल होने से रोकने की मांग करते हुए ही सीमा के आसपास बड़ी तादाद में सैन्य तैनाती की है।

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