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भारतीय मूल के सुनाक को ब्रिटिश पीएम नहीं बनने देना चाहते बोरिस?

भारतीय मूल के सुनाक को ब्रिटिश पीएम नहीं बनने देना चाहते बोरिस?

क्या बोरिस जॉनसन भारतीय मूल के ऋषि सुनाक को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री नहीं बनने देना चाहते हैं? यदि वह उनकी राह में बाधा डाल रहे हैं तो इसके पीछे का कारण क्या है?

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में अब तक आगे आगे दिख रहे भारतीय मूल के ऋषि सुनाक की आगे की राह क्या अब बेहद मुश्किल होने वाली है? यह सवाल इसलिए कि कंजरवेटिव पार्टी में पहले और दूसरे राउंड की वोटिंग के बाद आगे रहे ऋषि सुनाक के लिए लगता है कि बोरिस जॉनसन सबसे बड़ी अड़चन बनने वाले हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों से 'ऋषि सुनाक को छोड़कर किसी को भी' समर्थन देने के लिए कहा है।

'द टाइम्स' अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि जॉनसन ने टोरी नेतृत्व के उम्मीदवारों को सुनाक का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट के अनुसार जॉनसन ने कहा है कि वह किसी भी नेतृत्व के उम्मीदवारों का समर्थन नहीं करेंगे या सार्वजनिक रूप से स्पर्धा में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन माना जाता है कि उन्होंने असफल दावेदारों के साथ बातचीत की और आग्रह किया कि सुनाक को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। 

द टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस बातचीत से रूबरू एक क़रीबी सूत्र ने कहा कि जॉनसन विदेश सचिव लिज़ ट्रस के समर्थन के लिए सबसे अधिक उत्सुक दिखाई दिए। जॉनसन कथित तौर पर कनिष्ठ व्यापार मंत्री पेनी मोर्डंट के पक्ष में भी हैं।

बोरिस जॉनसन ने 7 जुलाई को सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफ़े के लिए उनकी ही पार्टी के सदस्यों के समर्थन वापस लेने के लिए व्यापक रूप से सुनाक को दोषी ठहराया जाता है। 

ऐसा इसलिए कि ऋषि सुनाक और साजिद जावीद के मंत्रियों के रूप में इस्तीफा देने के साथ ही बोरिस जॉनसन की सरकार संकट में आ गई थी। सुनाक के इस्तीफ़े के बाद एक एक कर कई मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों ने इस्तीफ़ा दे दिया। और फिर आख़िर में बोरिस जॉनसन को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

ऋषि सुनाक ने अपने इस्तीफे के पत्र में कहा था कि जब पूरी दुनिया महामारी, यूक्रेन में युद्ध और अन्य कारणों से आर्थिक संकट का सामना कर रही है, ऐसे वक्त में मुझे यह फ़ैसला लेना पड़ा, लेकिन जनता चाहती है कि सरकार सही तरीके से और गंभीरता से चले।

बता दें कि ऋषि सुनाक को बोरिस जॉनसन ने ही चुना था और उन्हें राजकोष का चांसलर नियुक्त किया गया था। उनको पहली बार पूर्ण कैबिनेट का दर्जा फरवरी 2020 में मिला। 

 - Satya Hindi

ऐसे ही हालातों के बीच कुछ दिन पहले ही बोरिस जॉनसन पर आरोप लगा था कि वह ऋषि सुनाक के पीएम बनने के अभियान को पटरी से उतारना चाहते हैं। द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार सीनियर टोरीज़ ने क़रीब हफ़्ते भर पहले बोरिस जॉनसन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में सफल होने के लिए ऋषि सुनाक के प्रयास को बाधित करने की कोशिश की थी। 

सुनाक को पहले से ही साथी सांसदों के बीच आलोचना का सामना करना पड़ा है। विरोधी उनकी आलोचना आर्थिक नीतियों को लेकर कर रहे हैं। सुनाक के यह संकेत देने के लिए विरोधियों की ओर से आलोचना की जा रही है कि वह तत्काल कर कटौती की तुलना में राजकोषीय तर्कसंगतता पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार जॉनसन के वफादार जैकब रीस-मोग ने शुक्रवार शाम को कहा कि वह सुनाक का समर्थन नहीं कर सकते जिनके वित्त मंत्री के रूप में इस्तीफे के कारण प्रधानमंत्री में विश्वास कम हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार में एक अन्य वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा कि जॉनसन के 2019 के आम चुनाव में इतना बड़ा जनादेश हासिल करने के बाद जिस तरह से उन्हें बेदखल किया गया, वह उससे इतना नाराज़ हैं कि अब वह उन लोगों से बदला लेने पर आमादा हैं। 

बता दें कि जॉनसन के कथित विरोध के बाद भी ऋषि सुनाक चुनाव अभियान में अब तक आगे दिख रहे हैं। वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में बेहद आगे हैं और कहा जा रहा है कि वह पीएम बनने के बेहद नजदीक पहुंच गए हैं। दूसरे राउंड की वोटिंग में 101 वोट पाकर शीर्ष पर रहे। सुनाक ने कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुने जाने के लिए पहले राउंड के मतदान में सबसे अधिक वोट हासिल किए थे। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि जॉनसन के बाद अब किसी भारतीय मूल के व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएँ ज़्यादा हो गई हैं। लेकिन सवाल है कि यदि बोरिस जॉनसन कंजरवेटिव पार्टी के सासंदों के एक बड़े समूह को प्रभावित करने में सफल हो जाते हैं तो क्या सुनाक के लिए यह राह आसान होगी?

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