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गणतंत्र दिवस पर ब्रिटिश पीएम का दौरा क्यों हुआ रद्द?

गणतंत्र दिवस पर ब्रिटिश पीएम का दौरा क्यों हुआ रद्द?

कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का संक्रमण ब्रिटेन में फैलने के साथ ही सरकार ने वहाँ लॉकडाउन का एलान कर दिया। इसके मद्देनज़र ही गणतंत्र दिवस के मौक़े पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री का भारत दौरा भी रद्द कर दिया गया है।

इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत का अतिथि कौन होगा? यह सवाल अब सरकार को परेशान करने लगा है क्योंकि बोरिस जॉनसन की प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी गई है। कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन का संक्रमण ब्रिटेन में फैलने के साथ ही सरकार ने वहाँ लॉकडाउन का एलान कर दिया। इसके मद्देनज़र ही गणतंत्र दिवस के मौक़े पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री का भारत दौरा भी रद्द कर दिया गया है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यह फ़ैसला ऐसे समय आया है जब उनके देश की लगभग दो-तिहाई आबादी पहले से ही कोरोना सम्बन्धी कई तरह के प्रतिबंधों से गुज़र रही है। अब पूर्ण लॉकडाउन लगने से ब्रिटेन की आबादी के लगभग 84 प्रतिशत लोग यानी कुल 5.6 करोड़ लोग पूर्ण लॉकडाउन के प्रतिबंधों में जीने को बाध्य होंगे। समझा जाता है कि ये प्रतिबंध फरवरी तक बरक़रार रहेंगे।

मोदी से की बात

ब्रिटिश प्रधानमंत्री आवास 10, डाउनिंग स्ट्रीट की एक प्रवक्ता ने कहा कि जॉनसन  ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बात की और इस पर अफ़सोस जताया कि वह तय योजना के अनुसार इस महीने भारत नहीं जा पाएंगे। प्रवक्ता ने कहा कि जिस रफ़्तार से कोरोना वायरस की नई किस्म का संक्रमण देश में फैल रहा है, उसे देखते हुए यह ज़रूरी है कि प्रधानमंत्री देश में ही रहें ताकि वह इस समस्या  पर पूरा ध्यान दे सकें।

कोरोना के नए संक्रमण को लेकर ब्रिटेन में ख़ासी चिन्ता है। सरकार ने बुधवार से ही सभी स्कूल-कॉलेज बंद करने का एलान किया है। कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री जॉनसन ने कल राष्ट्र के नाम टेलीविज़न संबोधन में कहा कि लगभग 27 हज़ार  कोरोना रोगी अस्पतालों में भर्ती हैं और हमें तत्काल इस मामले में और अधिक काम करने की ज़रूरत है ताकि हम नए किस्म के कोरोना वायरस पर जल्दी से जल्दी नियंत्रण कर सकें।

कोरोना वायरस की नई किस्म

बता दें कि ब्रिटेन में लोगों को ऑक्सफ़ोर्ड- एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन देने काम राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया जा चुका है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा यानी एनएचएस इसे अंजाम दे रही है। समझा जाता है कि सरकार के मुखिया का ध्यान इस ओर भी है। उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में टीकाकरण अभियान का जिक्र भी किया था।

जिस दिन जॉन्सन की यात्रा रद्द करने का फ़ैसला किया गया, उसके सिर्फ एक दिन पहले ब्रिटेन में नए किस्म के संक्रमण के 58,784 मामले पाए गए थे। यह पिछले हफ़्ते के संक्रमण से 50 प्रतिशत ज़्यादा है। ब्रिटेन कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में से एक है। यहां अब तक 27 लाख मामले पाए गए हैं और 75,431 लोगों की मौत हो चुकी है।

यहाँ हाल के दिनों में हर रोज़ 50 हज़ार से ज़्यादा नये संक्रमण के मामले आ रहे हैं। सोमवार को देश में क़रीब 58 हज़ार, इससे पहले रविवार को क़रीब 55 हज़ार, शनिवार को 57 हज़ार संक्रमण के मामले आए थे।

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जेअर बोइसोनेरो, राष्ट्रपति, ब्राज़ील

अब भारत क्या करे?

लेकिन जॉनसन का भारत दौरा अचानक रद्द हो जाने से भारत के लिए दिक्क़त यह है कि इतने कम समय में वह किस राष्ट्राध्यक्ष को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि कैसे बनाए। भारत में यह एक परंपरा है कि हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी राष्ट्राध्यक्ष को आमंत्रित किया जाता है। इससे यह भी अनुमान लगता है कि भारत किस देश के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों पर अधिक ध्यान देना चाहता है।

पिछले साल ब्राजील के राष्ट्रपति जेअर बइसोनेरो को आमंत्रित किया गया था, हालांकि उनकी विवादास्पद टिप्पणियों की वजह से लोगों ने इस पर अचरज जताया था और इसकी आलोचना भी की गई थी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बराक़ ओबामा

जॉन्सन की यात्रा क्यों थी अहम?

बराक ओबामा अपने दूसरे कार्यकाल में भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बने थे। उसके बाद ही भारत के साथ अमेरिका के सैन्य व वाणिज्यिक रिश्ते पहले से अधिक मजबूत होने लगे। इसी तरह फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ़्रास्वां ओलांद को मुख्य अतिथि बनाए जाने के बाद ही रफ़ाल समझौता हुआ था।

बोरिस जॉन्सन का भारत दौरा ऐसे समय होना था जब ब्रिटेन यूरोपीय देशों के संगठन यूरोपीय संघ से बाहर निकल रहा है, उनके बीच अंतिम समझौता भी हो चुका है। समझा जाता है कि इस समय ब्रिटेन को भी भारत की ज़रूरत है क्योंकि यह दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर बात हो सकती थी।

भारत और ब्रिटेन के बीच फ़्री ट्रेड एरिया यानी मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर बातचीत पहले से ही चल रही है, जिसकी प्रगति बहुत ही धीमी है। समझा जाता है कि यूरोपीय संघ छोड़ने की वजह से इस समझौते की बातचीत में तेज़ हो सकती थी। फ़िलहाल, यह सब कुछ दिनों के लिए टल जाने की सम्भावना है।

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